Move to Jagran APP

World Tuberculosis Day 2021: जब अपनों का मिला साथ, टीबी को दे दी मात

World Tuberculosis Day 2021 पूरे कोर्स से मात्र छह महीने में क्योर हुए दिवाकर अब दूसरे को दे रहे शिक्षा। सरकारी अस्पताल में मिल रही मुफ्त जांच व इलाज की सुविधा। 2019 में टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़कर करीब सौ मरीजों की खोज कर कराया इलाज।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 09:38 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 09:38 AM (IST)
गाइडलाइन के मुताबिक छह महीने की नियमित दवा का सेवन किया और वह क्योर हो गए।

मुजफ्फरपुर, [अमरेंद्र तिवारी]। तीन महीने की लंबी खांसी, बुखार व वजन घटने लगा तो मन की चिंता दोगुनी हो गई। इस बीच गांव स्तर पर इलाज कराकर थक गया था। जब जांच कराई तो पता चला कि टीबी से ग्रसित हैं। इतना कहकर दिवाकर भावुक हो गए। कुढऩी के मोरनीश्प गांव के दिवाकर ने जानकारी होने के बाद सरकारी गाइडलाइन के मुताबिक छह महीने की नियमित दवा का सेवन किया और वह क्योर हो गए। 

loksabha election banner

चिकित्सक के सलाह पर लेते रहे दवा

दिवाकर कहते हैं मुझे या मेरे घर में टीबी के बारे में किसी को पता नहीं था। जुलाई 2015 में एक सामूहिक कार्यक्रम में गए थे। उसी रात से मुझे खांसी आनी शुरू हुई। धीरे-धीरे बुखार भी रहने लगा। इन लक्षणों को मामूली समझ गांव में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर से दवा ली और उसे खाया। कोई सुधार नहीं हुआ। इसपर मुजफ्फरपुर में एक डॉक्टर से दिखाने और बलगम जांच कराने के बाद पता चला कि टीबी है। जब यह बात गांव के लोगों को पता चली तो तो सामाजिक परेशानी बढ़ी। जिन बच्चों को ट््यूशन पढ़ाता था अभिभावकों ने उनको आने से मना कर दिया। जान-पहचान के बुजुर्ग कहते थे कि अब मैं नहीं बचूंगा। मैंने लोगों की बातों को दूर और दवाइयों को पास रखा। इसका नतीजा रहा कि चार महीने बाद ही बलगम जांच निगेटिव हो गई, लेकिन दवाइयों का सेवन कोर्स के अनुसार करता रहा। छह महीने दवा खाने के बाद मैं पूरी तरह ठीक हो गया।

टीबी का है इलाज यह बनी समाज की धारणा

दिवाकर कहते हैं कि जब वह क्योर हो गए तो गांव के बुजुर्गों की गलत धारणा टीबी के प्रति मिट गई। वह समझ गए कि अब इसका संपूर्ण इलाज संभव है। मेरे इलाज के तरीके और दवाओं के बारे में वह अक्सर प्रश्न पूछते थे। मैंने उन्हें बताया कि टीबी का इलाज अब सरकारी अस्पतालों पर पूर्णत: उपलब्ध है और वह भी मुफ्त में। इसके बाद मैंने खुद भी ठाना कि अब टीबी के मरीजों को जागरूक करूंगा। 2019 में टीबी मुक्त वाहिनी से जुड़ा और अभी तक करीब सौ मरीजों की खोज कर उन्हें इलाज के लिए प्रेरित कर चुका हूं। यह सिलसिला जारी है।

जिले में 4525 मरीजों में 3738 हुए क्योर

जिले में 4525 मरीज की पहचान हुई। इसमें 3758 मरीज क्योर हुए हंै। सबसे ज्यादा मीनापुर में 549 मरीज मिले। इनमें 528 क्योर हुए। गायघाट दूसरे स्थान पर रहा, जहां 416 मरीज मिले उसमें से 399 क्योर हुए।जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ.अमिताभ सिन्हा ने कहा कि दिवाकर की प्रेरणा से टीबी रोगी इलाज कराने आगे आ रहे हैं। अगर दो सप्ताह से ज्यादा दिन से खांसी है तो टीबी हो सकती है। लक्षण दिखें तो निकट के सरकारी अस्पताल पर आएं। जांच के बाद पहचान होने पर टीबी की दवा निशुल्क है। इलाज के क्रम को पोषणहार की राशि भी सरकार की ओर से मिल रही है।

यह भी पढ़ें: ब‍िहार सीएम नीतीश कुमार पर हसनपुर व‍िधायक तेज प्रताप का तंज, की तैनु "हाफ़ पैंट" सूट करदा..

यह भी पढ़ें: Holi 2021: बिहार के भिरहा में वृंदावन वाली होली, समरसता की पिचकारी से बरसता उल्लास का रंग

यह भी पढ़ें:  मुजफ्फरपुर: इनकी दोस्ती की मिसाल दी जाती थी, दुश्मनी ऐसे हुई कि पीट-पीटकर जान ही ले ली


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.