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सोच हुई साकार, सात को उपराष्ट्रपति के कंधे पर सजेगा नालंदा अंगवस्त्रम

यह खंडहर किस स्वर्ण-अजिर का? धूलों में सो रहा टूटकर रत्नशिखर किसके मंदिर का? अपनी ऐतिहासिक विरासतों की रक्षा का आह्वान करती राष्ट्रकवि दिनकर की इन पंक्तियों से प्रेरित होकर ही नालंदा अंगवस्त्रम् के निर्माण की संकल्पना सामने आई है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 05 Nov 2021 09:32 PM (IST)Updated: Fri, 05 Nov 2021 09:32 PM (IST)
सोच हुई साकार, सात को उपराष्ट्रपति के कंधे पर सजेगा नालंदा अंगवस्त्रम

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : यह खंडहर किस स्वर्ण-अजिर का? धूलों में सो रहा टूटकर रत्नशिखर किसके मंदिर का? अपनी ऐतिहासिक विरासतों की रक्षा का आह्वान करती राष्ट्रकवि दिनकर की इन पंक्तियों से प्रेरित होकर ही नालंदा अंगवस्त्रम् के निर्माण की संकल्पना सामने आई है। देश-दुनिया में ज्ञान के सनातन प्रतीक नालंदा विश्वविद्यालय की स्मृति को जीवित रखने के लिए नालंदा मेमोरियल फाउंडेशन ने नालंदा अंगवस्त्रम् के निर्माण का संकल्प लिया। अब नालंदा विश्वविद्यालय में आयोजित होने जा रहे छठे अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन में मुख्य अतिथि उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को नालंदा अंगवस्त्रम् से सम्मानित करने की तैयारी चल रही है। सात नवंबर से शुरू हो रहे इस आयोजन में भाग लेने वाले देश-विदेश के सभी मंचासीन अतिथियों को भी नालंदा अंगवस्त्रम् भेंट किया जाएगा। यह जानकारी नालंदा मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष नीरज कुमार ने दी। गुरुवार को नीरज कुमार, प्रोफेसर श्रीकांत सिंह, नरेन्द्र कुमार शर्मा, परीक्षित नारायण सुरेश, पत्रकार रामविलास, दिल्ली से आए पत्रकार पुरुषोत्तम नवीन समेत जिले के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सिलाव के नेपुरा ग्राम का दौरा कर नालंदा अंगवस्त्रम् के निर्माण कार्य का जायजा लिया।

दिनकर स्मृति न्यास ने हाल ही में बुनकरी के लिए मशहूर नेपुरा गांव के बुनकर विजय कुमार को पांच सौ अंगवस्त्रम् तैयार करने का पहला ऑर्डर दिया था। तसर वस्त्र पर बनाए गए अंगवस्त्रम् के दोनों ओर विश्व धरोहर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेष का चित्र उकेरा गया है। नेपुरा बावन बूटी साड़ी के निर्माण के लिए विख्यात रहा है। यहां के बावन बूटी साड़ी विदेशों में भी लोकप्रिय हैं। नालंदा मेमोरियल फाउंडेशन का यह प्रयोग भारतीय संस्कार को ग्रामीण रोजगार से जोड़ने का काम करेगा। फाउंडेशन के देशव्यापी सांस्कृतिक और साहित्यिक आयोजनों में शिरकत करने वाले अतिथियों को नालंदा अंगवस्त्रम् से सम्मानित करने की परंपरा शुरू की जा रही है। नीरज कुमार ने बताया कि इससे न सिर्फ शिक्षा और ज्ञान को लेकर नालंदा विश्वविद्यालय के प्रतीक चिह्न की प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय बुनकरों की राष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिग भी होगी। इससे स्वदेशी और मेक इन इंडिया अभियान को भी बल मिलेगा। इसके साथ ही, 'अमृत वर्ष' के रूप में मनाए जाने वाले स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के अवसर पर आयोजित होने जा रहे 'स्वराज पर्व' में भाग लेने वाले अतिथियों को भी नालंदा अंगवस्त्रम् से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास द्वारा आगामी 19 दिसंबर से 2 जनवरी तक वाराणसी में 'स्वराज पर्व' का आयोजन किया जाएगा। नालंदा अंगवस्त्रम् पांचवीं से बारहवीं सदी तक दुनिया में ज्ञान का परचम लहराने वाले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की ख्याति की स्मृति को जीवित रखने का भी माध्यम बनेगा। नालंदा प्राचीन भारतीय संस्कृति-सभ्यता और शिक्षा का वैश्विक प्रतीक है। गौरतलब है कि नालंदा अंगवस्त्रम् के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा देने की मांग करते हुए नालंदा मेमोरियल फाउंडेशन की ओर से हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी एक पत्र भेजा गया है।


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