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नाबार्ड के सहयोग से गया के नौ गांवों में आई हरियाली, लोग करने लगे मछली पालन; आप भी जानें विधा

नाबार्ड और समन्वय तीर्थ संस्था के अधिकारी जून 2017 को खिजरसराय के हथियावां गांव में पहुंचे। जहां किसानों के साथ एक बैठक की। सिंचाई के संसाधनों के बारे में जानकारी लिया गया। उसके बाद नाबार्ड के अधिकारियों ने कहा कि मृत पड़े आहर और पईन का जीर्णोद्धार किया जाए।

By Prashant KumarEdited By: Published: Mon, 27 Sep 2021 03:24 PM (IST)Updated: Mon, 27 Sep 2021 03:24 PM (IST)
नाबार्ड के सहयोग से मछली पालन कर रहे लोग। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर।

जागरण संवाददाता, मानपुर (गया)। सरकार और स्वयं सेवी संस्था से जुड़े अधिकारी मन लगाकर कार्य करते हैं तो उसकी झलक धरातल पर दिखने लगती है। ऐसी ही झलक जिले के खिजरसराय प्रखंड के नौ गांव में देखने को मिल रही हैं। यहां नाबार्ड के सहयोग और समन्वय तीर्थ संस्था के प्रयास से आठ आहर और आठ पईन का जीर्णोद्धार किया गया। जिससे 400 एकड़ भूमि सिंचित हो रहे हैं। जिसमें किसान विभिन्न तरह के फसल उपज रही हैं। वहीं 11 आहर खोदा गया। जिसमें 11 किसान मछली पालन कर रहे हैं। जिससे उन्हें सालाना करीब 22 लाख की आमदनी हो रही है।

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ऐसे हुए 11 गांवों के किसान लाभान्वित

नाबार्ड और समन्वय तीर्थ संस्था के अधिकारी जून 2017 को खिजरसराय के हथियावां गांव में पहुंचे। जहां किसानों के साथ एक बैठक की। सिंचाई के संसाधनों के बारे में जानकारी लिया गया। उसके बाद नाबार्ड के अधिकारियों ने कहा कि मृत पड़े आहर और पईन का जीर्णोद्धार किया जाए। इसके लिए हथियावां जलछाजन परियोजना का गठन किया गया। जिसमें 11 किसान सदस्य बनाये गए। अध्यक्ष, सचिव एवं कोषाध्यक्ष के संयुक्त हस्ताक्षर से बैंक में खाता खोला गया। उक्त खाते में नाबार्ड के द्वारा राशि भेजी गई। उक्त राशि का उपयोग किसान समन्वय तीर्थ संस्था के मार्ग दर्शन पर किए। 

नाबार्ड के बेहतर कार्य से किसान प्रसन्न

हथियावां गांव के अवधेश प्रसाद, वारा गांव के रामाकांत पांडे , तेजा विगहा के सोनी देवी, ताजपुर के कमलाकांत का कहना है  कि नाबार्ड का ही देन है कि आज हमलोगों का फसल सिंचित हो रहा है। तालाब से मछली पालन कर अच्छी आमदनी कर रहे हैं। तालाब और आहर में सालों भर पानी भरा रहने के कारण क्षेत्र का जल स्तर में कमी नहीं आई। गर्मी के मौसम में भी चापाकल एवं समर सेबुल पानी देते रहा।

दूसरे गांव के लोग हुए प्रभावित

जल छाजन परियोजना के तहत चयनित गांव हथियावां, केवरी, ताजपुर, कुसडीहा, जमुआवां, वारा, वहवलपुर, करपी, खुशीयालपुर गांव के किसानों के मछली पालन कर अच्छी आमदनी होते देख दूसरे गांव के किसान काफी प्रभावित हुए। कई किसान अपनी जमीन में तालाब की खोदाई कर मछली पालन करने की प्लानिंग की है।

किसानों के उत्थान के लिए हैं तत्पर

समन्वय तीर्थ संस्था के सचिव ओम सत्यम त्रिवेदी का कहना है कि हथियावां जल छाजन परियोजना के तहत चयनित नौ गांव के किसानों के उत्थान के लिए नाबार्ड काफी तत्पर है। उसके अधिकारी गांव का दौरा कर रहे हैं। किसानों के समक्ष उत्पन्न समस्या का समाधान भी किया जा रहा है। भूमिहीन महिलाओं को जीवकोपार्यण के लिए बकरी दी जा रही है। किसानों की भूमि में नाबार्ड के द्वारा तीन हजार फलदार एवं कीमती पौधा लगाया गया है। जो पर्यावरण को संतुलित रखने में काफी कारगर साबित रहे हैं।


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