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Shri Hemkund Sahib Yatra: ऋषिकेश से पहला जत्‍था रवाना, 25 मई को खुलेंगे कपाट

Shri Hemkund Sahib Yatra हेमकुंड साहिब-लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा व्यवस्थाएं पूरी कर दी गई हैं। हेमकुंड साहिब में निशान साहिब को चढ़ा दिया गया है। वहीं गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब यात्रा के लिए बुधवार को ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब प्रबंधन समिति की ओर से श्रद्धांलुओं का पहला जत्था रवाना किया गया है। गोविंदघाट से घांघरिया व घांघरिया से गाेविंदघाट तक दो बजे तक यात्रियों की आवाजाही रहेगी।

By Devendra rawat Edited By: Nirmala Bohra Published: Wed, 22 May 2024 11:55 AM (IST)Updated: Wed, 22 May 2024 11:55 AM (IST)
Shri Hemkund Sahib Yatra: प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश: Shri Hemkund Sahib Yatra: गुरुद्वारा श्री हेमकुंठ साहिब यात्रा के लिए बुधवार को ऋषिकेश स्थित गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब प्रबंधन समिति की ओर से श्रद्धांलुओं का पहला जत्था रवाना किया गया है। मुख्य अतिथि के रूप में राज्यपाल पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने जत्थे को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

निशान साहिब को चढ़ाया

गोपेश्वर: हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा व्यवस्थाएं पूरी कर दी गई हैं। हेमकुंड साहिब में निशान साहिब को चढ़ा दिया गया है। हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को फूलों से सजाने का काम भी शुरु हो गया है।

हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट खुलने के लिए सिर्फ तीन दिन शेष बचे हैं। हेमकुंड साहिब के कपाट 25 मई को खुल रहे हैं। 24 मई को गोविंदघाट से पंचप्यारों के नेतृत्व में जत्था रवाना होगी। यात्रा मार्ग पर कपाट खुलने की तैयारी पूरी हो चुकी है।

हेमकुंड साहिब में यात्रा शुरु होने से पूर्व धार्मिक रस्म निशान साहिब को चढ़ा दिया गया है। निशान साहिब चढ़ाने के साथ हेमकुंड में गुरुद्वारा श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट द्वारा तीन ग्रंथी, 15 लंगर व 25 सेवादार की टीम हेमकुंड साहिब पहुंच चुकी है। कपाट खुलने के उत्सव को यादगार बनाने के लिए पांच कुंतल गेंदे, गुलाब सहित अन्य प्रजाति के फूलों से सजाया जा रहा है। इसके अलावा 15 कुंतल आर्टिफिशियल फूलों से सजाया जा रहा है।

सेना ने हेमकुंड साहिब में लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के परिक्रमा स्थल से भी बर्फ साफ कर दी है। साथ ही हेमकुंड आवाजाही के लिए सीढ़ी मार्ग व खच्चर मार्ग को भी सुचारु कर दिया गया है। अटलाकोटी हिमखंड में आवाजाही के लिए दो अलग-अलग मार्ग बनाए गए हैं। यहां पर हिमखंड को खतरे को देखते हुए पांच एनडीआरएफ के जवान तैनात किए जाएंगे व पांच जवान हेमकुंड साहिब में तैनात रहेंगे।

हेमकुंड यात्रा मार्ग पर गोविंदघाट से घांघरिया व घांघरिया से गाेविंदघाट तक दो बजे तक यात्रियों की आवाजाही रहेगी। इसके अलावा घांघरिया से हेमकुंड क्षेत्र में 11 बजे तक हेमकुंड जा सकेंगे। हेमकुंड यात्रा मार्ग पर अटलकोटी से हेमकुंड तक दो किमी क्षेत्र में एसडीआरएफ की देखरेख में यात्रियों की आवाजाही होगी। इस बार एसडीआरएफ के जवान स्थाई रूप से हेमकुंड में निवास करेंगे। यात्रियों को दो किमी क्षेत्र में बर्फ के बीच आवाजाही करनी होगी।

बर्फ में आवाजाही के दौरान यात्रियों को सावधानी बरतने की भी जरुरत है। घोडे़ खच्चरों का पंजीकरण शुरु कर दिया गया है। ईडीसी द्वारा पांच सौ घोड़ोंं खच्‍चरों का पंजीकरण किया जा चुका है। घोडे़, खच्चर से फिलहाल आवाजाही अटलाकोटी हिमखंड तक ही होगी। घांघरिया में दो व हेमकुंड के लिए एक चिकित्सक स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए पहुंच चुके हैं। इसके अलावा सरकारी चिकित्सालय घांघरिया में चिकित्सा स्टाफ रवाना हो गए हैं।

हेमकुंड लोकपाल लक्ष्मण मंदिर की यात्रा पर यात्रियों को गोविंदघाट पुल में पजीकरण की चेकिंग होगी। मई जून की चिलचिलाती गर्मी में यात्रियों को हेमकुंड में बर्फ का दीदार होगा। हेमकुंड में अभी भी आस पास आठ फीट बर्फ जमी है। यात्रियों को स्वास्थ्य परीक्षण के साथ गर्म कपडे लाने आवश्यक हैं।

ये हैं मान्यता

हेमकुंड साहिब को लेकर मान्यता है कि यहां पर सिखों के 10वें गुरु गोविंदसिंह साहिब ने दुष्टदमन के रुप में तपस्या की थी। यह बात सिखों के धार्मिक साहित्य में दर्ज है। जिसमें सात शिखरों के बीच सरोवर के किनारे तपस्या का जिक्र है। हेमकुंड सरोवर भी बर्फ से ढका है। इसके एक हिस्से से बर्फ को हटाकर स्नान घाट बनाया गया है।

लोकपाल लक्ष्मण मंदिर

लोकपाल लक्ष्मण मंदिर को लेकर मान्यता है कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जी ने पूर्व जन्म में शेषनाग के अवतार में तपस्या की थी। यहां पर लक्ष्मण मंदिर है। जिसमें प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु दर्शनों के लिए आते हैं।

कैसे पहुंचे

ऋषिकेष से 272 किमी गोविंदघाट बदरीनाथ हाइवे पर सफर तय कर पहुंचा जा सकता है। यहां से 14 किमी हेमकुंड साहिब के बेस कैंप घांघरिया पहुंचा जाता है। घांघरिया से पांच किमी पैदल चलकर हेमकुंड साहिब यात्री पहुंचते हैं। हेमकुंड में रात्रि को ठहरने की कोई व्यवस्था नहीं है। लिहाजा यात्रियों को वापस घांघरिया आना पड़ता है। हालांकि रास्ते में खाने पीने की पर्याप्त दुकानें है। गोंविदघाट, घांघरिया में गुरुद्वारा लंगर के साथ पर्याप्त संख्या में होटल रेस्टोरेंट हैं।

हेली सेवा भी है

गोविंदघाट से घांघरिया तक 14 किमी क्षेत्र में हेली सेवा भी उपलब्ध है। इस बार यहां डेढ़ दशक से हेली सेवा दे रहे डेकन कंपनी ने हेली सेवा से हाथ खींचे हैंं। हालांकि पवन हंस कंपनी यहां हेली सेवा के लिए आगे आई है।


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