पटना, जागरण संवाददाता: राजधानी समेत प्रदेश भर में मौसम का मिजाज फिर बिगड़ेगा। उत्तरी भागों के कुछ स्थानों पर बादल की सघनता बने होने से दिन के तापमान में कमी आने से मोतिहारी में कोल्ड डे की स्थिति बनी रही। वहीं, अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सिवान में कोल्ड डे की स्थिति बनने की संभावना है। इन जगहों पर तीन दिनों तक कोहरे का प्रभाव बना रहेगा। 

मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव पश्चिमी हिमालय तक बना हुआ है। इनके प्रभाव से प्रदेश के उत्तरी भागों में बादल छाए रहने से सर्द हवा के कारण अत्यधिक ठंड का प्रभाव बना रहेगा। रविवार को उत्तर बिहार के तापमान में भारी गिरावट आने के कारण कोल्ड डे की स्थिति बनी रही। पछुआ हवा के प्रवाह से 7.8 डिग्री सेल्सियस सबसे कम न्यूनतम तापमान भागलपुर के बांका में दर्ज किया गया।

पटना में इतना रहा न्‍यूनतम और अधिकतम तापमान

वहीं, पटना का न्यूनतम तापमान 0.9 डिग्री की गिरावट के साथ 11.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। रविवार को राजधानी समेत प्रदेश के औरंगाबाद, रोहतास, जमुई, शेखपुरा, बांका, पूर्वी चंपारण, वाल्मीकि नगर के न्यूनतम तापमान में गिरावट आने के साथ अन्य जिलों के तापमान में आंशिक वृद्धि दर्ज की गई।

मुजफ्फरपुर: सुबह कुहासा, दिन में धूप; नरम रहे ठंड के तेवर 

मुजफ्फरपुर में सुबह कुहासा तो दिन में धूप निकलने से ठंड के तेवर नरम रहे। वहीं, अधिकतम व न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। वरीय मौसम विज्ञानी डा.ए.सतार ने कहा कि धीरे-धीरे मौसम में गर्मी बढ़ेगी और दो दिनों तक सुबह में कुहासा रहेगा, उसके बाद इसका असर कम हो जाएगा। बताया कि सुबह में कुहासा रहने के बाद भी दिन में धूप निकलेगी। धीरे-धीरे ठंड की वापस हो जाएगी।

इधर, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक डा.विकास दास ने मौसम में बदलाव के बीच किसानों को लीची के लिए अलर्ट किया है। उन्होंने लीची उत्पादक किसानों के लिए हेल्प लाइन नंबर जारी किए हैं। इस बीच रविवार को जलवायु परिवर्तन पर उच्च अध्ययन केंद्र डा.राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसार, अधिकतम तापमान 24.2 डिग्री सेल्सियस पर जाकर थमा। यह सामान्य से 0.3 डिग्री ज्यादा रहा। वहीं, न्यूनतम तापमान 12.5 जो सामान्य से 3.4 डिग्री सेल्सियल ज्यादा रहा। सापेक्ष आद्रता सुबह सात बजे 100 व दोपहर दो बजे 65 प्रतिशत रही। 2.2 किलोमीटर की गति से दक्षिण-पश्चिमी हवा चली।

लीची के बाग पर नजर रखें किसान 

राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक ने कहा कि लीची के किसानों को अब सावधान हो जाने का वक्त आ गया है। बागों में पिछले वर्ष की तरह इस बार भी लीची के मंजर व फलों को चट करने वाला स्टिंक बग नामक नाशीकीट (टेस्साराटोमा जावानिका प्रजाति) के हमले का समय आ गया है। साथ ही फ्लावर वेबर कीट का प्रभाव अभी ही होता है। इससे बचाव को लेकर सावधान नहीं हुए तो नुकसान उठाना पड़ सकता है। बचाव के लिए किसानों को सामूहिक प्रयास करने चाहिए।

स्टिंक बग कीट के नवजात व व्यस्क दोनों ही पौधों के ज्यादातर कोमल हिस्सों, बढ़ती कलियां और कोमल अंकुर से रस चूसते हैं। इससे ये सूख जाते हैं और बाद की अवस्था में फल काले पड़ जाते हैं। रस चूसने से फूल व फल गिरते हैं। व्यस्कों का झुंड लीची वृक्ष पर फरवरी के पहले सप्ताह से शुरू होता है और दूसरे सप्ताह के दौरान अंडे का समूह नवोदित पत्तियों की निचली सतह पर देखा जा सकता है। व्यस्क व नवजात दोनों ही अशांत किए जाने पर आक्रामक गंध को बाहर निकालने में सक्षम होते हैं।

केंद्र के प्रदान विज्ञानी ने दी जानकारी

केंद्र के प्रधान विज्ञानी (पादप रोग) डा.विनोद कुमार ने बताया कि स्टिंक बग के प्रकोप से बचाने के लिए अभी उपयुक्त समय है। साथ ही फ्लावर वेबर के प्रकोप की भी शुरुआत अभी होती है। अनुसंशित कीटनाशी का छिड़काव कर लीची की फसल को स्टिंक बग व फ्लावर वेबर कीट से बचाना अत्यंत आवश्यक है नहीं तो भयावह स्थिति हो सकती है।

लीची अनुसंधान केंद्र के इन नंबरों पर करें संपर्क किसानों के लिए राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए है। लीची उत्पादक किसान निदेशक से मोबाइल नंबर 9431813884 या विशेषज्ञ विज्ञानी के मोबाइल नंबर 9162601559 व वाट्सएप नंबर 7808905961 से संपर्क कर आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।डा.दास ने कहा कि लीची उत्पादक किसान की हर समस्या का निदान होगा। 

ऐसे करें कीटों से बचाव

डा.दास ने कहा कि थियाक्लोप्रिड 21.7 प्रतिशत एससी (0.5 मिली/ली), फिप्रोनिल पांच प्रतिशत एससी (1.5 मिली/ली) प्रति लीटर पानी या थियाक्लोप्रिड 21.7 प्रतिशत एससी (0.5 मिली/ली), प्रोफेन्फोस 50 प्रतिशत एससी (1.5 मिली/ली) प्रति लीटर पानी से पहला स्प्रे सात से 10 फरवरी और दूसरा 17 से 20 फरवरी के बीच करें। जमीन पर गिरे कीटों को झाड़ू से एकत्र कर एक गड्ढे में डालकर और मिट्टी से ढंककर नष्ट करें।

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Edited By: Prateek Jain