मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन पर लिए जा रहे कोरोना सैंपल की रिपोर्ट आने में हो रही देरी, उठ रहे सवाल
अगर यात्री की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होती है तो वह और कितनों के बीच संक्रमण फैला चुका होगा। इससे आम जनता क्या कोरोना फ्री हो पाएगा। रेलवे क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम इसलिए लगाई गई कि रेल क्षेत्र में प्रतिदिन आने-जाने वाले यात्रियों की कोरोना जांच हो।
मुजफ्फरपुर, जासं। रेलवे स्टेशन पर यात्रियों से लिए जा रहे कोरोना सैंपल की टेस्ट रिपोर्ट काफी देरी से आ रही है। इसको लेकर रेल क्षेत्र और आम जनता में हलचल मची हुई है। लोग इस पर कई तरह के सवाल उठा रहे हैं। इतनी देर से कोरोना रिपोर्ट आने पर संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ सकता है। एक रेल यात्री मृणाल मिश्रा ने बताया कि मुजफ्फरपुर जंक्शन पर उनके एक साथी की कोरोना रिपोर्ट सात दिनों बाद मोबाइल पर आई। मैसेज को एप के माध्यम से डाउनलोड करना होगा। उसके बाद ही सारी जानकारी मिल पाएगी। तब यात्री का रेल यात्रा पूरा हो चुका होगा। ऐसे में अगर यात्री की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव होती है तो वह और कितनों के बीच संक्रमण फैला चुका होगा। इससे आम जनता क्या कोरोना फ्री हो पाएगा। रेलवे क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम इसलिए लगाई गई कि रेल क्षेत्र में प्रतिदिन आने-जाने वाले यात्रियों की कोरोना जांच हो और उसकी रिपोर्ट 24 घंटे के भीतर उपलब्ध हो जाए। उसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।
बैकलॉग में छह हजार यात्रियों की जांच
मुजफ्फरपुर जंक्शन के तीन प्रमुख जगहों पर कोरोना जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम बैठाई गई है। रेल प्रशासन के आदेश पर हर आने-जाने वाले रेल यात्रियों का मुंह, नाक व गला से स्वाब का सैंपल लिया जाता है। फिर सभी सैंपल को जमा कर सदर अस्पताल भेजा जाता है। वहां से जांच के लिए एसकेएमसीएच भेजा जाता है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों के अनुसार एसकेएससीएच में सैंपल देरी से भेजा जा रहा। अभी छह हजार यात्रियों के सैंपल सदर अस्पताल में पड़ेे हैंं। रिपोर्ट देरी से आने का एक यह भी कारण बताया जा रहा। रेल यात्रियों को यात्रा के दौरान रिपोर्ट देने नहीं मिलने से परेशान हैं।
पुलिस का नहीं मिल रहा सहयोग
स्टेशन के सभी निकास द्वार पर टीटीई और पुलिस का पहरा लगा हुआ है। स्वाब जांच के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की टीम स्टेशन के तीन तरफ तैनात हैं। लेकिन पुलिस, टीटीई का सहयोग नहीं मिलने से बिना जांच कराए कई यात्री टे्रन पकडऩे के लिए निकल जा रहे। शुरू में सख्ती थी तो पुलिस वाले सहयोग कर रहे थे। इधर, मामला ढीला-ढाला चल रहा। स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या भी कम है। इसलिए रेल पुलिस और आरपीएफ को हाथ बंटाना जरूरी है। लेकिन वे लोग भी कहीं अलग घूमने या मोबाइल पर मसगूल रह रहे। वहीं टीटीई भी कोरोना जांच की कोई पर्ची नहीं मांगते। इसके कारण प्रतिदिन दर्जनों रेल यात्री बिना कोरोना जांच के ही विभिन्न ट्रेनों में चढऩे के लिए निकल जा रहे।