Shukra Dev Upay: इन आसान उपायों से करें सुखों के कारक शुक्र देव को प्रसन्न, खुशियों से भर जाएगा जीवन
शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी और सुखों के कारक शुक्र देव को समर्पित होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और शुक्र देव की पूजा और उपासना की जाती है। साथ ही वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जाता है। देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि आती है।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। शुक्र देव कुंडली में प्रेम और रोमांस के ग्रह हैं। ये सभी ग्रहों में सबसे सुंदर माने जाते हैं। शुक्र देव सौंदर्य, आकर्षण, आनंद, स्नेह और कामुकता का संकेत देते हैं। यह स्त्री स्वरूप के ग्रह हैं और सामान्य रूप से सभी स्त्रियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
शुक्र देव वृषभ और तुला राशियों के स्वामी हैं। ये मीन राशि में उच्च के होते हैं और कन्या राशि में नीच के माने जाते हैं। ये पुरुष और स्त्री दोनों की कुंडली में विवाह का प्रतिनिधित्व करते हैं। पुरुष की कुंडली में यह पत्नी का संकेत देते हैं। यह पुरुष की वीर्यता और वीर्य का भी प्रतीक हैं।
शरीर में शुक्र देव आंखों के स्वामी माने जाते हैं और सुंदर आंखें प्रदान करते हैं। शुक्र उन सभी कार्यों पर शासन करते हैं जो स्त्रीत्व, सौंदर्य, कला, संगीत, रचनात्मकता, फैशन और सौंदर्य प्रसाधनों से जुड़े होते हैं। यह विलासिता, इत्र, फूलों और सुंदर वस्तुओं का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
जब शुक्रदेव कुंडली में पीड़ित होते हैं, तो जीवन में प्रेम, सौंदर्य, वैवाहिक सुख और भौतिक समृद्धि में कमी आने लगती है। ऐसे में श्रद्धा से किए गए कुछ विशिष्ट उपाय शुक्र देव की कृपा प्राप्त कराने में सहायक होते हैं। नीचे बताए गए उपायों से आप जीवन में सुख, आकर्षण और संतुलन फिर से ला सकते हैं।
शुक्र दोष के उपाय
- पहली रोटी गाय को अर्पित करें, प्रतिदिन दही का सेवन करें।
- प्रतिदिन देसी घी का सेवन करें और घर को सदैव सुगंधित रखें।
- शुक्रदेव की मूर्ति चांदी में (या चांदी के रंग में) बनवानी चाहिए। उन्हें सफेद वस्त्रों में सुशोभित माना गया है। उनकी चार भुजाएं होनी चाहिए एक में दंड, दूसरी में अक्षसूत्र, तीसरी में कमंडलु और चौथा हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में हो।
- शुक्रदेव की पूजा उनके स्वरूप के अनुसार रंग वाले वस्त्रों व पुष्पों से करें। उन्हें सुगंध, अगरबत्ती, दीप, हवन समिधा, धूप, गुग्गुल आदि अर्पित करें। उनकी धातु (चांदी) और प्रिय खाद्य पदार्थों का श्रद्धा से दान करें, जिससे उनके कष्टकारी प्रभाव दूर हो सकें।
- महर्षि पराशर ने कहा है कि शुक्र देव के मंत्र का 16,000 बार जाप करना चाहिए। हवन के लिए गूलर की लकड़ी का प्रयोग करें। हवन सामग्री में शहद, घी, दही या दूध मिलाकर 108 या 28 बार मंत्रों के साथ आहुति दें।
- हवन के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। घी मिला हुआ चावल देना अनिवार्य होता है। पूजन के अंत में श्रद्धा अनुसार दक्षिणा दें और ब्राह्मणों को संतुष्ट करें।
मंत्र जाप
शुक्र दोष की शांति के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का जाप किया जाता है। बीज मंत्र को विशेष रूप से प्रभावशाली माना जाता है।
- शुक्र मंत्र:
- “ॐ शुक्राय नमः”
बीज मंत्र:
“ॐ द्रां द्रीं द्रौं सः शुक्राय नमः”
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लेखक: आनंद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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