EXCLUSIVE: दिल्ली में हर साल 1600 लोगों की सड़क हादसे में मौत होती है- अजय कुमार तोमर
Maruti Suzuki के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर (कॉर्पोरेट प्लानिंग) अजय कुमार तोमर से EXCLUSIVE बातचीत
नई दिल्ली (श्रीधर मिश्रा)। Maruti Suzuki और दिल्ली सरकार की साझेदारी में दिल्ली में पहला फुली ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर शुरू हो चुका है। इस प्रोजेक्ट का उद्घाटन दिल्ली सरकार के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने किया। Maruti Suzuki का कहना है कि इससे अप्लिकेंट्स और मैनेजमेंट दोनों का समय बचेगा, जहां हर रोज करीब 300 लोग ड्राइविंग टेस्ट से गुजरेंगे। हमने Maruti Suzuki के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर (कॉर्पोरेट प्लानिंग) अजय कुमार तोमर से इस मुद्दों पर EXCLUSIVE सवाल किए। ये रहे इंटरव्यू के अंश..
स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट सेंटर के बारे में क्या बताना चाहेंगे आप?
अजय कुमार तोमर- पहले जो ड्राइविंग टेस्ट होते थे वो मैनुअल होते थे। अब हमने इसे पूरी तरह से ऑटोमैटिक बना दिया है, जिसे फुली ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्टिंग कहा जाता है। इसे हम इसलिए ऑटोमैटिक कहते हैं, क्योंकि इसमें एक अप्लिकेंट (आवेदक) अपने घर बैठे ऑन-लाइन अप्वाइंटमेंट पा सकता है। इस पूरे प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति को लंबी लाइन में लगने की जरुरत नहीं है।
इस प्रक्रिया में जो भी अप्लिकेंट ड्राइविंग सेंटर पर आएगा, उसके लिए दो चेक लगाए गए हैं। पहला- बायोमेट्रिक चेक है, जिसके बाद अप्लिकेंट को RFID कार्ड दिया जाएगा। इससे ड्राइविंग ट्रैक पर वही अप्लिकेंट आ सकेगा, जिसने अप्वाइंटमेंट लिया होगा। इस पूरी प्रक्रिया में Starts से लेकर End तक 7 स्टेज हैं, जिसे किसी भी अप्लिकेंट को ड्राइव करके दिखाना होगा। इसमें सबसे खास चीज यह है कि एक स्टेज को पार किए बगैर कोई भी अप्लिकेंट दूसरे स्टेज पर नहीं जा सकता। जैसे अगर कोई अप्लिकेंट पहले या दूसरे स्टेज में ही फेल हो जाता है, तो वह ट्रैक से बाहर हो जाएगा, जिसके बाद उसे दोबारा अप्लाई करना होगा। इससे अप्लिकेंट और मैनेजमेंट दोनों का समय बचेगा। वहीं, एक दिन में हम ज्यादा अप्लिकेंट्स को चेक कर सकते हैं।
ट्रांसपैरेंसी (पारदर्शिता) के लिए क्या किया गया है?
अजय कुमार तोमर- अगर किसी अप्लिकेंट को लगता कि उनकी ड्राइविंग बहुत अच्छी थी, लेकिन उन्हें डिस्क्वालिफाई (बाहर) कर दिया गया, तो उसके लिए हर ट्रैक पर येलो लाइन्स, सेंसर्स और हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगे हुए हैं। इससे ट्राइविंग टेस्ट के दौरान वीडियो रिकॉर्ड की जाएगी, जिससे किसी भी अप्लिकेंट्स को बताया जा सकेगा कि किन वजहों से उसे डिस्क्वालिफाई किया गया है।
वहीं, अगर अप्लिकेंट ने समय सीमा के दौरान सभी स्टेज पार कर लिए, तो आखिर में उसे पता लग जाएगा कि वह ड्राइविंग लाइसेंस के लिए एलिजिबल है।
फुली ऑटोमैटेड ड्राइविंग टेस्ट सेंटर के 12 लोकेशन्स हैं। इनमें अभी 4 लोकेशन्स एक्टिव हैं। ऐसे में बाकी के 8 लोकेशन्स कब से शुरू होंगे?
