Move to Jagran APP

नीतीश के जीरो टालरेंस ने कई का पत्ता किया साफ, कुर्सी मिलने के कुछ ही घंटे बाद तीन मंत्री दे चुके हैं इस्तीफा

मंत्री पद की कुर्सी हासिल करने के कुछ ही घंटे बाद तीन मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। विधि मंत्री कार्तिक सिंह के मामले में अदालत से जारी वारंट प्रकरण ने अब तूल पकड़ लिया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 02:08 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 03:46 PM (IST)
नीतीश के जीरो टालरेंस ने कई का पत्ता किया साफ, कुर्सी मिलने के कुछ ही घंटे बाद तीन मंत्री दे चुके हैं इस्तीफा
बिहार सीएम नीतीश कुमार। जागरण आर्काइव। -

राज्य ब्यूरो, पटना। भ्रष्टाचार और अपराध पर जीरो टालरेंस के कई उदाहरण बिहार में कुछ इस तरह के हैं कि मंत्री पद की कुर्सी हासिल करने के कुछ ही घंटे बाद तीन मंत्रियों को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। वैसे इनमें दो मंत्रियों पर बाद में केस खत्म हुआ और वे पुन: मंत्री बने। विधि मंत्री कार्तिक सिंह को शपथ लिए अभी एक दिन ही हुए हैं कि उन पर दर्ज एक मामले में अदालत से जारी वारंट प्रकरण ने तूल पकड़ लिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन्होंने साफ कहा कि इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं थी। यह संकेत है कि अगर जानकारी रहती तो फिर...।

loksabha election banner

मेवालाल को छोड़ना पड़ा था शिक्षा मंत्री पद

हालिया मामला 2020 का है। मेवालाल चौधरी को नीतीश कुमार की सरकार में शिक्षा मंत्री बनाए गए थे। उन पर यह आरोप था कि जिस समय वह बिहार  एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति थे उस समय नियुक्ति को लेकर कुछ गड़बड़ी की थी। उन दिनों तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष थे। इस मुद्दे को उन्होंने काफी जोरशोर से उठाया था। नीतीश कुमार के जीरो टालरेंस पर भी सवाल किए थे। आखिरकार मेवा लाल चौधरी को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। मेवा लाल चौधरी का निधन हो चुका है। 

परिवहन मंत्री ने दिया था इस्तीफा

इसके पूर्व 2008 में नीतीश कुमार की सरकार में परिवहन मंत्री रहे आरएन सिंह को भी भ्रष्टाचार से जुड़े एक मामले में अपनी कुर्सी छोड़नी पड़ी थी। इंजीनियर आरएन सिंह पर आरोप था कि जिस समय वह मुजफ्फरपुर के कांटी थर्मल पावर यूनिट में पदस्थापित थे उस समय उन्होंने थर्मल पावर यूिनट के लिए पाइप खरीददारी में गड़बड़ी की थी। तय क्वालिटी के पाइप नहीं खरीदे गए थे। इस मामले में निगरानी ब्यूरो ने 1990 में केस दर्ज किया था और एक वर्ष बाद चार्जशीट भी हो गया था। जब यह मामला सामने आया तो नीतीश कुमार ने परिवहन मंत्री का इस्तीफा ले लिया और कहा कि जब केस खत्म हो जाएगा तभी वह मंत्री बन सकेंगे। कुछ दिनों बाद उन पर केस खत्म हुआ और वह फिर से मंत्री बनाए गए। 

मांझी पर लगा था भ्रष्टाचार का आरोप

नवंबर 2005 में जब नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तब जीतन राम मांझी को भी उनकी सरकार में मंत्री बनाया गया था। उनके मामले में यह बात सामने आयी कि बीएड घोटाले मामले में उन पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। नीतीश कुमार के संज्ञान में जब यह बात आयी तो जीतन राम मांझी को इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में जब वह आरोप मुक्त हुए तो फिर से मंत्री बनाए गए।

यह भी पढ़ें : सर! पत्नी बेमतलब किचकिच करती है, उसको मजा चखाना चाह रहे थे...मुजफ्फरपुर में प्रेमिका के साथ पकड़ाए युवक का अनूठा तर्क


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.