म्यूटेशन के लिए अंचल जाने की जरूरत नहीं, रजिस्ट्री के साथ ही इसकी प्रक्रिया शुरू हो जाएगी
जमीन के म्यूटेशन के मामले में रिश्वतखोरी की शिकायत के बाद सरकार ने यह उपाय किया है। नई सुविधा एक सप्ताह में शुरू हो जाएगी। चालू वित्तीय वर्ष में पांच सौ करोड़ रुपये के बदले महज 50 करोड़ रुपये लगान की वसूली हुई है।
पटना, राज्य ब्यूरो । जमीन के म्यूटेशन के मामले में रिश्वतखोरी की शिकायतों से परेशान राज्य सरकार ने नया उपाय किया है। अब जमीन की रजिस्ट्री होते ही ऑनलाइन म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। जमीन के नए मालिक को सप्ताह के अंदर म्यूटेशन का कागज मिल जाएगा। इसके लिए रजिस्ट्री कार्यालयों को अंचलों से जोड़ा जा रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने शनिवार (12 दिसंबर) को बताया कि एक सप्ताह के भीतर नई सुविधा बहाल हो जाएगी।
ऑनलाइन प्रक्रिया पहले की तरह
इसके पहले शुक्रवार को मुख्य सचिव दीपक कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में म्यूटेशन में होने वाली परेशानी का मामला उठा था। राजस्व एवं भूमि सुधार और निबंधन विभाग की ओर से मुख्य सचिव को नई योजना की जानकारी दी गई। अब इस पर अमल हो रहा है।
नई व्यवस्था के तहत जैसे ही निबंधन कार्यालय में जमीन की खरीद बिक्री का कोई दस्तावेज अंतिम तौर पर स्वीकृत होगा, उसकी प्रति अपने आप सीओ (अंचल अधिकारी) के लॉगिन में चली जाएगी। अंचल अधिकारी तुरंत म्यूटेशन की प्रक्रिया शुरू कर देंगे। हालांकि पुराने दस्तावेजों के म्यूटेशन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पहले की तरह जारी रहेगी।
कर्मचारी या कारिंदे की झोली में नहीं रहेगा रजिस्टर
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने तय किया है कि जमीन का कोई भी दस्तावेज अब कर्मचारी या उनके कारिंदे की झोली में नहीं रहेगा। रजिस्टर टू को भी ऑनलाइन कर दिया गया है। फिर भी यह पूरी तरह दुरुस्त नहीं है। लिहाजा, दुरुपयोग की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए तय हुआ है कि तत्काल सभी अंचलों में आलमीरा की खरीद हो। कर्मचारियों-कारिंदों के झोले से निकाल कर सभी दस्तावेज आलमीरा में रख दिए जाएं। अगर सुधार के लिए दस्तावेजों की जरूरत होगी तो उसे सीओ के आदेश से हासिल किया जाएगा।
फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट
म्यूटेशन की नई व्यवस्था यह है कि इसे पहले आइए, पहले पाइए ( फर्स्ट इन, फर्स्ट आउट) की तर्ज पर लागू किया जाएगा। यह नहीं होगा कि पुराने मामलों को छोड़ पैरवी या रिश्वत के जरिए नए मामलों का निबटारा पहले कर दिया जाएगा। अगर सीओ या कर्मचारी ऐसा करना भी चाहें तो नया सॉफ्टवेयर इसकी इजाजत नहीं देगा।
लगान में आई कमी
कोरोना के चलते राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के खाते में लगान की रकम बहुत कम आई है। चालू वित्तीय वर्ष में पांच सौ करोड़ रुपये का लक्ष्य था। महज 50 करोड़ रुपये आए। विभाग ने राजस्व बढ़ाने के लिए 31 मार्च 2021 तक ऑफलाइन लगान वसूली को जारी रखने का फैसला किया है। इसके लिए एक लाख रसीद की मांग सरकार से की गई है।