Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यूं ही नहीं करता कोई किसी पर शक... यह है दिमाग का केमिकल लोचा, क्‍या सिजोफ्रेनिया का इलाज है संभव?

    Updated: Fri, 24 May 2024 08:25 AM (IST)

    World Schizophrenia Day 2024 आज यानी कि 24 मई को दुनियाभर में हर साल विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है जो कि एक गंभीर मानसिक बीमारी है। इसमें मरीज शक या भ्रम होने या डरावने साए दिखने जैसी शिकायतें होती हैं। हालांकि मनोचिकित्‍सकों का कहना है कि इसका इलाज संभव है। उनका कहना है कि यह बीमारी दिमाग में केमिकल के स्‍तर व हार्मोन की गड़बड़ी से होता है।

    Hero Image
    हार्मोन की गड़बड़ी से होता शक का रोग, इलाज संभव

    जागरण संवाददाता, पटना। World Schizophrenia Day 2024 : भागमभाग वाली आधुनिक जीवनशैली व पर्यावरण मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मानसिक रोग है सिजोफ्रेनिया। इसके मरीज को काल्पनिक आवाजें व दृश्य दिखाई पड़ते हैं, उसके अंदर ये शक बैठ जाता है कि कोई उसे जहर देकर मारना चाहता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छह महीने में पूरी तरह से स्‍वस्‍थ हो जाते हैं मरीज

    वह भगवान के दिखने या उनकी बातें सुनाई देने का दावा करता है। हमेशा मरने या अनहोनी का डर सताता है, यहां तक कि उसके घरवाले भी धीमी आवाज में बातें करते हैं तो उसे यही अहसास होता कि उसके खिलाफ साजिश कर रहे हैं। अब छह माह में ये रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो जाते हैं।

    ये बातें आइजीआइएमएस की वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. निष्का सिंह व मनोवैज्ञानिक परामर्शी प्रिया कुमारी ने गुरुवार को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस की पूर्व संध्या पर कहीं। आमजन को इस रोग से आगाह करने के लिए शुक्रवार को आइजीआइएमस समेत कई जगह जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।

    पटना में तेजी से बढ़ रही रोगियों की संख्या

    डा. निष्का सिंह के अनुसार, देश व प्रदेश में हर सौ लोगों में से एक स्त्री या पुरुष सिजोफ्रेनिया का रोगी होता है। 20 से 35 वर्ष के लाेग इसकी चपेट में अधिक आते हैं।

    वहीं निजी मनोचिकित्सकों के अनुसार हाल के वर्षों में पटना जिले में सिजोफ्रेनिया के रोगी तेजी से बढ़े हैं। यहां हर 10 में से एक व्यक्ति को सिजोफ्रेनिया की चपेट में आने का खतरा है।

    रोग बढ़ने के तनाव भरी जिंदगी समेत कई कारक

    आपाधापी भरी जिंदगी से बढ़े तनाव और उसके कारण मस्तिष्क में डोपामाइन रसायन का स्तर बढ़ने या घटने को इस रोग का प्रमुख कारण माना जाता है।

    इसके अलावा कुछ लोगों को पर्यावरणीय तो कुछ को आनुवंशिक कारणों से यह रोग होता है। इससे भी घातक यह कि इसके रोगी खुद को मरीज नहीं मानते इसलिए रोग गंभीर होने तक दवा नहीं खाते हैं।

    दवाओं के साथ घरवालों के सहयोग की जरूरत

    मनो परामर्शी प्रिया कुमारी ने कहा कि दवा व काउंसलिंग से सिजोफ्रेनिया तेजी से ठीक होने वाला रोग है। इसमें परिवार के सदस्यों की भी काउंसलिंग जरूरी है क्योंकि रोगी की इच्छाशक्ति बढ़ाने में उनकी अहम भूमिका होती है।

    ये भी पढ़ें: 

    BSP Candidate Arrest: 25 मई को चुनाव, आज गिरफ्तार हो गया मायावती का ये कैंडिडेट; कर दी थी बड़ी गलती

    Bihar Bijli Deferment Charges: डिफरमेंट चार्ज कटने से उपभोक्ता परेशान, विभाग नहीं दे रहा जवाब