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Bajaj आज दुनियाभर के ग्राहकों के लिए एक ग्लोबल ब्रांड है– सुमित नारंग: EXCLUSIVE

Urbanite Marketing के वाइस प्रसिडेंट सुमित नारंग (Sumeet Narang) से EXCLUSIVE बातचीत

By Shridhar MishraEdited By: Published: Mon, 28 Jan 2019 11:37 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 08:29 AM (IST)
Bajaj आज दुनियाभर के ग्राहकों के लिए एक ग्लोबल ब्रांड है– सुमित नारंग: EXCLUSIVE
Bajaj आज दुनियाभर के ग्राहकों के लिए एक ग्लोबल ब्रांड है– सुमित नारंग: EXCLUSIVE

नई दिल्ली (श्रीधर मिश्रा)। Bajaj Auto Limited (बजाज आटो लिमिटेड) ने हाल में अपनी कंपनी की आइडेंटिटी (पहचान) बदली है। कंपनी अब The World’s Favourite Indian के तहत अपनी रणनीति और सर्विसेज को ग्राहकों तक पहुंचाएगी। इस दौरान हमने Urbanite Marketing के वाइस प्रसिडेंट सुमित नारंग (Sumeet Narang) से EXCLUSIVE सवाल पूछे, जिनका उन्होंने बड़ी बेबाकी से जवाब दिया। हमारे पूछे गए सवालों के कुछ अंश

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क्या Bajaj का सबसे ज्यादा फोकस युवाओं पर है, जो उसकी Pulsar बाइक्स से लेकर Marketing Strategy तक में दिखता है?

सुमित नारंग- ऐसा नहीं है कि हम केवल युवाओं पर फोकस करते हैं। हम हर वर्ग के ग्राहकों को साथ लेकर चलते हैं। हां, यह जरूर कह सकते हैं कि भारत एक युवाओं का देश है तो by default हमारे सबसे ज्यादा ग्राहक भी युवा हैं। हमने ऐसा जरूर किया है कि अगर कोई प्रोडक्ट किफायती है, तो वो बोरिंग न हो, इसलिए हमने नए स्टाइल और फीचर्स भी इन बाइक्स में शामिल किए हैं। Platina एक 100 सीसी बाइक है, लेकिन इसमें कम्फर्ट फीचर्स दिए गए हैं हमने इसमें DRL हैडलैंप्स इस्तेमाल किया है, जो कई हाई एंड बाइक्स में नहीं मिलता है। अब वो दौर गया जब नौजवान और मीडिल एज ग्रुप के ग्राहक अलग-अलग तरीके से बाइक खरीदते थे। अब हर कोई चाहता है कि उसका प्रोडक्ट आज के जमाने का हो।

आपके मुताबिक Bajaj हर सेगमेंट में सभी ग्राहक को साथ लेकर चलना चाहती है?

सुमित नारंग- हमारा सेगमेंट काफी बड़ा है, इसमें आपको Platina से लेकर Dominar जैसी बाइक्स मिलेंगी। हमारा कभी यह मकसद नहीं रहा कि किसी दूसरी कंपनी के बाइक को देखकर वैसी ही बाइक सस्ती कीमत में दी जाए। हम हर सेगमेंट में जरूर शामिल हैं, लेकिन हमारी बाइक में आपको हमेशा कुछ खास और अलग देखने को मिलेगा।

Bajaj ने अपनी Boxer को भारत में फेज आउट करने के बाद इसे दूसरे देशों में लॉन्च किया, जहां इस बाइक को ग्राहकों ने काफी पसंद किया। क्या Pulsar 135 को भारत से फेज आउट करने के बाद अब कंपनी इसे दूसरे देशों में लॉन्च कर सकती है?

