जमालपुर में बन रहे बिहार के दूसरे नए रेल सुरंग से जल्द गुजरेंगी ट्रेनें, 90 फीसद काम पूरा, अगले माह से बिछेगा रेलवे ट्रैक
जमालपुर में बन रहे बिहार के दूसरे रेल सुरंग से होकर ट्रेनें जल्द गुजरेंगी। 90 फीसद काम पूरा हो चुका है। अगले माह से ट्रैक बिछाने का काम शुरू हो जाएगा। इस सुरंग के चालू हो जाने से ट्रेनों के परिचालन में काफी सहूलियत होगी।
संवाद सहयोगी, जमालपुर (मुंगेर)। जमालपुर में बन रहे राज्य के दूसरे रेल सुरंग का निर्माण कार्य 90 फीसद पूरा कर लिया गया है। अगस्त से सुरंग में रेलवे ट्रैक बिछाने का काम शुरू होगा। अक्टूबर-नवंबर के बीच सुरंग से ट्रेनें चलने की उम्मीद है। रेलवे इंजीनियङ्क्षरग विभाग की पूरी टीम लगी है। नए रेल सुरंग की लंबाई 903 फीट है। सुरंग बनने के बाद लगभग तीन किलोमीटर बची रेल ट्रैक दोहरीकरण का रास्ता भी पूरी तरह साफ हो जाएगा। अभी तक जमालपुर और रतनपुर के बीच एक ही लाइन से ट्रेनें गुजरती हैं। सुरंग बनने के बाद अप और डाउन की ट्रेनें जमालपुर और रतनपुर में नहीं फंसेगी। भागलपुर -किऊल सेक्शन पर ट्रेनों का परिचालन और सुगम हो जाएगा।
आस्ट्रेलिया की तकनीक का इस्तेमाल
राज्य का पहला सुरंग भी जमालपुर में है। इसका निर्माण 1865 में अंग्रजों ने करवाया था। पुराने सुरंग के पास ही नए सुरंग का निर्माण हो रहा है। नए रेल सुरंग में आस्ट्रेलिया की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर रंजीत कुमार ने कहा कि नए सुरंग पहले की सुरंग से अलग बनाया जा रहा है। इसकी डिजाइन भी अलग है। सुरंग के ऊपरी और चारों तरफ के हिस्सों को नया लुक दिया गया है।
पुराने सुरंग से लंबाई दो सौ फीट ज्यादा
जमालपुर में बने पुराने सुरंग की तुलना में नए सुरंग की लंबाई लगभग दो सौ फीट ज्यादा है। पुराने सुरंग की लंबाई 710 फीट है, जबकि नए सुरंग की लंबाई 903 फीट है। चौड़ाई भी 10 फीट ज्यादा है।
दोनों तरफ पैदल चलने के लिए रास्ता
सुरंग के दोनों ओर बड़ी आबादी है। लोग सुरंग होकर ही आना-जाना करते हैं। पुराने सुरंग की चौड़ाई कम होने से लोगों को दिक्कत होती है। ऐसे में नए सुरंग में पैदल चलने के लिए दोनों तरफ से छह-छह फीट का रास्ता भी बनाया गया है। ताकि सुरंग से गुजरते वक्त कोई ट्रेन भी आ जाए तो दिक्कत नहीं होगी।
सुरंग निर्माण पर एक नजर
-सुरंग की लंबाई कितनी है- 903 फीट मीटर चौडाई 20 फीट
-इसका निर्माण 2019 के फरवरी में शुरू हुआ
-पांच माह डिजाइन बनाने में समय लगा
-2019 के जुलाई से काम में तेजी आई
-इसका निर्माण 2020 के मार्च तक पूरा होना था
-कोरोना की वजह दो माह काम न के बराबर हुआ।
-जून 2020 से अब काम में तेजी आई है।
-इसकी लागत 2019 में 35 करोड़ रुपये थी अभी बढ़कर 52 करोड़ खर्च होने की उम्मीद है।
-सुरंग में काम तेजी से चल रहा है। अक्टूबर-नवंबर के बीच सुरंग होकर ट्रेनें चलने लगेंगी।
-यतेंद्र कुमार, डीआरएम, मालदा रेल मंडल।