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डिविजनल चार्ट्स से नवांश कुंडली तक, इस विधि से देखा जाता है व्यक्ति का फ्यूचर

Updated: Tue, 23 Sep 2025 03:39 PM (IST)

वैदिक ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के बारे में विस्तार से बताया गया गया है। जन्म कुंडली के द्वारा व्यक्ति के फ्यूचर से जुड़ी विशेष जानकारी प्राप्त की जाती है। जीवन के हर पहलू को समझने के लिए विशेष चार्टों (astrology charts) का अध्यन करना चाहिए। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कुंडली के बारे में विस्तार से।

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किस कुंडली की कहां होती है महत्वपूर्ण भूमिका

एस्ट्रोपत्री। यहां हम वैदिक ज्योतिष के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं डिविजनल चार्ट्स (Divisional Charts), चलित कुंडली (Bhava Chalit Chart) और नवांश कुंडली (D9 Chart) की सरल जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं। जन्म कुंडली केवल एक झलक देती है, लेकिन जीवन के हर पहलू को गहराई से समझने के लिए इन विशेष चार्टों (Astrology Charts) का अध्ययन आवश्यक होता है।

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डिविजनल चार्ट्स (Divisional Charts) जीवन के विशिष्ट क्षेत्रों जैसे विवाह, करियर, धन, और स्वास्थ्य को स्पष्ट करते हैं; चलित कुंडली ग्रहों के वास्तविक प्रभाव को भावों के अनुसार दर्शाती है; और नवांश कुंडली आत्मिक विकास व वैवाहिक जीवन की दिशा को उजागर करती है।

इन तीनों चार्टों का संयुक्त अध्ययन ज्योतिषीय विश्लेषण को अधिक सटीक, गहन और व्यावहारिक बनाता है।

डिविजनल चार्ट्स

डिविजनल चार्ट्स या षोडशवर्ग विशेष चार्ट होते हैं, जो मुख्य जन्म कुंडली (D-1) से बनाए जाते हैं। इसमें हर राशि को छोटे-छोटे खंडों में बांटा जाता है। हर खंड जीवन के किसी खास पक्ष से जुड़ा होता है, जैसे विवाह, करियर, धन या स्वास्थ्य। इन वर्ग कुण्डलियों के माध्यम से ग्रहों की वास्तविक शक्ति, उनका स्वभाव और विभिन्न जीवन क्षेत्रों पर उनका प्रभाव और गहराई से समझा जा सकता है।

मुख्य कुंडली (D-1 चार्ट) जीवन का संपूर्ण खाका स्वास्थ्य, करियर, संबंध, व्यक्तित्व और धर्म की दिशा को प्रस्तुत करता है।

यहां कौन-कौन से भाव देखे जाते हैं?

सभी बारह भाव देखे जाते हैं।

किन ग्रहों पर विशेष ध्यान दिया जाता है?

लग्नेश, दशा के स्वामी और योगकारक ग्रह।

यह कब उपयोगी होती है?

हर ज्योतिषीय विश्लेषण की शुरुआत यहीं से होती है। जब तक D1 का अध्ययन न हो, कोई भी वर्ग कुंडली (Divisional Chart) सही नहीं मानी जाती।

यह कैसे बनती है?

जन्म के समय ग्रहों की सटीक स्थिति को बारह राशियों में बांटकर बनाई जाती है।

षोडशवर्ग विशेष रूप से 16 प्रकार के होते हैं राशि, होरा, द्रेक्कण, चतुर्थांश, सप्तमांश, नवांश, दशमांश, द्वादशांश, षोडशांश, विंशांश, चतुर्विंशांश, सप्तविंशांश, त्रिंशांश, खवेदांश, अक्षवेदांश और षष्ट्यांश।

चलित कुंडली (Bhava Chalit Chart)

चलित कुंडली, जिसे भाव चलित कुंडली भी कहा जाता है, वैदिक ज्योतिष की एक विशेष कुंडली है जो राशिचक्र (D1) की तुलना में ग्रहों की स्थिति को भावों के अनुसार समायोजित करती है। जहां लग्न कुंडली में हर राशि को बराबर 30° में बांटा जाता है, वहीं चलित कुंडली एक गतिशील पद्धति अपनाती है। ग्रहों को उनके वास्तविक अंशों के आधार पर भावों में रखा जाता है। इससे हर भाव में ग्रहों का असली प्रभाव अधिक सटीक रूप से दिखता है।

इस कुंडली की भूमिका कहां महत्वपूर्ण होती है-

  • ग्रह वास्तव में किस भाव में हैं, यह सही से समझने में।
  • भविष्यवाणी में ग्रहों के प्रभाव को ज्यादा सटीक रूप में देखने में।
  • ग्रह एक ही राशि में रहकर भी भाव बदल सकते हैं ये बदलाव चलित कुंडली से स्पष्ट होते हैं।

उदाहरण:

अगर राशिचक्र में कोई ग्रह किसी राशि के अंत में है, तो चलित कुंडली में वह अगले भाव में चला जा सकता है इससे भविष्यवाणी का पूरा अर्थ बदल सकता है।

क्या है नवांश कुंडली? (Navamsa Kundli)

‘नव’ का अर्थ है नौ और ‘अंश’ का अर्थ है भाग। नवांश कुंडली मुख्य कुंडली (D1) की नौ भागों में विभाजित स्थिति से बनती है। इसे ज्योतिष में विशेष महत्व दिया गया है। नवांश कुंडली (D9) आत्मिक विकास और वैवाहिक जीवन की गहराई को प्रकट करती है।

इसका महत्व

  • यह ग्रहों की छिपी शक्ति और आंतरिक संभावनाओं को दर्शाती है।
  • कोई ग्रह यदि जन्म कुंडली (D1) में कमजोर हो, पर नवांश में मजबूत हो, तो वह भीतर से समर्थ और फलदायी बन जाता है।
  • यह चार्ट विवाह, रिश्ते, धर्म और आत्मिक परिपक्वता का गहरा संकेत देता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

जानकार ज्योतिषी नवांश में लग्न और ग्रहों की स्थिति को देखकर यह समझते हैं कि जीवन की घटनाओं के पीछे आत्मा कैसे विकसित हो रही है, व्यक्ति का कर्म कैसे खुल रहा है, और आध्यात्मिक यात्रा किस दिशा में बढ़ रही है।

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इन उपायों से करें मायावी ग्रह को प्रसन्नयह Astropatri.com के सौजन्य से प्रस्तुत है. सुझाव व प्रतिक्रियाओं के लिए hello@astropatri.com पर ईमेल करें।