सुमित नारंग- पहले हमारा सोचना था कि भारत में Pulsar 135 की काफी मांग होनी चाहिए, क्योंकि काफी लोग हैं तो Pulsar खरीदना चाहते हैं, लेकिन वो ज्यादा माइलेज के साथ कम कीमत चाहते हैं। Pulsar 135 को फोलो किया गया, लेकिन यह मास प्रोडक्ट नहीं बन पाई। इसके चलते इसे फेज आउट किया गया, लेकिन जिन बाजारों में Pulsar 135 की बिक्री अच्छी हो रही है वहां आज भी यह बाइक सेल्स के लिए मौजूद है। ये तो रहेगा कि हम कोई प्रोडक्ट भारत से फेज आउट कर दें लेकिन दूसरे देशों में उसका मार्केट अच्छा रहे। जैसे कि Bajaj Boxer की अफ्रीका में एक अच्छा मार्केट है। जैसे भारत में CT 100 को ज्यादा साथ मिला, इसलिए हमने इस पर फोकस किया।

क्या Bajaj आज दूसरी बड़ी कंपनियों से मुकाबला करने के लिए तैयार है?

सुमित नारंग- आज हम एक ग्लोबल कंपनी है। आज ग्राहक हमें एक ग्लोबल ब्रांड की तरह देखते हैं। दुनियाभर के बाजार में ग्राहक हमारी बाइक्स को पसंद कर रहे हैं।

बतौर निर्माता (Manufacturer) इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?

सुमित नारंग- इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनीक की कीमत ये ऐसी चुनौतियां हैं जिसके बारे में हम बतौर निर्माता (Manufacturer) ज्यादा कुछ नहीं कर सकते। जैसे-जैसे सरकार का साथ मिलेगा हम आगे काम करेंगे। अगर वो एक कदम बढ़ेंगे तो हम दो कदम बढ़ेंगे।

2-व्हीलर बाजार में छोटे शहरों और गांवों का बड़ा योगदान है। Bajaj आने वाले समय में जब अपनी इलेक्ट्रिक स्कूटर लॉन्च करेगी तो कितनी बड़ी चुनौती उसके सामने रहेगी?

सुमित नारंग- शहर के मुकाबले गांव में कई गुना ज्यादा चुनौतियां होंगी, लेकिन हमारे हिसाब से इलेक्ट्रिक व्हीकल की जितनी मांग शहरों में है उतनी ही मांग गावों में भी होगी। अगर इलेक्ट्रिक पावर की बात करें तो जाकर देखिए कि गांव में रहने वाले एक आदमी को पेट्रोल के लिए कितना दूर तक जाना होता है। इसके मुकाबले अगर उस आदमी के घर में एक इलेक्ट्रिक प्वाइंट मौजूद है तो मुझे नहीं लगता है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल उसके लिए एक रुकावट होगी।

आज से 10-15 साल पहले की बात करें तो मैंने आज तक ऐसा कोई गांव नहीं देखा जहां मोबाइल न हो। बल्कि, मैंने ऐसे कई गांव देखे हैं जहां मोबाइल फोन्स थे लेकिन बिजली नहीं थी, तो लोग मोबाइल को चार्ज कैसे करते थे ये लोगों ने पूछा नहीं। गांवों में पूरी तरह से बिजली तो पिछले साल पहुंची है, लेकिन क्या आपको पता है कि लोग मोबाइल फोन कैसे चार्ज करते थे? मैं बताता हूं, किराने की दुकान पर बड़ी-बड़ी बेटरियों में रबड़ बैंड लगाकर 5 रुपये में मोबाइल चार्ज होते थे और ये 10 साल पहले की बात है। तो एक बार प्रोडक्ट शुरू होगा, चलाने में बढ़ियां होगा तो लोग उसे जरूर इस्तेमाल करेंगे।

इलेक्ट्रिक व्हीकल की स्पीड एक बड़ा मुद्दा है। क्या आपको लगता है कि स्पीड को बढ़ने के बाद ग्राहकों का रुझान ज्यादा बढ़ेगा?

सुमित नारंग- जैसा मैंने आपसे कहा था कि कल तक मेरे हिसाब से इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में तीन सबसे बड़े मुद्दे (Issues) थे। पहला- टेक्नोलॉजी कॉस्ट, दूसरा- चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और तीसरा की ऐसा प्रोडक्ट जो आपकी जरुरतों को पूरा करे जिसे चलाने में आपको मजा आए। हम इस तीसरी चीज का ख्याल रखेंगे, चाहे फिर वो स्पीड के मायने से हो या रेंज और गाड़ी चलाने के एक्सपीरियंस के मायने से हो। हम ग्राहकों को ऐसी चीज देंगे जो वो आंख बंद करके खरीदना चाहें।

 

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