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खगडिय़ा में कार्तिक में भी कोसी बदल देती है गांव का भूगोल, कोसी के निशाने पर हैं कई गांव

कोसी के निशाने पर हैं डुमरी नवटोलिया पचाठ गांधीनगर-इतमादी बजरंगबली स्थान तेलिहार जंगली सिंह टोला-सरसवा आदि इलाके आते हैं। इस नदी के कारण हमेशा खग‍डि़या का भूगोल बदल जाती है। कई टोले और गांव जल में विलिन हो गए।

By Dilip Kumar ShuklaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 08:08 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 08:08 AM (IST)
कोसी नदी के कारण खगडि़या जिले में जलप्रलय होता है।

खगडिय़ा, जेएनएन। खगडिय़ा में कलकल बहने वाली कोसी नदी को यूं ही बिहार की शोक नहीं कहा गया है। यह बारिश व बाढ़ समाप्त होने के बाद कार्तिक माह में भी कटाव के रूप में तांडव जारी रखती है। जब इसका कटाव तेज होता है तो टोले के टोले, गांव के गांव कट कर नदी में विलीन हो जाते हैं। देखते ही देखते गांव का भूगोल बदल जाता है। वर्ष 2014 में चौथम प्रखंड के जंगली सिंह टोला के 110 घर नदी में विलीन हो गए थे। इस साल भी वह वैसी ही उग्र है।

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 क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि कोसी जिले में सालों भर तांडव मचाती रहती हैं। सावन-भादो में कोसी व उसकी सहायक नदियां बाढ़ लाती हैं। नदियों के किनारे रहने वाले लोग हमेशा इस बात को लेकर सशंकित रहते हैं कि न जाने कब किसका घर, कौन टोला या गांव नदी में समा जाए।

  कई गांवों में जारी है कटाव

फिलहाल जिले में कोसी कई गांवों में कटाव कर रही है। बीपी मंडल सेतु से एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित डुमरी समेत नवटोलिया, पचाठ, गांधीनगर-इतमादी, बजरंगबली स्थान तेलिहार में कोसी कटाव जारी है। ये सभी गांव बेलदौर प्रखंड में हैं। जबकि चौथम प्रखंड की सरसवा पंचायत स्थित जंगली ङ्क्षसह टोला में भी कोसी का कटाव हो रहा है। वहां सात वर्षों से कोसी का तांडव जारी है। वर्ष 2014 में वहां के 110 घर नदी में विलीन हो गए थे। इस साल भी कोसी में वैसी ही उफान है।तेलिहार बजरंगबली स्थान के समीप फ्लड फाइटिंग कार्य हुआ है, परंतु कोसी कब किधर मुड़ेगी यह कहना मुश्किल है। इससे यहां के कई लोगों पर सातवीं बार विस्थापित होने का खतरा मंडरा रहा है।

डुमरी में स्थिति हो रही भयावह

डुमरी गांव में कोसी का तेज कटाव हो रहा है। इससे यहां के लोग सहमे हुए हैं। चंद्र कुमार सिंह, जवाहर सिंह, महेश सिंह, धर्मेंद्र सिंह, प्रकाश ठाकुर, विभूति झा, रीता देवी आदि ने बताया कि नदी किनारे मकान होने के कारण कभी भी उनके घरों के नदी में समाने का खतरा बना हुआ है। रीता देवी कहती हैं कि कोसी मैया हमलोगों को छह बार उजाड़ चुकी हैं। अब सातवीं बार विस्थापित होने का भय बना हुआ है। बीते सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव डॉ. चंदन यादव ने भी यहां का जायजा लिया और अधिकारियों का ध्यान कटाव रोकने की ओर आकृष्ट कराया।


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