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दुश्‍मनों के मंसूबों को जड़ से नष्‍ट करेगी डिजिटल फोरेंसिक लैब, सीमा पार से आनेवाले ड्रोन का हो सकेगा खात्मा

इन ड्रोन को एंटी राग ड्रोन टेक्नोलॉजी कमेटी (आरओजीयूई) की ओर से तुरंत मारकर नष्‍ट कर दिया जाता है। उसमें रडार और जैमर डिटेक्शन में दिक्कत आती है और उसका डाटा भी रिकवर नहीं हो पाता जिस वजह से दुश्‍मन के मंसूबों तक आखिर वह ड्रोन उसने क्‍यों भेजा गया उसका पता नहीं लग पाता। साइबर फोरेंसिक लैब नष्‍ट डिवाइस से भी डाटा रिकवर कर सारे जवाब उगलवा लेगी।

By Jagran News Edited By: Sonu Suman Published: Thu, 16 May 2024 08:27 PM (IST)Updated: Thu, 16 May 2024 08:27 PM (IST)
दुश्‍मनों के मंसूबों को जड़ से नष्‍ट करेगी डिजिटल फोरेंसिक लैब

कुंदन तिवारी, नोएडा। डिजिटल क्रांति नित नए अध्‍याय लिख रही है। उसी के माध्‍यम से आतंकी संगठनों के मंसूबों को भी पस्‍त किया जा रहा है। एक कड़ी आगे बढ़ते हुए आतंकी देशों द्वारा देश की सीमा पर भेजे जाने वाले ड्रोन के मकसद का भी पता लगाया जा सकेगा। इसके लिए देश की पहली डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब तैयार हो रही है। दुश्मन देश लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर आए दिन ड्रोन के माध्यम से कभी हथियार गिराते हैं तो कभी नशे का सामान फेंकते हैं या फिर रेकी करते हैं। 

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इन ड्रोन को एंटी राग ड्रोन टेक्नोलॉजी कमेटी (आरओजीयूई) की ओर से तुरंत मारकर नष्‍ट कर दिया जाता है। उसमें रडार और जैमर डिटेक्शन में दिक्कत आती है और उसका डाटा भी रिकवर नहीं हो पाता, जिस वजह से दुश्‍मन के मंसूबों तक आखिर वह ड्रोन उसने क्‍यों भेजा गया, उसका पता नहीं लग पाता। एक माह बाद शुरू होने वाली साइबर फोरेंसिक लैब नष्‍ट डिवाइस से भी डाटा रिकवर कर सारे जवाब उगलवा लेगी।

स्वीडन-इजरायल साइबर टूल का इस्तेमाल

नोएडा स्थित गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में तैयार इस डिजिटल साइबर फोरेंसिक लैब में डाटा रिकवर करने के लिए स्वीडन-इजरायल साइबर टूल का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें डाटा स्ट्रैक्शन टूल को लगाया जाएगा, जिसमें ड्रोन की नष्ट चिप को लगाया जाएगा, इसके बाद उसकी सारी वह जानकारी हासिल होनी शुरू हो जाएगी। इसमें उसकी रिपोर्ट किसके पास है, किस स्थान से उड़ाया गया, ड्रोन के द्वारा कहां-कहां की तस्‍वीरें क्लिक की गईं, कहां भेजी गईं सब राज उगले जाएंगे। डाटा स्ट्रैक्शन वो टूल है, जिसमें नष्‍ट डाटा खुद ही रिकवर हो जाता है।

इसी तरह किसी आतंकी या देश के विरुद्ध साजिश रचने वाले किसी आरोपित का नष्‍ट किया हुआ मोबाइल, लैपटाप मिलता है तो उसे भी रिकवर किया जा सकेगा। इसके लिए स्वीडन, इजरायल, अमेरिका के साइबर टूल का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें नष्ट गैजेट के कुछ अंश को डालने के बाद में मैसेज, ई-मेल, फोटो, फाइल समेत अन्य जानकारी हासिल हो सकेंगी।

