तू डाल-डाल तो मैं पात-पात! पुलिस को बालू माफिया दे रहे खुली चुनौती, धड़ल्ले से कर रहे कारोबार
देवघर में बालू माफिया पुलिस को लगातार चुनौती दे रहे हैं। लगातार बालू की गाड़ियों को पकड़ा जा रहा है लेकिन ये बालू माफिया पुलिस के आंख में धूल झोकनें का कोई भी मौका जाने नहीं देना चाहते हैं। पुलिस अगर डाल-डाल चल रही है तो बालू माफिया पात-पात चल रहे हैं। चालान पर बालू ढोने जाने का काट इन माफियाओं ने लगा लिया है।
जागरण संवाददाता, देवघर। पुलिस लगातार अवैध बालू कारोबार पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रही है। लगातार बालू की गाड़ियों को पकड़ा जा रहा है, लेकिन ये बालू माफिया पुलिस के आंख में धूल झोकनें का कोई भी मौका जाने नहीं देना चाहते हैं। पुलिस अगर डाल-डाल चल रही है तो बालू माफिया पात-पात चल रहे हैं।
चालान पर बालू ढोने जाने का काट इन माफियाओं ने लगा लिया है। ये लोग रात के वक्त अवैध रूप से बालू उठाकर विभिन्न थाना क्षेत्रों में जगह-जगह पर बालू स्टॉक कर लेते हैं। दिन में वे बालू घाट से चालान पर बालू लेकर आते हैं। एक चालान में साढे तीन घंटे का समय दिया जाता है।
इसी समय के हेराफेरी इन बालू माफियाओं के द्वारा किया जाता है। जल्दी से चालान पर ढोने जाने वाले बालू को गिराकर अवैध रूप से स्टॉक किया गया बालू उसी चालान पर फिर दूसरी जगह गिरा दिया जाता है। ऐसे में ये टिकट पर दो शो चलता है। चालान वाला बालू 3500 रुपया में बेजा जा रहा है।
अवैध स्टॉक बालू 2500 से 3000 के बीच मिल रहा
वहीं, अवैध स्टॉक किया गया बालू 2500 से 3000 के बीच मिल रहा है। पुलिस अगर जांच भी करती है तो वे चालान दिखा देते हैं। इसमें समस्या ये है कि समय पर एक ट्रिप की जगह दो ट्रिप चलाने के चक्कर में ये बालू गाड़ी वाले काफी तेजी में ट्रैक्टर चलाते हैं और ऐसे में हर वक्त हादसे का खतरा बना रहता है।
ये धंधा लगभग सभी थाना क्षेत्र में बहुत ही सलीके से चलाया जा रहा है। वहीं, अगर स्टॉक किए गए बालू के बारे में पुलिस को भनक लग भी गई तो उसे तत्काल जेसीबी की मदद से हटा दिया जाता है। इस पूरे प्रकरण में एक बात और गैर करना होगा कि कहीं ने कहीं खनन विभाग द्वारा इन बालू कारोबारियों के पीठ पर हाथ रखा गया है।
खनन विभाग द्वारा शायद ही अवैध रूप से बालू उठाव वे बेचने को लेकर कार्रवाई नहीं की जाती है। वहीं, अगर पुलिस गाड़ी को पकड़कर खनन विभाग को कार्रवाई करने के लिए प्रतिवेदन देती भी है तो मामला दर्ज करने के बजाय जुर्माना करके गाड़ी को छोड़ दिया जाता है। इससे बालू माफियाओं का मनोबल लगातार बढ़ रहा है।
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