Chirag Paswan: जमुई सीट पर क्या है चिराग का प्लान? जनता के बीच पिता के वादे को दोहराया, भावुक होकर दे दिया बड़ा संकेत
Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी है। इस बीच चिराग पासवान जमुई पहुंचे। वहां जनता के सामने वह भावुक हो गए। अपने संबोधन के दौरान चिराग ने अपने पिता रामविलास पासवान की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि जमुई को एक नहीं दो-दो सांसद मिलेंगे। वहीं दूसरी ओर यह लगभग तय है कि चिराग हाजीपुर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं।
संवाद सहयोगी, जमुई। Lok Sabha Election 2024 बीजेपी नेतृत्व से हरी झांडी मिलने के बाद जमुई सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने हाजीपुर संसदीय क्षेत्र (Hajipur Lok Sabha) से चुनाव लड़ने का मन बना लिया है। इसके बावजूद जमुई सीट (Jamui Seat) भी वह अपने पाले में रखना चाह रहे हैं। इसकी जानकारी उन्होने स्वयं शुक्रवार को दिल्ली में मिलने गए अपने सर्मथकों को दी है।
नाम नहीं छापने के शर्त पर एक सर्मथक ने बताया कि पिता की विरासत को संजोने के लिए चिराग हाजीपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। परंतु जमुई से लोजपा ही चुनाव लड़ेगी। इसके लिए उन्होंने सर्मथकों को आश्वस्त किया है। सांसद चिराग ने खुद बताया कि अब जमुई एक नहीं दो-दो सांसद मिलने वाले हैं।
यह कहकर उन्होंने एक बड़ा संकेत दिया है। इससे पहले उनके पिता स्व रामविलास पासवान ने 2014 में कुछ इस तरह का बयान जमुई में चिराग को चुनाव लड़ने के दौरान दिया था।
चिराग दोहरा रहे पिता की बात
उस वक्त उनका कहना था कि यहां की जनता मेरे पुत्र चिराग को चुनकर लोकसभा भेजें। जीतने के बाद मैं और मेरे पुत्र के रुप में जमुई को दो-दो सांसद मिल जाएगा। आज फिर वही कहानी जमुई सांसद चिराग दुहरा रहे हैं।
उनके इस बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि अगर जमुई से चिराग चुनाव नहीं लड़ेंगे तो उनका कोई रिश्तेदार चुनाव लड़ सकता है। वैसे जमुई लोकसभा से चुनाव लड़ने के रेस में और भी कई नाम हैं। परंतु इस रेस में उनके अपने बहनोई अरूण भारती का नाम सबसे आगे चल रहा है।
अरूण चिराग की अपनी बहन निशा भारती के पति हैं। बहनोई अरूण भारती का राजनीतिक बैक ग्राउंड है। उनकी मां ज्योति भी कांग्रेस की नेता रही हैं। उनके बहनोई भले ही राजनीतिक रूप से पहली बार चुनावी मैदान में कुदेंगे। परंतु चिराग अपने बढ़ते कद की बदौलत उनका नैया पर करने की जुगाड़ में हैं।
दरअसल जमुई लोकसभा का चुनाव पहले फेज में 19 अप्रैल को है और हाजीपुर लोकसभा का चुनाव पांचवें फेज में 20 मई को है। दोनों चुनाव के बीच लगभग एक महीना का फासला है। इसलिए चिराग को दोनों जगहों पर कैंपेनिंग करने में आसानी होगी।
2014 में चिराग को भी चुनाव लड़ने का नहीं था अनुभव
अपने बहनोई की तरह 2014 में चिराग को भी चुनाव लड़ने का अनुभव नहीं था। उस वक्त चिराग को उनके पिता स्व रामविलास पासवान का सानिध्य प्राप्त था। सहयोग के रूप में उनका पूरा कुनबा लग गया था। नरेद्र मोदी की लहर में चिराग ने चुनावी नैया पार कर ली।
एक दिन बातचीत में उन्होंने इस बात खुद स्वीकर की। दरअसल पांच साल सांसद रहने के बाद 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें राजनीति का काफी अनुभव मिल गया। क्षेत्र में अपने मित्र सौरव पांडेय के साथ मजबूत रणनीति बनाई और खुब मेहनत की।
अधिक मेहनत करने के कारण उनका वजन छह किलोग्राम घट गया था। पूछने पर उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि 2014 में अधिक मेहनत नहीं करना पड़ा। परंतु इसबार काफी मेहनत करना पड़ रहा है। आज जब उनके बहनोई के चुनाव लड़ने की बात सामने आई तो फिर वही परिस्थिति सामने आ गई है।
अपने कार्यकाल में जनता से वायदे पर खरा उतरा
चिराग ने कहा कि अपने कार्यकाल में जनता से किए वायदे पर खरा उतरा हूं। यहां के लोगों के साथ सुख-दुख में जुड़ा रहा हूं। मेडिकल कॉलेज, केंद्रीय विद्यालय, झाझा-बटिया रेल लाइन, कृषि विज्ञान केंद्र ,पासपोर्ट कार्यलय, एमएम की शुरूआत मेरे कार्यकाल की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
इसके अलावा जनता की मांग पर कई ट्रेनों का ठहराव भी मैंने जमुई, झाझा और सिमुलतला स्टेशन पर कराया है। सांसद निधि का सदुपयोग भी बेहतर तरीके से किया गया है।
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