Akshaya Tritiya Puja: दस मई को मनेगा अक्षय तृतीया, 12 को होगा छह मासिक रविव्रत का अंत
हिंदू शास्त्रों के अनुसार अक्षय तृतीय का दिन खास महत्व रखता है। इस बार अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 10 मई मनाया जाएगा। 12 मई को छह माह से चले आ रहे रविव्रत का अंत होगा। ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी के चांदी की चरण पादुका खरीदकर उसकी पूजा करके घर या दुकान के मंदिर में स्थापित करें।
जागरण संवाददाता, सहरसा। आगामी दस मई को अक्षय तृतीया मनाया जाएगा। रहमान चौक स्थित ब्रज किशोर ज्योतिष संस्थान के संस्थापक ज्योतिषाचार्य पंडित तरुण झा ने बताया कि वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाता है।
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, ये दिन खास महत्व रखता है। इस बार अक्षय तृतीया व परशुराम जयंती 10 मई मनाया जाएगा। 12 मई को छह माह से चले आ रहे रविव्रत का अंत होगा।
अक्षय तृतीय के दिन क्या करें?
उन्होंने बताया कि अक्षय तृतीया के दिन, मां लक्ष्मी के चांदी की चरण पादुका खरीदकर उसकी पूजा करके घर या दुकान के मंदिर में स्थापित करें, वाहन खरीदने के लिए भी ये दिन उत्तम है। देवी लक्ष्मी का वास धन के साथ धान्य में भी होता है।
अन्न का दान जरूर करें
उन्होंने कहा कि अन्न का दान जरूर करें। इस दिन दान का सर्वाधिक महत्व होता है। इस दिन संभव हो तो पानी से भरी सुराही, अरवा चावल, दाल, सेंधा नमक, हरी सब्जी, घी, दही, चीनी, मिठाई फल व संभव हो तो वस्त्र का दान को शुभ माना जाता है।
मिथिला परंपरा में एक-दूसरे को शर्बत पिलाते हैं और गरीबों को दक्षिणा देते हैं। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके अक्षत, पुष्प, धूप-दीप और नैवेद्य से सूर्य देव की पूजा की जाती है तथा भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा का भी विधान है।
मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया पर गंगा नदी में स्नान करने से भक्त को सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन पितृ - संबंधित कार्य करने से पितरों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
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