KK Pathak सर इधर भी ध्यान दीजिए! राजधानी में लचर है शिक्षा व्यवस्था, सर्द जमीन पर बैठकर पढ़ाई कर रहे छात्र
आवास बोर्ड द्वारा रेंटल फ्लेट 309 में आवंटित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है। स्कूल में कुल 226 बच्चे नामांकित हैं। कुल शिक्षकों की संख्या 11 है। लड़कियों के बैठने के लिए मात्र 17 बेंच हैं। बेंच पर केवल कक्षा सात और आठ की बच्चियां बैठती है। ठीक इसी के बगल में नीचे जमीन पर कक्षा छह की क्लास लगती है।
जागरण संवाददाता, पटना। जनवरी की ठंड में राजधानीवासी घर में दुबककर खुद को इस मौसम के प्रकोप से बचा रहे हैं। 1972 में स्थापित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय, लोहिया नगर में अव्यवस्था से पनपी एक अलग तस्वीर दिख रही है। विद्यालय में अध्ययन करने को आ रहे बच्चों की जमीन पर क्लास लग रही है। मजबूर बालिकाएं दरी पर बैठक कर " क, ख, ग '' सीखने के साथ बीमारी मुफ्त में घर ले जा रही हैं।
दरी पर बैठ कर पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे
आवास बोर्ड द्वारा रेंटल फ्लेट 309 में आवंटित राजकीय कन्या मध्य विद्यालय में कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है। स्कूल में कुल 226 बच्चे नामांकित है। जिसमें से प्रतिदिन 160-170 बच्चों की उपस्थिति रहती है। कुल शिक्षकों की संख्या 11 है। लड़कियों के बैठने के लिए मात्र 17 बेंच हैं। बेंच पर केवल कक्षा सात और आठ की बच्चियां बैठती है। ठीक इसी के बगल में नीचे जमीन पर कक्षा छह की क्लास लगती है।
पढ़ाई के लिए मात्र एक कमरा
स्कूल में तीन कमरे हैं। पहले कमरे में प्रधानाध्यापक का कक्ष, दूसरे कमरे में कक्षा पांच की पढ़ाई होती है। तीसरे रूम को स्टोर बनाया गया है। जिसमें मध्याह्न भोजन के अलावा महत्वपूर्ण चीजें रखी हुई हैं। दो बरामदे में कक्षा छह, सात और आठ की पढ़ाई होती है। दूसरे बरामदे में एक से चार तक कक्षा नीचे जमीन पर दरी बिछाकर एक साथ लगती है।
स्कूल के उपरी मंजिल पर है कब्जा
स्कूल का दो मंजिला है। पहले मंजिल पर स्कूल चलता है और दूसरी मंजिल पर किसी ने कब्जा कर रखा है। जबकि आवास बोर्ड ने पूरे भवन को स्कूल के नाम से आवंटित किया है। यह स्कूल साढ़े छह डिसिमल जमीन पर स्थित है। स्कूल के पास जमीन की कमी नही है, लेकिन बनावट व्यवस्थित नहीं हैं।
नहीं है स्कूल का मैदान, सड़क पर खेलते हैं बच्चे
स्कूल के अव्यवस्थित तरीके से भवन रहने के कारण बच्चों के खेलने के लिए जमीन नहीं है। खेल की घंटी लगने पर बच्चे सड़क पर खलते हैं। बगल में पार्क रहने के बावजूद स्थानीय लोग वहां खेलने से मना करते हैं।
एक सप्ताह बाद बच्चों को नसीब हुआ मध्याह्न भोजन
स्कूल में चावल का उठाव नहीं होने के कारण 27 दिसंबर से मध्याह्न भोजन बंद था, जो पांच जनवरी से शुरू हुआ। पूरे एक सप्ताह के बाद यहां पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन नसीब हुआ। शिक्षकों ने बताया कि प्रशासन द्वारा चावल का उठाव नहीं हो रहा था। जिस वजह से एजेंसी चावल उपलब्ध नहीं करा पा रहा था। एक सप्ताह बाद शुक्रवार से बच्चों के लिए मध्याह्न भोजन बनना शुरू हुआ है।
शौचालय की खुद करवाते हैं सफाई
शिक्षा विभाग की ओर से प्रत्येक स्कूल में साफ-सफाई के लिए एजेंसी बहाल किये गये हैं। लेकिन इस स्कूल में सफाई करने वाले एजेंसी का नामोनिशान नहीं है। स्कूल स्तर पर शिक्षक आपस में मिलकर शौचालय की साफ-सफाई करवाते हैं। शौचालय की स्थिति ठीक है। यहां बच्चों पानी के पीने के लिए बोरिंग भी है।
स्कूल में जो संसाधन है उसी में अच्छा करने की कोशिश करते हैं। जगह के लिए कई बार विभाग को पत्र लिखा गया, लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ। विभाग से सौ बेंच -डेस्क की मांग की गई है। बेंच की कमी के कारण बच्चों को जमीन पर दरी बिछाकर बैठाया जाता है। - सुबोध कुमार ओझा, प्रधानाध्यापक
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