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जर्मनी-यूके में रह रहे बिहारी नवादा के बच्चों को देंगे आनलाइन शिक्षा

जर्मनी-यूके में रह रहे बिहारवासी नवादा जिले के बच्चों को आनलाइन शिक्षा देंगे। छोटे-छोटे बच्चों को डिजिटल के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। वहीं दसवीं-बारहवीं पास छात्र-छात्राओं की कैरियर काउंसलिग भी की जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 Oct 2021 10:04 PM (IST)Updated: Sat, 02 Oct 2021 10:04 PM (IST)
जर्मनी-यूके में रह रहे बिहारी नवादा के बच्चों को देंगे आनलाइन शिक्षा

कुमार गोपी कृष्ण, नवादा : जर्मनी-यूके में रह रहे बिहारवासी नवादा जिले के बच्चों को आनलाइन शिक्षा देंगे। छोटे-छोटे बच्चों को डिजिटल के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। वहीं दसवीं-बारहवीं पास छात्र-छात्राओं की कैरियर काउंसलिग भी की जाएगी। इसके लिए मेसकौर प्रखंड के पूर्णाडीह गांव में गांधी जयंती के अवसर पर बुनियादी शिक्षा केंद्र खोला गया। कौशल्या फाउंडेशन नामक एक संस्था इस केंद्र का संचालन करेगी। ग्रामीणों के सहयोग से इस केंद्र को खोला गया है। यहां एक स्मार्ट टीवी लगाई गई है। इंटनरेट कनेक्शन उपलब्ध कराया गया है। डिजिटल लाइब्रेरी की भी व्यवस्था की जा रही है। केंद्र शुभारंभ के अवसर पर डिजिटल माध्यम से बापू की जीवनी के बारे में दिखाया गया। चित्रांकन प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। जिसमें प्रथम पुरस्कार रजनी कुमारी, द्वितीय पुरस्कार अमन कुमार और तृतीय पुरस्कार अंकित कुमार को दिया गया। विक्रम कुमार और खूशबु कुमारी को सांत्वना पुरस्कार दिया गया। इस प्रतियोगिता में 40 बच्चों ने भाग लिया। बता दें कि पूर्णाडीह गांव की पूरी आबादी अनुसूचित वर्ग की है। यहां अधिकांश परिवार दैनिक मजदूरी का भरण-पोषण करते हैं।

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प्रतिदिन चार घंटे चलेगा क्लास

- बुनियादी शिक्षा केंद्र में प्रतिदिन चार घंटे क्लास चलेगा। दो बजे से चार बजे तक बच्चों को पढ़ाया जाएगा। महीने में एक बार बिहार फ्रेटरनिटी ग्रुप से जुड़े जर्मनी, यूके में रहने वाले बिहार वासी शिक्षा और कैरियर से जुड़ी अहम जानकारी देंगे। वहीं संस्था के रौशन कुमार प्रतिदिन गांव जाकर बच्चों को डिजिटल माध्यम से पढ़ाएंगे। इस कार्य में गांव में ही रह रही स्नातक पास सोनी देवी की भी मदद ली जाएगी। उन्हें डिजिटल तकनीकों के बारे संस्था प्रशिक्षित करेगी। संस्था के अविनाश कुमार ने बताया कि बिहार फ्रेटरनिटी ग्रुप में वैसे लोग जुड़े हैं जो बिहार के रहने वाले हैं और दूसरे देशों में अच्छे-अच्छे पदों पर काम कर रहे हैं।

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गांव के लोगों ने किया सहयोग

- बच्चों की शिक्षा-दीक्षा को लेकर ग्रामीणों ने काफी सहयोग किया। किसी ने अपना कमरा उपलब्ध कराया तो किसी ने बच्चों के बैठने के लिए दर्री की व्यवस्था की। किसी ने कमरे के दरवाजे की मरम्मत कराई। ग्रामीणों का मानना है कि अच्छी शिक्षा पाकर बच्चे अपने भविष्य को संवार सकेंगे। कौशल्या फाउंडेशन के मैनेजिग ट्रस्टी कौशलेंद्र ने बताया कि शिक्षा से ही अज्ञानता रूपी अंधकार पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। वैसे सुदूर गांव जहां सुविधाओं का अभाव है, वहां तक आधुनिक तकनीक से डिजिटल शिक्षा प्रदान करने का उद्देश्य है। ताकि हर कोई अपनी आंखों में समृद्ध बिहार का सपना संजो सके। इस अवसर पर खुशबू कुमारी, साहिल कुमार, राहुल कुमार, रौशन कुमार, करन कुमार, कारी देवी उपस्थित थे।


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