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'सिसोदिया सुनवाई में देरी की कर रहे पूरी कोशिश, उनके तर्कों को स्वीकारा नहीं जा सकता', जमानत खारिज करते हुए कोर्ट की टिप्पणी

Delhi Excise Policy Scam मामले में ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामलों दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने कई सख्त टिप्पणियां की थीं। इसमें कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को ही सुनवाई में देरी करने का जिम्मेदार बताया था। अब निचली अदालत के इसी फैसले के खिलाफ सिसोदिया ने हाईकोर्ट में अपील की है।

By Jagran News Edited By: Pooja Tripathi Published: Thu, 02 May 2024 02:13 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2024 02:16 PM (IST)
मनीष सिसोदिया ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में डाली जमानत याचिका। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। आबकारी घोटाले से जुड़े सीबीआई व ईडी मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को राहत देने से इनकार करते हुए राउज एवेन्यू कोर्ट ने टिप्पणी की कि सिसोदिया समेत अन्य सह-आरोपितों द्वारा मामले की सुनवाई में देरी करने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है।

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मनीष सिसोदिया समेत अन्य आरोपित कई आवेदन दायर कर रहे हैं या मौखिक दलीलें दे रहे हैं। इनमें से कुछ आवेदन तो तुच्छ प्रकृति के हैं।

यह टिप्पणी करते हुए अदालत ने ईडी व सीबीआई मामले में नियमित जमानत देने से इनकार करते हुए सिसोदिया की याचिकाएं खारिज कर दीं। मंगलवार को सुनाए गए निर्णय की प्रति बुधवार को उपलब्ध हुई।

कोर्ट ने कहा सिसोदिया के तर्क स्वीकार नहीं किए जा सकते

यह टिप्पणी करते हुए विशेष न्यायाधीश (पीसी एक्ट) कावेरी बावेजा ने कहा कि मामले की सुनवाई में देरी और सुनवाई की गति कछुआ गति से चलने के सिसोदिया के तर्कों को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।

अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2023 में सिसोदिया की जमानत खारिज करते हुए कहा था कि अगर मुकदमा लंबा खिंचता है और अगले तीन महीनों में धीमी गति से आगे बढ़ता है, तो वह ट्रायल कोर्ट के समक्ष नई जमानत याचिका दायर कर सकते हैं।

कोर्ट ने पत्नी की बीमारी की दलील खारिज की

अदालत ने पत्नी की स्वास्थ्य स्थिति के कारण सिसोदिया के जमानत पर रिहा करने के तर्क को भी ठुकरा दिया। अदालत ने कहा कि आवेदक ने अपने आवेदन में उल्लेख किया है कि परिवार में पत्नी की देखरेख के लिए उसके अलावा कोई नहीं है।

हालांकि, यह तथ्यात्मक रूप से गलत है क्योंकि आवेदक का एक बेटा है जो आवेदक की पत्नी की देखभाल कर सकता है। इसके अलावा भी उनकी पत्नी के मेडिकल रिकॉर्ड से ऐसा प्रतीत होता है कि वह लंबे समय से उक्त बीमारी से पीड़ित हैं और उन्हें इसके लिए अपेक्षित चिकित्सा उपचार और देखभाल भी मिल रही है।

ऐसे में आवेदन में आवेदनकर्ता को जमानत पर रिहा करने की तत्काल आवश्यकता या किसी चिकित्सीय आपात स्थिति की जानकारी नहीं है। इतना ही नहीं अदालत ने सह-आरोपित बेनाय बाबू के साथ समानता की मांग करने के सिसोदिया के तर्क को भी ठुकरा दिया।


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