उम्मीदें वाली नई सुबह: नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी का ये है प्लान
New Hopes in Bihar Politics बिहार की राजनीति और समाज को 2022 से नई उम्मीदें हैं। आज दीवारों पर लटके कैलेंडर बदल गए हैं। समान चाल से चलता वर्ष 2021 गुजर गया है और 2022 का आगमन हो गया है। हर नया साल उम्मीदों से भरा होता है।
पटना, आलोक मिश्र। आज दीवारों पर लटके कैलेंडर बदल गए हैं। समान चाल से चलता वर्ष 2021 गुजर गया है और 2022 का आगमन हो गया है। हर नया साल उम्मीदों से भरा होता है। इसलिए बिहार भी ऐसी ही उम्मीदें पाले है। कोरोना की तीसरी लहर की आहट के बीच समाज में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यात्रा जारी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव विवाह के बंधन में बंधकर नूतन वर्ष में अपने भाग्य परिवर्तन की आस लगाए हैं। सरकार के सहयोगी हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी फिलहाल ब्राह्मणों के विरुद्ध मोर्चा खोल नए वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं और दूसरे सहयोगी वीआइपी (विकासशील इंसान पार्टी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी की उम्मीद उत्तर प्रदेश के चुनाव पर टिकी है।
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समाज सुधार अभियान पर निकले मुख्यमंत्री
हर सख्ती के बावजूद शराब पर रोक लगाने में पूर्णतया सफलता न मिलती देख जाते वर्ष के आखिर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता से सीधे संवाद को ठानी। इसके लिए वे समाज सुधार अभियान पर निकले हुए हैं और गांधी के सिद्धांतों, शराब के दुष्परिणामों, शराबखोरों व इसकी कालाबाजारी करने वालों पर हुई कार्रवाई के बारे में बताकर इससे दूर रहने की शपथ दिला रहे हैं। महिलाएं समर्थन करती हैं तो उनका जोश बढ़ जाता है। जनता और अपने बीच संवाद के दौरान आने वाले किसी भी व्यवधान को वह बर्दाश्त नहीं करते। नीतीश एक नशाविहीन समाज की स्थापना के प्रति कृतसंकल्पित दिखते हैं। अपने इस प्रयास से उन्हें उम्मीद है कि यह नया साल बदलाव का वाहक बनेगा। अभी उनकी यात्रा 15 जनवरी तक जारी रहनी है। हालांकि कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए इस यात्रा के अपने अंतिम पड़ाव तक पहुंचने को लेकर संशय भी व्याप्त हो गया है, फिर भी उम्मीद तो उम्मीद होती है। नीतीश कुमार इसी उम्मीद के सहारे समाज को जगाकर एक नई क्रांति की आस में हैं।
नए वर्ष का उल्लास घरों में सिमटा
नए वर्ष का उल्लास कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए घर में ही सिमट गया है। होटलों, पार्क, पिकनिक स्पाट खामोशी में लिपटे हैं। संक्रमितों की संख्या हर दिन दोगुनी रफ्तार से बढ़ने लगी है और उससे निपटने की तैयारी में सरकार जुट गई है। गुरुवार को ओमिक्रोन का पहला मरीज मिल जाने से दहशत कुछ बढ़ गई है। हालांकि पिछली गलतियों से सबक लेकर इस बार सारी तैयारी पहले से ही पूरी कर ली गई है। इस बीच 15 से 18 वर्ष के किशोरों का टीकाकरण भी सोमवार से शुरू हो रहा है। नए वर्ष में स्वागत को खड़ा कोरोना सभी को पर्याप्त सावधानी बरतने की चेतावनी दे रहा है।
समाज सुधार यात्रा पर सवाल
कहा जाता है कि व्यक्ति का भाग्य विवाह के पश्चात भी करवट लेता है। सत्ता से चंद कदम दूर ठिठक, नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी हासिल करने वाले तेजस्वी यादव अब विवाह बंधन में बंध गए हैं। राजनीति पर उनकी वाणी फिलहाल उतनी मुखर नहीं है, जितनी प्राय: होती है। अभी वे अपना पासपोर्ट निर्गत कराने की जुगत में हैं, ताकि सपत्नी हनीमून पर विदेश जा सकें। फिर भी बीच-बीच में सरकार पर तंज कस वे अपनी मौजूदगी दर्ज करा देते हैं। गुरुवार को वे दिल्ली से पटना आए और नीतीश की समाज सुधार यात्र पर सवाल खड़ा कर गए। सत्तारूढ़ दलों की आपसी रस्साकशी के कारण नए वर्ष से उनकी भी काफी उम्मीदें बंधी हैं। उत्तर प्रदेश चुनाव के बाद हालात बदलने की उनकी भी आस उम्मीदें सजोंए है।
बेबाक बोल के लिए चर्चित रहते हैं मांझी
अपने बेबाक बयानों से हमेशा चर्चित रहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी इस समय ब्राह्मणों के खिलाफ बयानबाजी कर चर्चा में हैं। उन्होंने अपने लोगों से कह दिया कि तुम बाह्मणों से पूजा करवाते हो, जो तुम्हारे यहां भोजन तक नहीं करता है या भोजन करने पर पैसा लेता है। इस पर भाजपा के एक नेता गजेंद्र झा ने उनकी जबान काटने पर 11 लाख रुपये का पुरस्कार घोषित कर दिया। अपने सहयोगी दल के मुखिया के खिलाफ पार्टी के नेता के इस बयान को गंभीरता से लेते हुए भाजपा ने उन्हें निलंबित कर इस प्रकरण को ठंडा करने का प्रयास किया, लेकिन मामला तूल पकड़ गया। इसके बाद मांझी ने ब्राह्मण-दलित भोज कराने की घोषणा कर दी। अब भोज हो गया है और कुछ ने भोजन भी कर लिया, लेकिन मामला ठंडा नहीं हुआ है। नए वर्ष में मांझी के और कड़े तेवर दिख सकते हैं।
यूपी के अखाड़े में ताल ठाेंक रहे मुकेश सहनी
सरकार के एक और सहयोगी वीआइपी (विकासशील इंसान पार्टी) के अध्यक्ष मुकेश सहनी इस समय उत्तर प्रदेश के अखाड़े में ताल ठोक रहे हैं। भाजपा से गठबंधन की आस टूटने पर वह निषाद बाहुल्य 165 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं। देखना होगा कि नया साल उनके लिए कैसा होता है।