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Shani Dev Upay: इन उपायों से करें कर्मफल दाता शनिदेव को प्रसन्न, चमक उठेगा सोया भाग्य

Updated: Sun, 05 Oct 2025 05:05 PM (IST)

ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव (Shani Dev) को कर्मफल दाता कहा जाता है। कुंडली में शनि मजबूत होने से जातक को करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। साथ ही शनिदेव की कृपा से जीवन में तरक्की की राह पर अग्रसर रहता है। भगवान शिव की पूजा करने से कुंडली में शनि ग्रह मजबूत होता है।

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Shani Dev Upay: शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें?

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। शनि देव को ज्योतिष में सबसे अधिक भयभीत करने वाले ग्रहों में से एक माना जाता है। इन्हें बड़े पाप ग्रहों में गिना जाता है और ये दुर्भाग्य, दुख, देरी और मृत्यु के अधिपति माने जाते हैं। शनि देव स्वयं 'काल' यानी समय के स्वामी माने जाते हैं।

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शनि देव वृद्धावस्था, रोग (विशेषकर बुजुर्गों के रोग), जर्जरता, मृत्यु, रुकावटें, विलंब, दुख और कठिनाइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह भी कहा जाता है कि शनि देव राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं।

शनि देव सतर्कता, सीमाएं, कठोरता और जड़ता का भी संकेत देते हैं। लेकिन इनका एक सकारात्मक पक्ष भी है शनि देव जीवन के सबसे प्रभावी शिक्षक माने जाते हैं। ये परिपक्वता, धैर्य, अनुशासन और आत्मिक समझ प्रदान करते हैं। शनि देव कुम्भ और मकर राशि के स्वामी होते हैं।

तुला राशि में ये उच्च के होते हैं और मेष राशि में नीच के माने जाते हैं। कुंडली में शनि देव की स्थिति यह दर्शाती है कि जीवन में हमें किन क्षेत्रों में सबसे अधिक परिश्रम करना पड़ेगा। यदि व्यक्ति पूरी निष्ठा से मेहनत करता है, तो शनि देव स्थायी और मजबूत फल प्रदान करते हैं।

जब शनि देव जन्मकुंडली में पीड़ा या भारी प्रभाव देते हैं, तब जीवन में बाधाएँ, विलंब, मानसिक दबाव और कर्म की कठिन परीक्षाएँ सामने आ सकती हैं। ऐसे समय में कुछ सरल लेकिन प्रभावशाली उपायों के माध्यम से शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

नीचे दिए गए उपाय शास्त्रों और ऋषियों द्वारा बताए गए हैं, जो श्रद्धा से किए जाएँ तो शनि दोष की शांति और आत्मिक स्थिरता में सहायक हो सकते हैं।

शनि देव के दोषों की शांति के उपाय

  • कुमारी कन्या को मेवे भेंट करें।
  • कौओं, कुत्तों और भैंसों को भोजन कराएं।
  • कर्मचारियों के साथ उचित व्यवहार करें।
  • कभी भी किसी और के हिस्से या अधिकार का हनन न करें।

शनि देव के बड़े दोषों की शांति के लिए उपाय:

  • शनि देव की मूर्ति लोहे से बनवानी चाहिए। उनका रंग नीला माना जाता है और चार भुजाओं में शूल (भाला), धनुष, बाण और एक हाथ आशीर्वाद देने की मुद्रा में होना चाहिए। उनका वाहन गधा होता है।
  • शनि देव की पूजा उनके रंग के फूलों और वस्त्रों से करें। साथ ही, धूप, दीप, गंध, गूगल आदि से पूजन करें। शनि देव की मूर्ति जिस धातु से बनी हो और उन्हें प्रिय भोजन – इनका दान श्रद्धा और भक्ति से करना चाहिए ताकि दोष की शांति हो सके।
  • महर्षि पराशर ने कहा है कि शनि देव के मंत्र का 23,000 बार जप करना चाहिए।
  • शनि हवन के लिए 'शमी' की लकड़ी का प्रयोग करें। हवन सामग्री में शहद, घी, दही या दूध मिलाकर आहुति दें। मंत्रों का 108 या 28 बार जप करते हुए हवन करें।
  • इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। तिल (काले) के साथ पका हुआ चावल विशेष रूप से दें। पूजा के बाद यजमान अपनी श्रद्धा के अनुसार दक्षिणा दें और ब्राह्मणों को संतुष्ट करें।

मंत्र जप

शनि दोष को कम करने के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जप किया जाता है। बीज मंत्र को सबसे अधिक प्रभावशाली माना जाता है।

शनि मंत्र:

  • “ॐ शनैश्चराय नमः”
  • शनि बीज मंत्र:
  • “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”

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लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।