मीडिया पर जमकर भड़के लालू, जानिए RJD सुप्रीमो से जुड़े कुछ पुराने विवाद
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बुधवार को दिल्ली में मीडिया पर जमकर भड़के। दरअसल, लालू का विवादों से पुराना नाता रहा है। जानिए उनके नाम से जुड़े कुछ विवादों के बारे में।
पटना [जेएनएन]। बेनामी संपत्ति, शहाबुद्दीन से रिश्ते व आवास पर डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति से संबंधित सवालों पर बुधवार को राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद मीडिया पर भड़क गए। दरअसल, लालू व उनके परिवार का विवादों से पुराना नाता रहा है। आइए बताते हैं ऐसे कुछ पुराने विवादों के बारे में।
शो रूम से डठा ली थीं गाडि़यां
सात जून, 2002 की रात लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की दूसरी बेटी रोहिणी की शादी एक अणे मार्ग (पटना) में थी। करीब 25 हजार बाराती आए। बारातियों को चमचमाती नई गाड़ियों से दरवाजे तक लाना था, इसलिए राजद कार्यकर्ताओं ने मारूति और महिंद्रा के शो रूम से बिना नंबर प्लेट वाली नई गाड़ियां ले लीं। आरोप लगा कि इस घटना के पीछे राबड़ी देवी के दोनों भाइ साधु यादव और सुभाष यादव थे।
ये वीआइपी बेटिकट यात्री
हाजीपुर रेलवे स्टेशन पर 13 फरवरी, 2007 को उत्तर बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस रुकी तो टीटीई ने फर्स्ट एसी के एक कूपे में एक बुजुर्ग दंपती को जगह दी। पता चला कि वे तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के सास-ससुर थे। उन्हें छपरा जाना था, जबकि उस ट्रेन में हाजीपुर से छपरा तक का टिकट बनता ही नहीं था। वहां मौजूद एक मीडियाकर्मी ने इस बाबत पूछा तो जवाब था, ''का बात करते हैं साहब, रेल मंत्री के सास ससुर हैं।''
यह ख़बर उसी समय हेडलाइन बन गई तो ट्रेन में ही फोन आया और टीटीई ने अपनी जेब से फाइन देकर टिकट बनाया। बाद में लालू प्रसाद ने उस टीटीई को बिना किसी दबाव में काम करने के लिए सम्मानित कर दिया।
बदल दिया गया का ट्रेन का प्लेटफार्म
लालू प्रसाद जब रेल मंत्री थे, तब उनके साले सुभाष यादव को गुवाहाटी राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली तक की यात्रा करनी थी। 2006 में उस दिन ट्रेन को प्लेटफॉर्म नंबर तीन पर रूकनी थी, लेकिन सुभाष यादव ने उसे प्लेटफॉर्म नंबर एक पर रुकवाया। जब इस बात की आलोचना शुरू हुई तो रेलवे ने लीपापोती कर यह बयान जारी किया कि सुभाष यादव ने जान पर खतरा बताया था, इसलिए ऐसा किया गया।
घर पर खड़ी की सरकारी एंबुलेंस
बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद 2016 में कई दिनों तक 108 नंबर की एक सरकारी एंबुलेंस राबड़ी देवी के घर के सामने खड़ी रही। इसी आवास में लालू प्रसाद भी रहते हैं। आम जनता के इस्तेमाल की इस एंबुलेंस को स्थायी तौर पर आवास पर रखने का मौखिक आदेश दिया गया था। मीडिया में खबर आने के बाद नौ अप्रैल, 2016 को एंबुलेंस वापस भेज दी गई।
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डॉक्टरों की घर पर प्रतिनियुक्ति
हाल ही में इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस), पटना के चिकित्सा अधीक्षक ने तीन डॉक्टरों और दो नर्सों की एक टीम की तैनाती लालू के 10, सर्कुलर रोड (पटना) आवास पर कर दिया। ये तैनाती 28 मई को की गई। मेडिकल टीम को आठ जून को वापस अस्पताल में रिपोर्ट करने को कहा गया। लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेजप्रताप बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री तथा आइजीआइएमएस की गवर्निंग बॉडी के चेयरमैन भी हैं।
इस घटना ने राजनीतिक रंग पकड़ा। विपक्ष ने सवाल किया कि आखिर ऐसी क्या बीमारी थी कि इतनी बड़ी मेडिकल टीम 11 दिनों तक लालू के घर में रही।
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