Bihar Politics: बिहार की वो सीटें, जहां किसी के भी पक्ष में पलट सकती है बाजी
Bihar Politics बिहार में पहले चरण के तहत औरंगाबाद गया नवादा जमुई लोकसभा सीटों पर मतदान होगा। ये लोकसभा सीटें बिहार की सबसे हॉट लोकसभा सीटें साबित हो सकती है। महागठबंधन की ओर से चारों जगह राजद ने प्रत्याशी उतारे हैं। वहीं एनडीए में औरंगाबाद व नवादा से भाजपा गया से हम और जमुई से लोजपा के प्रत्याशी मैदान में है।
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार में पहले चरण के तहत नक्सल प्रभावित चार संसदीय क्षेत्रों औरंगाबाद, गया, नवादा, जमुई) में गुरुवार को नामांकन का दौर समाप्त हो गया। इनमें से गया और जमुई बिहार में अनुसूचित जाति के लिस सुरक्षित कुल छह सीटों में से हैं। पहले चरण के लिए राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के प्रत्याशी पहले ही घोषित हो गए थे।
महागठबंधन में औरंगाबाद को लेकर नामांकन के अंतिम क्षण तक की जिद इस सच्चाई के साथ समाप्त हो गई कि कांग्रेस को उसकी परंपरागत सीट से राजद ने बेदखल कर दिया है। पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार मैदान में उतरने के लिए तत्पर थे, लेकिन आलाकमान से अनुमति नहीं मिली।
अब इन चारों क्षेत्रों में दोनों प्रमुख गठबंधनों के प्रत्याशियों के अतिरिक्त दम-खम वाला कोई तीसरा दावेदार नहीं। इससे स्पष्ट है कि मुकाबला आमने-सामने का होगा।
हालांकि, नवादा के मैदान में कूद पड़े राजद के बागी विनोद यादव का करतब देखने लायक होगा। वे राजबल्लभ यादव के भाई हैं। पिछले चुनाव में भी इन क्षेत्रों में ऐसी ही स्थिति बनी थी। उसका लाभ राजग को मिला था।
औरंगाबाद में भाजपा के सुशील कुमार सिंह, गया में जदयू के विजय मांझी, जमुई और नवादा में लोजपा से क्रमश: चिराग पासवान और चंदन सिंह विजयी रहे थे।
उससे पहले 2014 में अलबत्ता त्रिकोणीय संघर्ष हुआ था। तब राजग से जदयू बाहर हो गया था और भाकपा के साथ मिलकर वह चुनाव मैदान में था। तब भाजपा से प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित हो चुके नरेन्द्र मोदी की लहर में राजग प्रत्याशियों के सामने कोई दूसरा नहीं टिका।
इस बार तो गठबंधन का स्वरूप भी बदल चुका है। 2019 में महागठबंधन के घटक रहे राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (राष्ट्रीय लोक मोर्चा का प्रारंभिक स्वरूप) और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) इस बार राजग के साथ हैं। जदयू और कांग्रेस पहले चरण के मैदान में नहीं हैं।
औरंगाबाद लोकसभा सीट
महागठबंधन में बने रहने की विवशता ऐसी कि कांग्रेस अपनी इस परंपरागत सीट से पिछली बार ही बेदखल हो गई थी। पिछली बार हम के उपेंद्र प्रसाद को भाजपा के सुशील कुमार सिंह ने यहां 7.54 प्रतिशत मतों के अंतर से पटखनी दी थी।
2014 में चार प्रतिशत से कुछ अधिक मतों के अंतर से कांग्रेस के निखिल कुमार पराजित हुए थे। इस बार जदयू से आए अभय कुशवाहा राजद के प्रत्याशी हैं। भाजपा ने एक बार फिर सुशील कुमार सिंह पर विश्वास जताया है।
गया लोकसभा सीट
2019 में गया में हम से जीतन राम मांझी को जदयू के विजय मांझी ने करारी शिकस्त दी थी। 2014 में तो वहां जीतन राम मांझी जदयू प्रत्याशी के रूप में तीसरे पायदान पर सिमट कर रह गए थे। भाजपा के हरि मांझी विजयी हुए थे।
उनसे लगभग सात प्रतिशत कम मत पाकर राजद के रामजी मांझी दूसरे स्थान पर रहे थे। इस बार राजग में हम से जीतन राम मांझी का मुकाबला राजद के विधायक सर्वजीत से है। सर्वजीत पिछली सरकार में कृषि मंत्री हुआ करते थे।
जमुई लोकसभा सीट
2019 में रालोसपा के भूदेव चौधरी जमुई में दूसरे स्थान पर रहे थे। यहां नोटिस करने लायक तथ्य नोटा को मिले 4.16 प्रतिशत मत हैं। नोटा तीसरे स्थान पर था।
2014 में निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के सुधांश शेखर भास्कर थे। तब 1.26 प्रतिशत मत लेकर नोटा चौथे स्थान पर था। उन दोनों चुनावों में लोजपा के चिराग पासवान विजयी रहे। इस बार उनके बहनोई अरुण भारती ताल ठोक रहे। राजद के अर्चना रविदास से मुकाबला होना है।
नवादा लोकसभा सीट
भाजपा ने नवादा को इस बार अपने पास रखा है। विवेक ठाकुर प्रत्याशी हैं। उनसे राजद के श्रवण कुशवाहा संघर्ष करेंगे। पिछली बार यहां राजद की विभा देवी 347612 मत पाकर लोजपा के चंदन सिंह से मात खा गई थीं।
2014 में भी यहां राजद दूसरे स्थान पर रहा था। तब विभा के पति राजबल्लभ यादव प्रत्याशी थे। नाबालिग से दुष्कर्म के दोष में विधायकी गंवाने के बाद वे जेल में हैं। उन्हें भाजपा के फायर-ब्रांड गिरिराज सिंह ने 140157 मतों के अंतर से शिकस्त दी थी।
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