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जीर्ण-शीर्ण अवस्था में अकबरपुर संगत भवन, जीर्णोद्धार की दरकार

-तीन सौ साल पुराने भवन के निर्माण में सुर्खी-चूना और बड़े-बड़े लाल ईंट का किया गया है इस्तेमाल -भवन के मुख्य और पीछे के द्वार पर नक्काशी देखते ही बनती -प्रशासन और सरकार की उदासीनता के कारण मिट रहा अस्तित्व ---------- -1719 में श्री महंत गुरुबक्स दास ने की थी संगत भवन की स्थापना -1989 में श्री महंत अजय बक्स दास ने महंत नेपाल बक्स को सौंपी जिम्मेदारी ---------- फोटो-010203 -------------------

By JagranEdited By: Published: Fri, 19 Jun 2020 10:46 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jun 2020 10:46 PM (IST)
जीर्ण-शीर्ण अवस्था में अकबरपुर संगत भवन, जीर्णोद्धार की दरकार

मनोज कुमार, अकबरपुर (नवादा)

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अकबरपुर स्थित ऐतिहासिक संगत भवन जर्जर अवस्था में असहाय होकर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके भवन की सुध नहीं ली गई तो वजूद मिट्टी में मिलना तय है। लगभग 20 एकड़ में फैले संगत परिसर में दो मंजिला विशाल भवन बना है। यहां अस्तबल, गजबल, रसोई घर, संत-शिष्यों के रहने के लिए आवास के अलावा कई अन्य छोटे-छोटे भवन हैं। तीन सौ साल पुराने संगत भवन के निर्माण में सुर्खी-चूना और बड़े-बड़े लाल ईंट का इस्तेमाल किया गया। भवन के मुख्य और पीछे के द्वार पर नक्काशी देखते ही बनती है। प्रशासन और सरकार की उदासीनता के कारण यह भवन अपनी पहचान खो रहा है।

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भवन का इतिहास

संगत के वर्तमान महंत नेपालबक्स दास कहते हैं, भगवान श्रीचंद जी महाराज की याद में वर्ष 1719 ई. में श्री महंत गुरुबक्स दास ने इसकी स्थापना की थी। वर्ष 1989 में श्री महंत अजय बक्स दास ने इसे महंत नेपाल बक्स को सौंप दी, जो आजतक संगत की सेवा कर रहे हैं। वे अपने सहयोग के लिए राघवेंद्र दास को शिष्य के रूप में बहाल किए हैं।

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स्वतंत्रता सेनानी करते थे मंत्रणा

आजादी की लड़ाई के समय इस भवन में अंग्रेजों से छुप कर रणनीति बनाई जाती थी। क्षेत्र के बुजुर्गो के अनुसार, देश के कई नामी गिरामी स्वतंत्रता सेनानी इस भवन में गुप्त मंत्रणा करने आते थे।

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भगवान श्रीचंद की प्रतिमा स्थापित

भवन में भगवान श्रीचंद की प्रतिमा स्थापित है। रोज सुबह-शाम उनकी आरती की जाती है। खासकर हिदू समाज में संगत की गद्दी के अंदर कोई किसी की घटना को लेकर झूठी कसमें खाने से भी परहेज करते हैं। मान्यता है कि झूठी कसमें खाने पर कुछ ना कुछ अनहोनी हो जाती है।

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डाक बंगला भी जर्जर

यहां आए साधु-संत और अतिथियों के ठहरने के लिए एक डाक बंगला भी बना हुआ है। उसकी भी हालत जर्जर है। डाकबंगले के सभी दरवाजे और खिड़कियां शरारती तत्वों ने उखाड़ लिए गए हैं। दीवारों में जगह-जगह दरारें हैं। आधी से ज्यादा छत टूट कर गिर चुकी हैं।

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कई शिक्षण संस्थान

संगत की भूमि पर

स्थानीय बाजार में जितने भी सरकारी शिक्षण संस्थान हैं, वे सभी अकबरपुर संगत की जमीन पर संचालित है। इनमें इंटर विद्यालय, मध्य विद्यालय, कन्या मध्य विद्यालय, नवनिर्मित प्रोजेक्ट साधो लाल साह कन्या इंटर विद्यालय शामिल हैं। अनुमंडल फतेहपुर मोड़ पर निर्माण होता तो वह भी संगत की जमीन पर ही होता। आज इस जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। यह जमीन गुरुचक मौजे में पड़ती है। इसी तरह रजौली संगत, राजगीर संगत, देवघर का संगत, अकबरपुर संगत का ही हिस्सा है। संगत के अध्यक्ष स्थानीय अनुमंडल पदाधिकारी होते हैं जबकि संगत के महंत सचिव कहलाते हैं।

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सांसद, विधायक, विधान पार्षद सहित कई जनप्रतिनिधियों से मिलकर संगत भवन के जीर्णोद्धार के लिए कहा गया, लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। इसके कारण अब संगत भवन अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।

श्री नेपाल बॉक्स दास, महंत, अकबरपुर संगत

फोटो- 03


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