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ऑटो इंडस्ट्री कर रही है मंदी का सामना, जानें इससे जुड़ी 5 जरूरी बातें

ऑटो सेल्स में गिरावट की वजह से पैसेंजर व्हीकल जो कि सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला सेगमेंट रहा था उसकी बिक्री में भी गिरावट आई है।

By Sajan ChauhanEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 03:43 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 03:43 PM (IST)
ऑटो इंडस्ट्री कर रही है मंदी का सामना, जानें इससे जुड़ी 5 जरूरी बातें
ऑटो इंडस्ट्री कर रही है मंदी का सामना, जानें इससे जुड़ी 5 जरूरी बातें

नई दिल्ली, ऑटो डेस्क। देश में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री इस समय मंदी के दौर से गुजर रही है। जुलाई 2019 में ऑटो सेल्स में 30.98 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है। ऑटो इंडस्ट्री में इतनी ज्यादा मंदी करीब दो दशकों के बाद देखने को मिली है। इससे पहले दिसंबर 2000 में ऑटो इंडस्ट्री ने इससे कहीं ज्यादा बड़ी गिरावट का सामना किया था।

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ऑटो सेल्स में गिरावट देश में अर्थव्यवस्था मंदी का नतीजा है, जिसकी वजह से पैसेंजर व्हीकल जो कि सबसे तेजी से ग्रोथ करने वाला सेगमेंट रहा था उसकी बिक्री में भी गिरावट आई है। ऑटो मेकर्स इंडस्ट्री के साथ-साथ कई संगठन जैसे सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM), ऑटोमोबाइल कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन (ACMA) और फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) ने मंदी के बारे में चिंता जाहिर की है।

पिछले 9 माह से बिक्री में गिरावट आ रही है। जुलाई में पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में 200,990 यूनिट्स बिकीं जो कि पिछले साल बिकीं 290,391 यूनिट्स की तुलना में 30.98 फीसद कम थी।

ऑटो सेक्टर ने 19 साल पहले दिसंबर, 2000 में पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट में 35 फीसद की गिरावट देखी गई थी। वहीं पैसेंजर कार सेगमेंट में इससे भी ज्यादा 39.86 फीसद की गिरावट देखी गई थी।

ऑटो इंडस्ट्री में स्लोडाउन की वजह से कई नौकरी जाने का खतरा पैदा हुआ है। SIAM के अनुसार करीब 10 लाख लोगों को इसकी वजह से नुकसान पहुंच सकता है।

कंपोनेंट्स इंडस्ट्री और ओईएम पहले से ही इस स्थिति से गुजर रहे हैं। कंपोनेंट्स निर्माण कारोबार में करीब 1 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं। वहीं कार और दोपहिया वाहन निर्माता इंडस्ट्री से करीब 15,000 लोगों की नौकरी गई हैं।

ऑटो इंडस्ट्री में उस समय पर मंदी आई है जहां इंडस्ट्री नए एमिशन्स और सेफ्टी नॉर्म्स के लिए तैयार कर रही है। कार निर्माता और कंपोनेंट्स निर्माताओं ने बीएस 6 एमिशन नॉर्म्स के लिए लगभग 80,000 करोड़ रुपये का निवेश किया है और अगर ऐसे में बिक्री ठीक नहीं हुई तो इंडस्ट्री के लिए निवेश की गई पूंजी प्राप्त करना भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए कार निर्मता कंपनियां कीमतें बढ़ाने पर भी ज्यादा ध्यान नहीं दे सकती हैं।

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