Bihar Politics: मगध-शाहाबाद की 9 सीटें जेडीयू के लिए चुनौती, वोटरों को बूथ तक पहुंचाने में करनी होगी मशक्कत
Lok Sabha Election 2024 एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला तय होने के बाद मगध और शाहाबाद के 11 लोकसभा क्षेत्रों में नौ की स्थिति यह है कि वहां जदयू की मेहनत विशेष रूप से अपने वोटरों को बूथ पर लाने पर रहेगी। इसकी वजह यह है कि इन 11 में केवल दो लोकसभा क्षेत्रों में ही जदयू के उम्मीदवार मैदान में दिखेंगे।
भुवनेश्वर वात्स्यायन, पटना। Bihar Political News Hindi: एनडीए में सीट शेयरिंग का मामला तय होने के बाद मगध और शाहाबाद के 11 लोकसभा क्षेत्रों में नौ की स्थिति यह है कि वहां जदयू की मेहनत विशेष रूप से अपने वोटरों को बूथ पर लाने पर रहेगी।
इस मशक्कत की वजह यह है कि इन 11 में केवल दो लोकसभा क्षेत्रों में ही जदयू के उम्मीदवार मैदान में दिखेंगे। मालूम हो कि इन 11 सीटों पर 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू के चार सांसद चुने गए थे। पर 2024 के चुनाव के लिए जदयू की दाे सीटें क्रमश: काराकाट और गया (सुरक्षित) सीट एनडीए के घटक दल को चली गयी है।
काराकाट से राष्ट्रीय लोकतांत्रिक मोर्चा के टिकट पर उपेंद्र कुशवाहा और गया सीट से हम के टिकट पर जीतन राम मांझी चुनाव लड़ेंगे।
गया में 2019 के चुनाव में जदयू को 32.51 प्रतिशत अधिक वोट मिल
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू ने एनडीए के घटक के रूप में गया (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था तब जदयू को 48.79 प्रतिशत वोट आए थे। जदयू के वोट में 32.51 प्रतिशत का इजाफा हुआ था। उस चुनाव में भी जीतन राम मांझी गया से हम की टिकट पर मैदान में थे।
उन्हें 32.86 प्रतिशत वोट मिले थे। वैसे 2014 में जीतन राम मांझी ने जदयू की टिकट पर चुनाव लड़ा था। उन्हें 16.28 प्रतिशत वोट ही मिले थे। इस बार सीट जदयू काे नहीं मिली है। इसलिए जदयू कार्यकर्ताओं की सक्रियता यहां बड़ा विषय हाेगा।
औरंगाबाद में JDU की तैयारी, कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने पर जोर
औरंगाबाद में जदयू ने 2014 में बागी कुमार वर्मा को अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्हें 17.31 प्रतिशत वोट आए थे। इसके बाद 2019 में जब जदयू ने एनडीए में आकर चुनाव लड़ा तो यह सीट भाजपा के खाते में आ गयी। इस बार भी यह सीट भाजपा के खाते में हैं। यानी जदयू की तैयारी मुख्य रूप से अपने कार्यकर्ताओं काे सक्रिय करने पर है।
नवादा में 2019 में JDU नहीं था पर 2014 में 19.2 प्रतिशत वोट मिले
इस बार के आम चुनाव में भी जदयू के कोटे में यह सीट नहीं है। यह सीट भाजपा को मिली है जबकि पिछली बार यानी 2019 में यहां से लोजपा को जीत मिली थी। वहीं 2014 के आम चुनाव में जदयू ने यहां से कौशल यादव को अपना उम्मीदवार बनाया था पर उन्हें 19.2 प्रतिशत वोट ही आए थे।
जहानाबाद में जदयू की कोशिश वाेट का प्रतिशत बढ़ाने पर
जहानाबाद में जदयू की कोशिश अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने पर है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू को यहां से जीत मिली थी। जदयू के प्रत्याशी को 42.17 प्रतिशत आए पर उनके मुकाबले में रहे सुरेंद्र यादव को 41.95 प्रतिशत वोट आए। जीत का मार्जिन बहुत ही कम था। \B
नालंदा में जदयू की हैट्रिक रही
नालंदा लोकसभा क्षेत्र में जदयू अपनी जीत की हैट्रिक लगा चुका है। उसके प्रत्याशी को 52.45 प्रतिशत वोट आए थे पर 2014 के चुनाव में यहां कांटे का मुकाबला था। जदयू के प्रत्याशी को 34.93 प्रतिशत और विपक्ष में रहे लोजपा को 33.88 प्रतिशत वोट आए थे।
पटना की दोनों सीटों पर भी जदयू की ताकत बनेंगे कार्यकर्ता
पटना की दोनों सीटें पाटलिपुत्र व पटना साहिब में जदयू की ताकत कार्यकर्ताओं पर ही है। दोनों सीट भाजपा कोटे में हैं।
शाहाबाद में जदयू के कोटे में एक भी सीट नहीं
शाहाबाद प्रक्षेत्र में भी जदयू के कोटे में एक भी सीट नहीं। काराकाट सीट पहले हुआ करती थी जो अब उपेंद्र कुशवाहा को मिली है। आरा, बक्सर व सासाराम सीट भाजपा के कोटे में है।
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