लगातार बढ़ रहे ड्रोन हमले

ड्रोन साइबर लैब गौतमबुद्ध नगर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. निशाकांत ओझा के मार्गदर्शन में मुंबई स्थित साइबर टिक इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा तैयार होने के अंतिम चरण में है। कंपनी और यूनिवर्सिटी के बीच अनुबंध प्रक्रिया भी हो चुकी है। जून माह के अंत तक इसकी शुरुआत हो जाएगी। साइबर एवं एयरोस्पेस सिक्योरिटीज (प्रतिरोध-आतंकवाद-एआइ) विशेषज्ञ डॉ. निशाकांत ओझा ने बताया कि वर्ष 2020 से 2023 के बीच आंकड़ों को देखा जाए तो 500 से अधिक प्रतिबंधित ड्रोन के जरिये देश के बार्डर क्षत्र गुजरात, पंजाब, राजस्थान, जम्मू में वेपन हिरोइन, ओपीएम (अफीम), नाइन एमएम पिस्टल, 132 राउंड गन भेजी गई हैं। पिछले वर्षों की तुलना में अब ड्रोन गतिविधि तीन गुना बढ़ गई हैं। इन गतिविधियों को रोकने के मकसद से ही इस लैब को तैयार किया गया है।

आत्मघाती ड्रोन का डाटा भी होगा रिकवर

इस लैब की एक और खासियत है कि इसमें दुश्मन देश से भेजे जाने वाले आत्मघाती ड्रोन का डाटा भी रिकवर किया जा सकेगा। इसमें ड्रोन के मलबे को एकत्र करके लैब लाया जाएगा और इसके बाद डाटा रिकवर किया जाएगा। यह ड्रोन इंप्रोवाइज्‍ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आइईडी) से लैस होते हैं। ये बिलकुल मानव बम की तरह काम करते हैं यानी अपना मकसद पूरा करने के बाद खुद ही ब्लास्ट हो जाते हैं। ऐसे ड्रोन का डाटा डिटेक्ट करना अभी तक  बड़ी चुनौती बना हुआ था। इससे निपटने के लिए यह लैब कारगर साबित होगी। 

हर सुरक्षा एजेंसी के लिए मददगार

इस लैब में न केवल ड्रोन का ही डाटा रिकवर होगा बल्कि टूटे हुए मोबाइल फोन, लैपटाप इत्यादि का भी डाटा रिकवर हो सकेगा। इससे सभी ला इंफोर्समेंट एजेंसी, एनआइए, रा, सीबीआइ, आइबी, ईडी, स्टेट पुलिस, एसटीएफ, एसओजी को लाभ होगा। इससे इन एजेंसियों को किसी भी आपराधिक घटना या आतंकवादी घटना का पर्दाफाश करने में काफी मदद मिलेगी। 

किस बार्डर पर कितने ड्रोन मिले

बार्डर एरिया ड्रोन संख्या
गुजरात 30
जम्मू 50
पंजाब 380
राजस्थान 40

(नोट : वर्ष 2020 से 2023 के बीच बीएसएफ की ओर से कार्रवाई में डैमेज ड्रोन का आंकड़ा ) 

रूस, इजरायल, स्वीडन जैसे देश आज इसी प्रकार के सेंटर संचालित कर रहे हैं। नोएडा का सेंटर रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) के रूप में संचालित होगा। हमारे देश में तमाम आतंकी गतिविधियां होती हैं, जिसमें फोन इस कदर डैमेज मिलता है, जिससे डाटा रिकवर करना बहुत मुश्किल हो जाता है, ऐसे फोन व ड्रोन का डाटा रिकवर करने का काम अब आसानी से किया जा सकेगा।  - प्रोफेसर डॉ निशाकांत ओझा, विशेषज्ञ साइबर एवं एयरोस्पेस सिक्योरिटीज (प्रतिरोध-आतंकवाद-एआई) 


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