दिल्ली-एनसीआर में फर्जी कंपनी बना 200 से ज्यादा लोगों से की ठगी, पांच गिरफ्तार
दिल्ली-एनसीआर में लोगों से ऑनलाइन ठगी व धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को कौशांबी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। ये सभी फर्जी कंपनी बनाकर पिछले दो साल में 200 से अधिक लोगों से दस करोड़ की ठगी कर चुके हैं। इनसे 41 डेबिट-क्रेडिट कार्ड दस फोन एक टैब पांच चैक बुक सात मोहर चार पहचान पत्र चार आधार कार्ड एक होंडा सिटी गाड़ी बरामद की है।
जागरण संवाददाता, साहिबाबाद। दिल्ली-एनसीआर में लोगों से ऑनलाइन ठगी व धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के पांच सदस्यों को कौशांबी पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
ये सभी फर्जी कंपनी बनाकर पिछले दो साल में 200 से अधिक लोगों से दस करोड़ की ठगी कर चुके हैं। इनसे 41 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, दस फोन, एक टैब, पांच चैक बुक, सात मोहर, चार पहचान पत्र, चार आधार कार्ड, चार पैन कार्ड, दो डीएल, एक होंडा सिटी गाड़ी बरामद की है।
शनिवार सुबह हुई गिरफ्तारी
डीसीपी निमिष पाटील ने बताया कि गिरोह का मास्टरमाइंड मनोज कुमार मुरादनगर की न्यू डिफेंस कालोनी में रहता है। गिरोह में न्यू डिफेंस कालोनी का आकाश त्यागी, अमरेश कुमार सिंह निवासी धुनेला सोहना रोड गुरुग्राम हरियाणा, नमन जैन निवासी बंजारन कस्बा नकुड़ सहारनपुर, हाल पता आदित्य वर्ल्ड वेब सिटी व नितिश शर्मा निवासी एफ-ब्लाक नंदग्राम हैं। सभी को शनिवार सुबह गिरफ्तार कर लिया गया है।
मास्टरमाइंड मनोज ने पूछताछ में बताया कि लोगों को यूट्यूब पर वीडियो लाइक से पैसे कमाने, विदेश में नौकरी, अलग-अलग तरह के प्रीपेड टास्क में निवेश करने पर मुनाफा कमाने का झांसा देकर जाल में फंसाते थे।
पुलिस का कहना है कि ठगी गई रकम का 60 प्रतिशत मास्टरमाइंड मनोज अपने पास रखता था व 40 प्रतिशत दूसरे सदस्यों में बांटता था। दो साल में गिरोह ने दिल्ली-एनसीआर में 10 से 15 फर्जी कंपनी बनाई थी। लोगों को दस से 20 हजार का कमीशन देकर कागजात पर खुद कंपनी के निदेशक बन जाते थे।
20 से 25 दिन में फर्जी कंपनी को कर देते थे बंद
एसीपी इंदिरापुरम स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि मनोज दिल्ली-एनसीआर में अलग-अलग जगह पर फर्जी कंपनी खोलकर ठगी व धोखाधड़ी करता था। नितिश शर्मा फर्जी कंपनी खुलवाने के लिए लोगों के कागजात, फोटो, आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज लाकर देता था। इसकी एवज में उसे एकमुश्त पैसे मिलते थे।
कागजात में नाम व पते अलग-अलग होते थे। इनसे कंपनी का जीएसटी नंबर लेकर बैंक में खाता खुलवा लेते थे। फिर इस फर्जी कंपनी को 20 या 25 दिन में बंद करके बैंकखाते में ठगी की रकम जमा करते थे। इसके बाद दूसरे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर निकासी कर लेते थे।
कोरोना में नोकरी छूटने के बाद बनाया गिरोह
मनोज दिल्ली की एक टेलीकाम कंपनी में काम करता था। उसकी कोरोना महामारी के दौरान नौकरी छूट गई थी। नमन जैन के जरिए अन्य लोगों को गिरोह में मिलाकर ठगी का खेल शुरू कर दिया। पुलिस का कहना है कि गिरोह के अन्य सदस्यों का भी पता चला है। उनकी लोकेशन पर काम किया जा रहा है। ठगी व धोखाधड़ी का और बड़ा हो सकता है।