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Extramarital Affair: दूसरी महिला के साथ रहता था SSB जवान, फिर हुआ बर्खास्त; अब High Court ने सुनाया ये फैसला

कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता की पत्नी रुखसाना खातून ने बगहा एसएसबी कमांडेंट को एक लिखित शिकायत देकर आरोप लगाया कि ढाई साल पहले उसकी शादी आवेदक से हुई थी। दो बच्ची भी हुई लेकिन उसे बच्चों के साथ मायके में छोड़ दिया गया। यहां तक कि खर्च भी नहीं दे रहे हैं। उनका कहना था कि शिकायत पर जांच की गई और उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।

By Arun Ashesh Edited By: Rajat Mourya Published: Thu, 02 May 2024 08:57 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2024 08:57 PM (IST)
दूसरी महिला के साथ रहता था SSB जवान, फिर हुआ बर्खास्त; अब Patna HC ने सुनाया ये फैसला

राज्य ब्यूरो, पटना। Patna High Court पत्नी एवं दो नाबालिग बच्चियों को छोड़ दूसरी लड़की के साथ रहने वाले एसएसबी जवान की नौकरी बर्खास्तगी आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए पटना हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। न्यायाधीश डॉ. अंशुमान की एकलपीठ ने मुख्तार अहमद उर्फ मुख्तार अली की याचिका पर सुनवाई की।

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कोर्ट को बताया कि गया कि याचिकाकर्ता की पत्नी रुखसाना खातून ने बगहा एसएसबी कमांडेंट को एक लिखित शिकायत देकर आरोप लगाया कि ढाई साल पहले उसकी शादी आवेदक से हुई थी। दो बच्ची भी हुई, लेकिन उसे बच्चों के साथ मायके में छोड़ दिया गया। यहां तक कि खर्च भी नहीं दे रहे हैं।

उनका कहना था कि शिकायत पर जांच की गई और उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। आवेदक ने नोटिस का जबाब भी दिया। इसके बाद कोर्ट आफ इन्क्वायरी शुरू की गई। इसने आवेदक को बगैर सूचना दिये दूसरी लड़की के साथ शादी करने और दूसरी लड़की के साथ रहने की सूचना नहीं देने का दोषी करार दिया।

प्रति माह 8 हजार रुपये देने थे

कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की रिपोर्ट के बाद कमांडेंट ने प्रत्येक माह आठ हजार रुपये पत्नी को देने का आदेश दिया। उनका कहना था कि अधिकारियों के दवाब में आवेदक ने स्वीकार किया कि उसने दूसरी शादी की है। जबकि दूसरी शादी का कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया।

उनका कहना था कि पत्नी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उसने शिकायत की थी। आवेदक पत्नी के साथ रहने को तैयार है और दूसरी शादी नहीं किये जाने को लेकर अपना बयान दर्ज कराने को राजी हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट आफ इनक्वायरी ने सही तथ्यों का अवलोकन किए बगैर सही जानकारी छिपाने के आरोप में उसे बर्खास्त कर दिया।

हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

केंद्र सरकार के अधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आवेदक के जबाब और कोर्ट आफ इन्क्वायरी की रिपोर्ट के बाद ही आवेदक को नौकरी से बर्खास्त किया गया है। इस पर हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलील को नामंजूर करते हुए याचिका को खारिज कर दिया।

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