स्वतंत्रता के सारथीः भ्रष्टाचारियों का चक्रव्यूह तोड़ने में जुटा है यह अभिमन्यु
पटना उच्च न्यायालय के वकील अभिमन्यु आरटीआइ कार्यकर्ता के रूप में जनसमस्याओं को उजागर कर उनके समाधान की पहल कर रहे हैं।
पटना [जेएनएन] । एक अभिमन्यु इस कलियुग में भी, नाम-काम दोनों से खुद को चरितार्थ करते हुए। भ्रष्टाचारियों द्वारा रचे गए चक्रव्यूह को तोड़ते हुए। होशियारी यह कि द्वापर-कालीन अभिमन्यु की तरह आखिरी दांव में मात न खानी पड़े। कई कामयाबियां नसीब हो चुकी हैं और उस बदौलत आम आवाम को सुकून। सरकारी खजाने को चपत लगाने वालों के होश भी ठिकाने आए हैं।
पटना उच्च न्यायालय में मुकदमों की पैरवी के साथ अधिवक्ता अभिमन्यु कुमार हर दिन एक नई पेंच को समझते। धीरे-धीरे वे भली-भांति समझ गए कि तिकड़मबाज पहुंच-बात वाले हैं। उन्हें सीधे चुनौती देना जान को सांसत में डालना होता और भ्रष्टाचार के किस्सों से कान पके जा रहे थे। शिव प्रकाश राय की सलाह भली लगी। सूचना का अधिकार (आरटीआइ) का बखूबी इस्तेमाल कर शिव प्रकाश राय सैकड़ों मामलों से पर्दा उठा चुके हैं।
अभिमन्यु भी उसी रास्ते चल निकले। वह 2011 का साल था। तब से लेकर आज तक पांच साल गुजर चुके हैं। इस दौरान हजार दुश्वारियां पेश आईं, लेकिन हौसला नहीं डिगा। तन-मन-धन तीनों अपना लगाया और लाभ जमाने का हुआ।
शिक्षक नियोजन में फर्जीवाड़ा, बालू का अवैध कारोबार, पंचायतों में मनरेगा की राशि का बंदरबांट, स्कूलों में पोशाक-छात्रवृत्ति राशि में घोटाला आदि का भंडाफोड़ कर अभिमन्यु ने भ्रष्टचारियों की नींद उड़ा दी। हाई कोर्ट में उनके द्वारा दायर जनहित याचिका के आलोक में सरकार कार्रवाई के लिए मजबूर हुई। अब तक दो हजार से अधिक मामलों में वे आरटीआइ दाखिल कर चुके हैं। अभी चार मामलों में हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है। इसके अलावा दो मामलों में जनहित याचिका दायर करने की तैयारी है।
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कहते हैं कि आरंभ में आरटीआइ को लेकर थोड़ा डर था, लेकिन सफलता के साथ हौसला बढ़ता गया। 2014 में बालू माफिया के खिलाफ हाईकोर्ट में पीआइएल दाखिल किया। धमकी भी मिली और प्रलोभन भी। इससे हिम्मत और मजबूत हुई। विधानसभा में अवैध नियुक्ति से संबंधित मामले भी धमकी मिली, लेकिन अडिग रहा। मामले में हाईकोर्ट के आदेश से जांच चल रही है।
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चिंगारी बने चार मामले
- विधानसभा में अवैध नियुक्तियों और विधानसभा सचिव की योग्यता के मसले को भी आरटीआइ के माध्यम से उजागर किया। पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर सचिव बदला गया और अवैध नियुक्तियों की जांच शुरू हुई।
- विधानसभा और विधान परिषद के सदस्य, मंत्री, दर्जा प्राप्त मंत्री, आयोग, बोर्ड, निगम के अध्यक्षों आदि के द्वारा बाह्य कर्मियों के बहाने हो रही अवैध निकासी का मामला उजागर किया। हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की।
- मोकामा स्थित राजेंद्र सेतु की जर्जर स्थिति और उसके आसपास बालू के अवैध कारोबार के खिलाफ पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर सरकार को कार्रवाई के लिए किया बाध्य।
- पंचायतों में मनरेगा में धांधली, राशन-केरोसिन के वितरण में कोताही और स्कूलों में पोशाक-छात्रवृत्ति राशि के बंदरबांट का मामला उजागर किया।