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मिटने के कगार पर पहुंचा ऐतिहासिक केसठ गढ़ का अस्तित्व

बक्सर डुमरांव रेलवे स्टेशन से करीब 18 किलोमीटर दूर दक्षिण केसठ गांव का नाम प्राचीन समय

By JagranEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 09:37 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 09:37 PM (IST)
मिटने के कगार पर पहुंचा ऐतिहासिक केसठ गढ़ का अस्तित्व

बक्सर : डुमरांव रेलवे स्टेशन से करीब 18 किलोमीटर दूर दक्षिण केसठ गांव का नाम प्राचीन समय में रसीदपुर था। आज भी ऐतिहासिक गढ़ का अवशेष गांव में मौजूद है, जो पूरी तरह अतिक्रमण का शिकार है। लगभग डेढ़ एकड़ भूमि में फैले इस परिसर में पैक्स गोदाम, पंचायत भवन, सार्वजनिक शौचालय व काफी पुराना मां भवानी का मंदिर है। शासन व प्रशासन के उदासीन रवैये से ऐतिहासिक केसठ गढ़ पूरी तरह से अतिक्रमण का शिकार होकर रह गया है।

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वर्तमान समय में केसठ गढ़ राजनीतिक पार्टी के कार्यालय व महादलित समुदायों के बसेरा के रूप में विद्यमान है। गढ़ के आस-पास की जमीन पर बड़ी-बड़ी इमारत बना कब्जा कर लिया गया है। गौरतलब यह कि अतिक्रमण का यह खेल आज भी जारी है। ग्रामीण पूर्व जिप अध्यक्ष अरविन्द सिंह उर्फ गामा पहलवान बताते हैं कि तकरीबन 600 साल पहले चेरो खरवार के वंशज इस गढ़ पर रहते थे। उन दिनों केसठ गांव का नाम रसीद पुर था जो केसठ बस स्टैंड से पश्चिम भाग में था। चेरो खरवार के वंशजों के यहां से चले जाने के बाद रसीदपुर गांव के पास नदी बहा करती थी, जिसमें बाढ़ आने के बाद रसीदपुर के लोग गढ़ के आसपास के हिस्सों में आकर रहने लगे। लोगों का मानना है कि चेरो खरवार के राजा का नाम केसवा था। जिसके नाम पर रसीदपुर का नाम केसठ रखा गया।

केसवा से पड़ा केसठ का नाम

वहीं, कुछ बुजुर्गों की मानें तो यहां केसवा नाम का राक्षस रहता था जिसके नाम पर केसठ नाम रखा गया। ऐसे गढ़ से सटे लोगो को मा भवानी का मंदिर मिला था जो टूटा फूटा अवस्था में था। जिसे ग्रामीणों के सहयोग से मंदिर का रूप दे दिया गया। लोग बताते हैं कि पहले राक्षस ही भवानी की पूजा अर्चना करते थे जो गढ़ के समीप मां भवानी के मंदिर से राक्षस के यहां रहने की ओर इशारा करता है। वहीं, कई वर्षों तक केसठ में जमीदारों का राज रहा जो धोरे-धीरे यहां से शहरों की ओर पलायन कर गए। पूर्व जिप अध्यक्ष अरविद यादव उर्फ गामा पहलवान द्वारा ऐतिहासिक केसठ गढ़ के निचले भाग में जिला परिषद से मार्केट बनाने व गढ़ के ऊपरी भाग को सुंदरीकरण को ले जिला परिषद में प्रस्ताव रखा गया था। बात आगे भी बढ़ी थी, लेकिन तबतक अविश्वास प्रस्ताव में उनकी कुर्सी चली गई और मामला ठंडा पड़ गया।

गढ़ के महत्व से अधिकारी भी अनजान

केसठ के प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रभात रंजन ने केसठ गढ़ की जानकारी से अनभिज्ञता जताई। उन्होंने इस बारे में अंचलाधिकारी से बात करने की बात कही। वहीं, अंचलाधिकारी राज शेखर ने बताया कि केसठ गढ़ के अतिक्रमण होने से संबंधित कोई आवेदन प्राप्त नही है। आवेदन मिलने पर इसकी जांच कर उसे अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।


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