गाजियाबाद की सड़कों को मिलेगा यूनिक आईडी नंबर, संपत्तियों का डाटा होगा ऑनलाइन; होंगे ये फायदे
गाजियाबाद जिले की सड़कों और नालों की पहचान के लिए प्रत्येक को यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा। एक माह में यह कार्य पूरा हो जाएगा इसके बाद विकास कार्याें में किए जा रहे फर्जीवाड़े पर अंकुश लग सकेगा तो दूसरी तरफ नागरिकों काे पता चल सकेगा कि उनसे कितनी दूरी पर शौचालय पेट्रोल पंप मार्केट सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
जागरण संवाददाता, गाजियाबाद। नगर निगम क्षेत्र में स्थित भवनों से लेकर सड़कों, नालों, स्ट्रीट लाइटों, शौचालयों सहित अन्य संपत्तियों का डाटा जल्द ही एक क्लिक पर नगर निगम के अधिकारियों के पास उपलब्ध होगा। इसके लिए सर्वे कराकर भौगोलिक सूचना प्रणाली की मैपिंग का कार्य कराया जा रहा है।
सड़कों और नालों की पहचान के लिए प्रत्येक को यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा। एक माह में यह कार्य पूरा हो जाएगा, इसके बाद विकास कार्याें में किए जा रहे फर्जीवाड़े पर अंकुश लग सकेगा तो दूसरी तरफ नागरिकों काे पता चल सकेगा कि उनसे कितनी दूरी पर शौचालय, पेट्रोल पंप, मार्केट सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं।
स्ट्रीट लाइटें लगाने सहित अन्य कार्य कराए गए
नगर निगम सीमा के क्षेत्र में नगर निगम के साथ ही आवास विकास परिषद, जीडीए, एनएचएआई, लोक निर्माण विभाग द्वारा भी नागरिकों को सुविधाएं देने के लिए सड़कें बनाने, शौचालय बनाने, नालों, नालियों का निर्माण कार्य, स्ट्रीट लाइटें लगाने सहित अन्य कार्य कराए गए हैं। अब तक नगर निगम के पास इसकी डिजिटल जानकारी उपलब्ध नहीं थी, जरूरत पड़ने पर संबंधित विभाग के अधिकारियों को पत्र भेजकर जानकारी प्राप्त करनी पड़ती है। इसमें देरी लगती है, विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं।
कई बार बनी हुई सड़कों की मरम्मत के लिए प्रस्ताव बना दिया जाता है, अधिकारियों के संज्ञान में मामला न होने के कारण बजट जारी हो जाता है। लेकिन अब ऐसा न हो, इसके लिए सर्वे में सड़कों, नालों, स्ट्रीट लाइटों, शौचालयों सहित सरकारी जमीनों की भी जानकारी जुटाई गई है, जिसे पोर्टल के साथ ही नगर निगम द्वारा संचालित गाजियाबाद 311 एप पर फीड किया जाएगा।
अन्य सुविधाओं के बारे में भी जानकारी मिल जाएगी
इसके बाद नगर निगम के अधिकारियों को यह पता चल सकेगा कि नगर निगम सीमा क्षेत्र में कुल कितने कितने किलोमीटर सड़कें बनी हैं, कहां पर मरम्मत की आवश्यकता है। दूसरे विभाग की कितनी सड़कें है। कितने स्ट्रीट लाइट लगी हैं और इनमें से कितनी चालू और कितनी बंद हैं। सरकारी जमीनों, नालों, नालियों, शौचालयों सहित अन्य सुविधाओं के बारे में भी जानकारी मिल जाएगी।
बृहस्पतिवार को नगर निगम कार्यालय में इस संबंध में नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक की अध्यक्षता में बैठक की गई। जिसमें रिमोट सेंसिंग एप्लीकेशन सेंटर लखनऊ से आए विज्ञानी आलोक सैनी द्वारा प्रजेंटेशन दिया गया।
संपत्तियों की जानकारी 70 श्रेणी में तैयार की गई
उन्होंने बताया कि सर्वे के दौरान नगर निगम की संपत्तियों के बारे में जो जानकारी एकत्र की गई है, उसकी किस तरह से डिजिटल डायरी तैयार की जा रही है। जिससे कि अधिकारियों को आसानी से नगर निगम की प्रत्येक संपत्ति के बारे में जानकारी हो सकेगी। नगर निगम की संपत्तियों की जानकारी 70 श्रेणी में तैयार की गई है, जिसे एप और पोर्टल पर अपडेट करने का कार्य किया जा रहा है।
सर्वे के माध्यम से सड़कों की लंबाई, चौड़ाई, स्थिति के बारे में पता चल सकेगा। किस सरकारी जमीन पर कब्जा है और कितनी कब्जामुक्त है, यह भी पता चल सकेगा। प्रत्येक छह माह में इस तरह का सर्वे कराकर डाटा अपडेट किया जाएगा। - विक्रमादित्य सिंह मलिक, नगर आयुक्त