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बिहार की राजनीति में घर वापसी वाला जुमला, अब तो वापस आने वाले भी भूल गए कि कितनों को है छोड़ा

कितनों को तो यह भी याद नहीं रहता है कि उन्होंने कितनी बार घर वापसी की। सुबह का भूला शाम को घर लौटा-बिहार की राजनीति में यह जुमला और कहावत इतनी चल रही है कि इसका इस्तेमाल जिनके लिए होता है वह भी मुस्कुराते हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 07 Aug 2021 06:07 PM (IST)Updated: Sat, 07 Aug 2021 06:07 PM (IST)
बिहार की राजनीति में घर वापसी पुरानी बात रही है। प्रतीकात्मक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: घर वापसी और सुबह का भूला शाम को घर लौटा-बिहार की राजनीति में यह जुमला और कहावत इतनी चल रही है कि इसका इस्तेमाल जिनके लिए होता है, वह भी मुस्कुराए बिना नहीं रह पाते। कितनों को तो यह भी याद नहीं रहता है कि उन्होंने कितनी बार किस घर को छोड़ा और कितनी बार घर वापस आए। मसलन, पूर्व मंत्री श्रीभगवान सिंह कुशवाहा (1990 का विधानसभा चुनाव श्रीभगवान सिंह के नाम से जीते थे।) शनिवार को जब जदयू में शामिल हुए तो यही कहा गया-यह इनकी घर वापसी है।

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कितने घर बदले

श्रीभगवान सिंह कुशवाहा पहला चुनाव 1990 में लड़े। वे भोजपुर के जगदीशपुर विधानसभा सीट से जीते। उस समय उनका घर इंडियन पीपुल्स फ्रंट (अब भाकपा माले) था। विधायक बनने के कुछ साल बाद ही इनका इस घर में मन ऊबने लगा। लालू प्रसाद की सरकार बाहरी विधायकों की मदद पर चल रही थी। आइपीएफ के तीन विधायकों-श्री भगवान सिंह, डा. सूर्यदेव सिंह और कृष्णदेव सिंह यादव तत्कालीन जनता दल में शामिल हो गए। संयोग यह रहा कि तीनों अगला चुनाव हार गए। दो ने तो दूसरी बार विधानसभा का मुंह भी नहीं देखा। श्रीभगवान बाद में भी तीन चुनाव जीते।

अगला घर समता पार्टी

जनता दल में विभाजन हुआ। लालू प्रसाद राष्ट्रीय जनता दल का गठन कर अलग हो गए। इधर श्रीभगवान सिंह समता पार्टी में आ गए। वह समता और जदयू के टिकट पर जगदीशपुर से चुनाव लड़े। 2000 और 2005 में दोनों पार्टियों के टिकट पर बारी-बारी से चुनाव जीते। 2010 में फिर उनकी हार हो गई। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान फिर कुशवाहा का घर बदल गया। वह राजद में आ गए। उस समय भी यही जुमला दुहराया गया-घर वापसी। 

फिर हो गई हार

घर वापसी और राजद का उम्मीदवार बनने के बावजूद श्रीभगवान कुशवाहा 2014 में आरा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत पाए। पराजय के बाद फिर घर बदलने का मन बना। उपेंद्र कुशवाहा 2013 में रालोसपा के नाम से नई पार्टी बना चुके थे। राजद टिकट पर चुनाव हारने के बाद श्रीभगवान सिंह 2015 में  रालोसपा में शामिल हो गए। उस समय रालोसपा एनडीए की पार्टनर थी। जदयू अलग हो गया था। 2018 में रालोसपा का एनडीए से अलगाव हो गया। श्रीभगवान सिंह उससे अलग होकर जदयू में आ गए। 

जदयू ने बेटिकट किया

पिछले साल विधानसभा का चुनाव हुआ। जदयू ने श्रीभगवान सिंह को बेटिकट कर सुशुमलता को उम्मीदवार बनाया। बेटिकट होने के बाद निराश हुए श्रीभगवान ने क्षण भर की भी देरी नहीं की। दिन में बेटिकट हुए। शाम में नए घर में चले गए। नया घर यानी लोक जनशक्ति पार्टी। लोजपा ने उन्हें जगदीशपुर से उम्मीदवार बनाया। लेकिन, जनता ने स्वीकार नहीं किया। परिणाम निकला तो श्रीभगवान सिंह दूसरे नम्बर पर रहे। जदयू उम्मीदवार को तीसरा स्थान मिला। वही श्रीभगवान सिंह कुशवाहा शनिवार को जदयू वाले घर में वापस हो गए। 


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