Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Politics: नीतीश कुमार को दे दिया झटका, अब फिर से लालू का 'लालटेन' थामेगा ये दिग्गज नेता?

    Updated: Wed, 20 Mar 2024 02:54 PM (IST)

    कभी मिथिला में राजद का मतलब फातमी होता था। दरभंगा ही नहीं मधुबनी के भी पार्टी कार्यकर्ता किसी समस्या को लेकर उनके पास ही आते थे। वैसे तो उनके कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर 1990 के दशक के सबसे ताकतवर राज नेता गिने जाते थे। दरभंगा में संगठन में दखल भी लालू प्रसाद यादव गुलाम सरवर के बिना नहीं देते थे।

    Hero Image
    नीतीश कुमार को दे दिया झटका, अब फिर से लालू का 'लालटेन' थामेगा ये दिग्गज नेता?

    संवाद सहयोगी, दरभंगा। Ali Ashraf Fatmi तीन दशक से मिथिला की राजनीति पर अपनी पकड़ बनाए रखने वाले मो. अली अशरफ फातमी के जदयू से अलग होने ही आगामी लोकसभा चुनाव पर प्रभाव की चर्चा होने लगी है। कहा जा रहा है कि फातमी मधुबनी से राजद का लालटेन थाम कर लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे, लेकिन राजनीतिक पंडित इस आकलन पर मंथन कर रहे हैं कि फातमी की घर वापसी से मतदाताओं के समीकरण पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कभी मिथिला में राजद का मतलब फातमी होता था। दरभंगा ही नहीं, मधुबनी के भी पार्टी कार्यकर्ता किसी समस्या को लेकर उनके पास ही आते थे। वैसे तो उनके कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष गुलाम सरवर 1990 के दशक के सबसे ताकतवर राज नेता गिने जाते थे। दरभंगा में संगठन में दखल भी लालू प्रसाद यादव गुलाम सरवर के बिना नहीं देते थे।

    अब्दुल बारी सिद्दीकी से लेकर ललित कुमार तक...

    अब्दुल बारी सिद्दीकी विधानसभा में अलीनगर का प्रतिनिधित्व करते थे। मगर दरभंगा में कार्यकर्ताओं के बीच कोई नेता रहता था तो उसका नाम अली अशरफ फातमी था। सत्ता के तामझाम से अलग फातमी सीधे उनकी बात सुनते थे। ललित कुमार यादव भी लगातार विधानसभा का चुनाव जीत कर राजद के कद्दावर नेताओं की पंक्ति में आने लगे थे।

    राजद में चला फातमी का जादू

    इधर, फातमी राजद की राजनीति पर छाते चले गए। 2004 उनका स्वर्णिम काल था। भारत सरकार में राज्य मंत्री बने, लेकिन 2009 और फिर 2014 के चुनाव में हार गए। यही वह काल था जब राजद की राजनीति में लालू प्रसाद किनारे हो रहे थे और तेजस्वी यादव हावी हो रहे थे।

    फातमी ने राजद को क्यों छोड़ा?

    इसका परिणाम हुआ कि 2019 में फातमी टिकट से वंचित कर दिए गए। दरभंगा से अब्दुल बारी सिद्दीकी चुनाव लड़े और रिकॉर्ड मत के अंतर से हार गए। कहा गया कि संगठन तो फातमी के पास था, इसलिए राजद का गढ़ कहे जाने वाले दरभंगा के साथ मधुबनी में भी बहुत बड़े अंतर से महागठबंधन हार गया।

    2020 में फातमी ने जदयू की सदस्यता ले ली। उन्हें राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। मंगलवार को जब फातमी ने जदयू से इस्तीफा दे दिया तब उनके कद का कोई मुस्लिम चेहरा पार्टी में नहीं बचा।

    ये भी पढ़ें- Bihar Politics: '...बड़ी हिस्सेदारी चाहते हैं', सीट शेयरिंग पर कुशवाहा का बड़ा बयान; नीतीश के लिए कह दी ये बात

    ये भी पढ़ें- फातमी ने Nitish Kumar को कर दिया Bye-Bye! जदयू नेताओं ने बताई सियासी खेल की 'इनसाइड स्टोरी'