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Bihar Train Accident: नार्थ-ईस्ट एक्सप्रेस बेपटरी होने के मामले में लापरवाही आई सामने, ट्रैक से पेंड्रोल क्लिप मिले गायब

पांच किलोमीटर दूरी में रेलवे ट्रैक की पड़ताल की तो पटरियों को स्थिर रखने के लिए लगाए जाने वाले लोहे के पेंड्रोल क्लिप 433 स्थानों पर गायब मिले। वहीं 53 जगहों पर पेंड्रोल क्लिप खुले पाए गए। ट्रैक के सीमेंटेड स्लीपर 37 जगहों पर क्रैक मिले। यह स्थिति तब है जबकि पटना से दिल्ली के बीच इसी ट्रैक से सेमी हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है।

By Jagran News Edited By: Mohammad Sameer Published: Sat, 14 Oct 2023 06:45 AM (IST)Updated: Sat, 14 Oct 2023 06:45 AM (IST)
पांच किमी ट्रैक से 433 पेंड्रोल क्लिप गायब (प्रतीकात्मक फोटो)

रितेश चौरसिया, आरा। बिहार के रघुनाथपुर स्टेशन के समीप नार्थ-ईस्ट एक्सप्रेस के बेपटरी होने के बाद हुई जांच में ट्रैक के रखरखाव में लापरवाही की बात सामने आ गई है। इस मेन लाइन में अन्य स्थानों पर भी ऐसी लापरवाही के प्रमाण मौजूद हैं, जिन्हें समय रहते दुरुस्त नहीं किया गया, तो अनहोनी हो सकती है।

शुक्रवार को जागरण टीम ने भोजपुर जिले के जगजीवन हाल्ट से जमीरा हाल्ट तक पांच किलोमीटर दूरी में रेलवे ट्रैक की पड़ताल की तो पटरियों को स्थिर रखने के लिए लगाए जाने वाले लोहे के पेंड्रोल क्लिप 433 स्थानों पर गायब मिले। वहीं, 53 जगहों पर पेंड्रोल क्लिप खुले पाए गए। ट्रैक के सीमेंटेड स्लीपर 37 जगहों पर क्रैक मिले।

यह स्थिति तब है, जबकि पटना से दिल्ली के बीच इसी ट्रैक से सेमी हाई-स्पीड वंदे भारत ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है। रेलवे के तकनीकी कर्मचारियों का दावा है कि चंद क्लिप निकलने से हादसे नहीं होते हैं, परंतु वे अधिकृत तौर पर यह बयान देने को राजी नहीं हुए।

एक किमी में लगते हैं 1600 पेंड्रोल क्लिप 

रेलवे के तकनीकी जानकार बताते हैं कि एक स्लीपर में चार पेंड्रोल क्लिप की फिटिंग होती है। एक किलोमीटर लंबाई में सामान्यतः 1600 पेंड्रोल क्लिप ट्रैक में लगाए जाते हैं। अगर लगातार कई पेंड्रोल क्लिप स्लीपर व ट्रैक के बीच से हट जाएं तो ट्रैक टेढ़ा हो जाता है।

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जिससे ट्रेन की बोगियों के बेपटरी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके नहीं होने से सर्दियों में रेलवे ट्रैक के फ्रैक्चर होने के मामले भी बढ़ जाते हैं। ट्रैक में खिचाव आने के कारण फ्रैक्चर होता है। कई बार पेंड्रोल क्लिप चोरी की घटनाएं भी सामने आ चुकी हैं।

नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कनीय कर्मियों ने बताया कि पहले तकनीकी शाखा के बड़े अधिकारी ट्राली से ट्रैक निरीक्षण करने के लिए निकलते थे, लेकिन अब वे कार्यालय से बाहर ही नहीं निकलते। इसी कारण पटरियों के रखरखाव से संबंधित छोटी-छोटी समस्याओं का तत्काल निदान नहीं हो पाता और न ही आवश्यकताओं की पूर्ति हो पाती है।

पूर्व मध्य रेल के मुख्य सूचना जनसंपर्क अधिकारी वीरेन्द्र कुमार का कहना है कि, 

जब काशन की नौबत होती है, तब ट्रैक को दुरुस्त किया जाता है। रेलवे ट्रैक से क्लिप गायब या खुली है, तो इसकी जांच कराएंगे। यह गंभीर मामला है। सुरक्षा सर्वोपरि है। यह कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।


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