जमीन के पेच फंसी रेल परियोजना, सर्वे से आगे नहीं बढ़ा काम
शिवहर। जिले की एक बड़ी आबादी रेल सेवा से वंचित है। जिला मुख्यालय रेलमार्ग से नहीं जुड़ सका है। व
शिवहर। जिले की एक बड़ी आबादी रेल सेवा से वंचित है। जिला मुख्यालय रेलमार्ग से नहीं जुड़ सका है। वर्ष 2007 में बापू की कर्मस्थली मोतिहारी से माता जानकी की जन्मस्थली सीतामढ़ी को जोड़ने के लिए वाया शिवहर रेलमार्ग निर्माण की पहल शुरू हुई थी। कार्ययोजना भी बनी। लेकिन, वह फाइल से बाहर नहीं आई। लोग बजट दर बजट उम्मीद करते रहे, लेकिन निराशा के सिवा कुछ हासिल नहीं हो सका। न नई योजना बन सकी, न ही पुराने पर कुछ हुआ।
लाइन सर्वे कार्य का किया गया था शिलान्यास : यूपीए सरकार में मनमोहन सिंह की सरकार ने सीतामढ़ी-शिवहर-मोतिहारी रेललाइन के लिए स्वीकृति दी थी। छह अक्टूबर, 2007 को शिवहर समाहरणालय ग्राउंड में समारोह के बीच तत्कालीन रेलमंत्री लालू प्रसाद यादव ने लाइन सर्वे कार्य का शिलान्यास किया था। सीतामढ़ी से रेवासी में क्रासिंग, धनकौल में हाल्ट, शिवहर में क्रासिंग, सुगिया कटसरी में हाल्ट, पताही में क्रासिंग, ढाका में क्रासिंग, चिरैया में हाल्ट, गजपुर में क्रासिंग व बापूधाम मोतिहारी तक कुल 78.92 किमी की इस परियोजना के लिए 2007-2008 के वित्तीय सत्र में 221 करोड़ की अनुमानित राशि खर्च करने का अनुमान था। अगले सत्र में इसे बढ़ा कर 1006.75 करोड़ कर दिया गया। शुरुआती दौर में सर्वे का काम पूरा भी कराया गया, लेकिन राशि के अभाव में कई इलाकों में भूमि अधिग्रहण नहीं हो सका। लिहाजा, परियोजना उलझ कर रह गई।
जमीन अधिग्रहण को लेकर है पेच
सीतामढ़ी से शिवहर के बीच भूमि अधिग्रहण का पेच फंसा है। 28 किलोमीटर भूमि के अधिग्रहण के लिए सीतामढ़ी के जिला भूअर्जन पदाधिकारी द्वारा 194.40 करोड़ की राशि की माग की गई थी। इसके आलोक में रेलवे द्वारा महज 19.75 करोड़ की राशि ही उपलब्ध कराई जा सकी है। पिछले तीन बजट से इस रेलमार्ग के निर्माण के लिए कोई फंड नहीं दिया जा सका है।