अंतरिम बजट 2019: Steelbird Helmets की क्या हैं सरकार से अपेक्षाएं, जानिए
Steelbird Helmets ने सरकार से मांग की है कि अगर किसी कंपनी में 5000 से अधिक कर्मचारी भर्ती हैं तो उन्हें जीएसटी और आयकर में 100 फीसद की छूट मिलनी चाहिए
नई दिल्ली (अंकित दुबे)। एक फरवरी को पेश होने वाले आगामी अंतरिम बजट से पहले हेलमेट बनाने वाली प्रमुख कंपनी Steelbird Helmets ने सरकार से मांग की है कि अगर किसी कंपनी में 5000 से अधिक कर्मचारी भर्ती हैं तो उन्हें जीएसटी और आयकर में 100 फीसद की छूट मिलनी चाहिए। इसके अलावा Steelbird ने मांग करते हुए यह भी कहा कि हेलमेट पर जीएसटी नहीं लगना चाहिए क्योंकि वे सुरक्षा के लिए हैं।
1 फरवरी 2019 को पेश होने वाले अंतरिम बजट से पूर्व Steelbird Helmets के एमडी, राजीव कपूर ने कहा, "भारत की आबादी 1.3 बिलियन है, इसलिए भारत केवल कृषि और सेवा उद्योग के साथ ही अपना असितत्व नहीं बनाए रख सकता है। हमें एक इंडस्ट्रयिलब हब बनने की आवश्यकता है। और इंडस्ट्रयिलब हब बनने के लिए सरकार को सभी अत्याधिक लेबर आधारित यूनिट्स के आधार पर उद्योगों को बहुत सारे लाभ, सब्सिडी और प्रोत्साहन देना चाहिए। इसके अलावा चीनी उत्पादों की भारतीय बाजार में बाढ़ की मौजूदा समस्या को दूर करने के लिए हमें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हम स्थानीय स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाएं। और यह ठीक वहीं काम है जो कि सुपरपावर देश कर रहे हैं और भारत इस क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है।"
कपूर ने आगे कहा, "इसके अलावा, प्रत्येक जिले के लिए सरकार को योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए ताकि हर जिला शहर बन सके। किसी भी प्लांट के लिए जो एक विशेष कंपनी एक जिले में स्थापित करती है, कोई जीएसटी या आयकर नहीं होना चाहिए और वे जीएसटी इनपुट का दावा भी कर सकते हैं। इससे दोहरा लाभ होगा। जीएसटी इनपुट का दावा करके वे क्रेडिट ले सकते हैं, उत्पादों पर कोई जीएसटी नहीं होगा और 10 साल की अवधि के लिए कोई आयकर नहीं होगा। इसके अलावा स्लैब्स होना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि किसी कंपनी में 1000 से अधिक कर्मचारी भर्ती हैं तो उन्हें जीएसटी और आयकर में 20% छूट मिलनी चाहिए। इसी तरह 2000 से ऊपर 40% की छूट होनी चाहिए, 3000 से अधिक के लिए 60% होनी चाहिए, 4000 से ऊपर इसे 80% रखना चाहिए और 5000 से ऊपर के लिए छूट 100% होनी चाहिए।"
कपूर ने कहा, "यह सभी ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में मदद करेगा और उन्हें मेट्रो शहरों के बराबर लाने में मदद करेगा। यह हमारे देश को एक मैन्युफैक्चरिंग हब बना देगा और अपराध दर को नीचे लाएगा क्योंकि हर व्यक्ति कुछ ना कुछ काम कर रहा होगा। जहां तक हेलमेट इंडस्ट्री का संबंध है, हेलमेट पर जीएसटी नहीं लगाया जाएगा क्योंकि वे सुरक्षा के लिए हैं। हेलमेट दवाओं की तरह ही जीवन रक्षक डिवाइस हैं। इसलिए, जिस तरह से दवाओं पर कोई जीएसटी नहीं है, उसी तरह हेलमेट पर छूट दी जानी चाहिए। इसके अलावा, जब तक हेलमेट को करों से मुक्त नहीं किया जाता है, तब तक इनकी कीमतें बढ़ेंगी और आईएसआई के नए मानक और इनके अनिवार्य उपयोग को लेकर सरकार के प्रयासों को पलीता लगेगा।"
कपूर ने आगे कहा, "इसलिए, हेलमेट को अन्य वस्तुओं की तरह नहीं माना जाना चाहिए। हर दिन लगभग 13 लोग सड़क हादसों में मारे जाते हैं। इनमें से कई मौतें हेलमेट की क्वालिटी खराब होने के कारण होती हैं। ऐसे देश में जहां लोग हेलमेट को वित्तीय बोझ समझते हैं, वहीं जीरो प्रतिशत जीएसटी अच्छी गुणवत्ता वाले हेलमेट में लोगों का विश्वास जीतने में मदद करेगा और उन्हें इसके महत्व को खरीदने और समझने के लिए प्रेरित करेगा।"
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