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टिकट देने में भी MY समीकरण से RJD करेगा किनारा, आरक्षण व्‍यवस्‍था बनेगी पार्टी का थर्मामीटर

जिलाध्यक्षों की तर्ज पर RJD सिर्फ संगठनात्मक स्तर पर ही नहीं बल्कि टिकटों के वितरण में भी माय समीकरण (MY Samikaran) से किनारा करने जा रहा है। पढ़ें पड़ताल करती रिपोर्ट।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 09:06 PM (IST)Updated: Sun, 09 Feb 2020 10:39 PM (IST)
टिकट देने में भी MY समीकरण से RJD करेगा किनारा, आरक्षण व्‍यवस्‍था बनेगी पार्टी का थर्मामीटर
टिकट देने में भी MY समीकरण से RJD करेगा किनारा, आरक्षण व्‍यवस्‍था बनेगी पार्टी का थर्मामीटर

पटना, अरविंद शर्मा। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की तर्ज पर राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) सिर्फ संगठनात्मक स्तर पर ही नहीं, बल्कि टिकटों के वितरण में भी माय समीकरण (MY Samikaran) से किनारा करने जा रहा है। पार्टी में 45 परसेंट आरक्षण व्यवस्था को विधानसभा चुनाव में भी लागू किया जा सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) से पहले जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में मुस्लिम-यादव (Muslim Yadav) की संख्या को सीमित करने के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने शनिवार को तीन मकसद से राजद विधायकों (RJD MLAs) की बैठक बुलाई थी। पहला जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के बाद वह अपने विधायकों का मन-मिजाज भांपना चाहते थे। दूसरा विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर विमर्श करना था और तीसरा 24 फरवरी से बिहार में शुरू होने वाले बजट सत्र की रणनीति बनानी थी। 

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आरक्षण का फैसला बनेगा राजद का थर्मामीटर

चुनाव के मोर्चे सजाने से पहले संगठन के विभिन्न पदों पर आरक्षण व्यवस्था लागू करने के तेजस्वी के फैसले को राजद में थर्मामीटर की तरह माना जा रहा है। पारा अगर सीमा में रहा तो लालू के उत्तराधिकारी टिकट वितरण में भी माय समीकरण से पीछा छुड़ा सकते हैं। विधायकों की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने ऐसा संकेत भी दिया। उन्होंने राजद के जनाधार को 1990 के स्तर पर ले जाने का दावा किया। तब माय समीकरण जैसा कोई फार्मूला नहीं था। जिलाध्यक्षों की नियुक्ति को उन्होंने इसी कसौटी पर कसने की कोशिश की और बेबाकी से बोल भी दिया कि विधानसभा चुनाव भी इसी फार्मूले पर लड़ा जाएगा। 

विधायकों को समझाने में बीता समय 

राबड़ी देवी (Rabri Devi) की गैरमौजूदगी में उनके आवास में राजद विधायकों की बैठक करीब चार घंटे चली। तेजस्वी और जगदानंद का पूरा समय विधायकों को यह समझाने में बीता कि उनके अधिकारों में किसी प्रकार की कटौती नहीं की गई है, बल्कि राजद के जनाधार में विस्तार का प्रयास किया गया है। लालू यादव (Lalu Yadav) की बार-बार दुहाई दी गई और कहा गया कि उनकी सहमति लेने के बाद ही परिवर्तन किया गया है। जिन्हें जिलों के कार्यों से मुक्त किया गया है, उन्हें प्रदेश कमेटी में भी जगह दी जा सकती है। तेजस्वी के लिए सुकून की बात यह है कि किसी ने भी पार्टी के फैसले पर उंगली नहीं उठाई। मुंगेर के राजद विधायक विजय कुमार विजय ने आशंका जरूर जाहिर की थी, किंतु समाधान मिलने पर सहमत भी दिखे। 

बैठक में नहीं दिखे तेजप्रताप 

बैठक में राजद के चार बागी विधायक नहीं पहुंचे। चुनाव की तैयारियों के लिहाज से अहम मानी जा रही इस विमर्श से विधायक तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) का गायब रहना भी चर्चा का विषय बना हुआ था। तेज प्रताप के अलावा चंद्रिका राय (Chandrika Rai), फराज फातमी, प्रेमा चौधरी (Prema Chaudhary) और महेश्वर यादव (Maheshwar Yadav) का तो पहले से तय था कि वे नहीं आने वाले हैं। अब्दुल बारी सिद्दीकी (Abdul Bari Siddaqui) के बारे में शक्ति सिंह यादव ने बताया कि वह तेजस्वी को सूचित करके किसी काम से पटना से बाहर गए हैं। कुमार सर्वजीत की मां की तबीयत खराब थी। 

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