अजय कुमार तोमर- 4 एक्टिव लोकेशन्स के अलावा बाकी के जो 8 लोकेशन्स हैं उनके काम लगभग पूरे हो चुके हैं। इनमें बस टेस्टिंग बाकी रह गई है। 2 से 3 महीने के अंदर सभी लोकेशन्स एक्टिव हो जाएंगे।
हर साल दिल्ली में 1600 लोगों की सड़क हादसे में मौत होती है, क्या यह डाटा मारुति सुजुकी के पास प्रोजेक्ट को शुरू करने से पहले था?
अजय कुमार तोमर- मारुति सुजुकी जब भी कोई प्रोजेक्ट शुरू करती है, तो उस प्रोजेक्ट से जुड़े सभी डाटा को हम देखते हैं। इसमें सरकारी डाटा से लेकर दूसरे डाटा को भी हम मॉनिटर करते हैं। इसके बाद हम देखते हैं कि हमारे प्रोजेक्ट का सबसे ज्यादा फायदा कहां हो रहा है।
हाल ही में ई-चालान को लेकर दिल्ली सरकार के साथ साझेदारी में मारुति सुजुकी ने 16 करोड़ रुपये का निवेश किया था। इसके बाद अब कंपनी ने ऑटोमैटिक ड्राइविंग टेस्ट सेंटर पर 20 करोड़ रुपये का निवेश किया है। इसके पीछे मारुति का क्या थीम है?
अजय कुमार तोमर- हमारा जो मारुति CSR है, उसके तीन पिलर हैं। इनमें एक बड़ा पिलर रोड सेफ्टी (सड़क सुरक्षा) है। इसके तहत हमारा मकसद सड़क दुर्घटनाओं में कमी लाना है। भारत में 80 फीसद सड़क हादसे ड्राइवर की गलती से होते हैं। इसका बड़ा कारण ड्राइवर के पास सही ड्राइविंग स्किल्स का नहीं होना है। वहीं, कई हादसे ट्रैफिक नियमों को न फोलो करने और सीट बेल्ट न पहनने की वजह से होते हैं। इसको लेकर हमने कई प्रोजेक्ट और मुहीम शुरू की है, जिसका हमे सकारात्मक रिस्पॉन्स मिल रहा है।
सड़क सुरक्षा को लेकर मारुति सुजुकी के और कौन से प्रोजेक्ट हैं जो इस साल आ सकते हैं?
अजय कुमार तोमर- देखिए जैसा की मैंने बताया कि मारुति सुजुकी के तीन बड़े पिलर है। इनमें सेफ्टी से लेकर सिकल डेवेलपमेंट तक शामिल हैं। ऐसे में हमारे कई प्रोजेक्ट्स इस साल आने वाले हैं। दरअसल हमारा जो लगभग 2 फीसद का प्रॉफिट (मुनाफा) है, हम उसे इन्हीं सामाजिक कार्मो में लगाते हैं। इनमें पर्यावरण, सड़क सुरक्षा से लेकर स्किल डेवेलपमेंट तक शामिल है।
सबसे बड़ी चुनौती मारुति के लिए क्या थी?
अजय कुमार तोमर- जमीन सबसे बड़ी चुनौती थी, क्योंकि ये जगह मारुति की नहीं बल्कि दिल्ली सरकार की है। जगह का अधिग्रहण और उसमें पूरी सेटिंग्स करना ये हमारी सबसे बड़ी चुनौती थी।
मारुति का यह पूरा प्रोजेक्ट ग्राहकों का विश्वास बढ़ाने की एक और पहल है?
अजय कुमार तोमर- यह प्रोजेक्ट पूरे ईको सिस्टम को बदलेगा। इसमें अप्लिकेंट, अप्लिकेंट्स को ट्रेनिंग देने वाले और लाइसेंस देने वाले सभी शामिल होंगे।
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