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दारोगा के निलम्बन पर फंसा है पेंच

संवाद सहयोगी, नवादा : सिगरेट लूट मामले में रजौली थाना में कार्यरत अनि श्यामदेव पासवान के निलम्बन पर

By Edited By: Published: Mon, 22 Dec 2014 06:25 PM (IST)Updated: Mon, 22 Dec 2014 06:25 PM (IST)

संवाद सहयोगी, नवादा : सिगरेट लूट मामले में रजौली थाना में कार्यरत अनि श्यामदेव पासवान के निलम्बन पर पेंच फंसना लगभग तय माना जा रहा है। इसके पूर्व इसी मामले में निलम्बित किये गये श्यामदेव चौधरी का निलम्बन आरक्षी अधीक्षक ने वापस ले गलती में सुधार कर दिया है।

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क्या है मामला

-गत 17 दिसम्बर की रात राजमार्ग संख्या 31 पर अकबरपुर थाना क्षेत्र के फतेहपुर मोड़ के पास मुंगेर से कोलकाता जा रही सिगरेट लदी ट्रक को अपराधियों ने लूट लिया था। 18 दिसम्बर को ट्रक रजौली के हरदिया में बंद पड़े कोयला गोदाम से पुलिस ने बरामद किया था जिसमें 60 कार्टून सिगरेट पड़ा था। वाहन लूट की सूचना अकबरपुर थाने को चालक ने करीब दस बजे रात में दी,लेकिन पुलिस ने किसी प्रकार की नोटिस लेना उचित नहीं समझा। मौके पर पहुंचे एसपी डा. परवेज अख्तर ने बगैर सोचे समझे अनि श्यामदेव चौधरी को घटना के लिये दोषी मानते हुए तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया। जब उन्हें अपनी भूल का अहसास हुआ तो 19 दिसम्बर को अपना आदेश वापस लेते हुए अनि श्यामदेव पासवान को निलंबन का आदेश जारी कर दिया। पुलिस सूत्रों का मानना है कि पासवान की रात्री गश्ती 10 बजे से प्रारंभ हुई। इसके पूर्व ही अपराधी अपना काम तमाम कर चुके थे। इसके पूर्व अजीत कुमार संध्या गश्ती में थे। आम तौर संध्या गश्ती वाले थाने में करीब साढ़े दस बजे प्रवेश करते हैं तब कहीं रात्री गश्ती के लिये लोग निकल पाते हैं। ऐसे में बगैर सोचे समझे निलम्बन की सजा न्यायोचित नहीं कही जा सकती। वैसे पासवान ने एसपी के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए निलम्बन से मुक्त किये जाने की गुहार लगायी है।

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अकबरपुर को मिली राहत

-पुलिस सूत्रों का मानना है कि अमूमन जहां से घटना की शुरूआत होती है प्राथमिकी वहीं दर्ज होती है। घटना की शुरूआत न केवल अकबरपुर थाना क्षेत्र से हुआ बल्कि चालक ने सूचना भी अकबरपुर को ही दी थी न कि रजौली को। चूंकि अकबरपुर थानाध्यक्ष फिलहाल पिछले करीब एक माह से अस्वस्थ चल रहे हैं तथा चलने से लाचार हैं ऐसी परिस्थिति में उन्हें जिम्मेवारी से मुक्त करते हुए जबरन मामले को रजौली के गले मढ़ दिया गया। अब प्रश्न उठता है कि जब रजौली गश्ती दल पदाधिकारी को निलम्बित किये जा सकते हैं तो अकबरपुर क्यों नहीं? ऐसे में व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वभाविक है।


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