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गर्भ में बेटा ही देखना है, कहकर पत्नी का पेट फाड़ने के दोषी को उम्रकैद; 4 साल पहले दिया था वारदात को अंजाम

लहूलुहान होकर चीखने लगी तो परिवार के अन्य सदस्य आए इस बीच पति भाग गया। कुछ देर में पहुंचे मायके वाले दिल्ली लेकर पहुंचे। तीसरे दिन वहां आपरेशन हुआ तब पता चला कि गर्भ में बेटा ही था जोकि पति के हमले में दम तोड़ चुका था। यदि एक माह पति सब्र रखता तो उसकी इच्छा पूरी हो जाती और बेटे की जान भी न जाती।

By Kamlesh Kumar Sharma Edited By: Mohammed Ammar Published: Thu, 23 May 2024 10:18 PM (IST)Updated: Thu, 23 May 2024 10:18 PM (IST)
पत्नी का गर्भपात और जान से मारने की कोशिश के दोषी को उम्रकैद

जासं, बदायूं : : शादी के 22 वर्ष गुजर गए। आंगन में पांच बेटियों की चहक थी मगर, पन्नालाल के दिमाग में फितूर बैठा रहा कि बेटा जरूर होना चाहिए। इसी में पत्नी अनीता छठवीं बार गर्भवती हुईं। एक माह बाद प्रसव होना था परंतु, पति उनकी स्थिति महसूस करने से इतर रट लगाए था कि इस बार बेटा ही होना चाहिए।

एक दिन अचानक सनक सवार हुई कि बेटा देखने की जिद में हंसिया से पत्नी का पेट फाड़ दिया। उसके इस कृत्य ने गर्भस्थ शिशु की जान ले ली, जोकि बेटा ही था। पत्नी का पेट फाड़ने और गर्भस्थ शिशु की जान लेने में पन्नालाल को गुरुवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। शुक्रवार को उनकी पत्नी बोलीं, आठ महीने कोख में जिसे रखा, उसकी मृत्यु का दर्द आज भी है...और क्रूर पति के जेल जाने पर प्रसन्नता।

अनीता नेकपुर मुहल्ला स्थित मकान के एक हिस्से में किराना की दुकान चलाकर पांचों बेटियों को भरण पोषण कर रही हैं। घटनाक्रम बताते हुए वह भावुक हो गईं...19 सितंबर 2020 की शाम करीब चार बजे थे। पति पन्नालाल चाय-समोसा की दुकान की बंदकर अचानक घर आया।

कहने लगा कि गर्भ में देखेगा कि बेटा है या नहीं, यदि इस बार बेटा नहीं हुआ तो दूसरी शादी कर लेगा। पहले लगा कि वह मजाक कर रहा है, इस बीच वह हंसिया उठा लाया तब डरकर भागी मगर बच न सकी। छीनाझपटी में हंसिया का एक वार सीने और दूसरा पेट पर लगा।

लहूलुहान होकर चीखने लगी तो परिवार के अन्य सदस्य आए, इस बीच पति भाग गया। कुछ देर में पहुंचे मायके वाले दिल्ली लेकर पहुंचे। तीसरे दिन वहां आपरेशन हुआ तब पता चला कि गर्भ में बेटा ही था, जोकि पति के हमले में दम तोड़ चुका था। यदि एक माह पति सब्र रखता तो उसकी इच्छा पूरी हो जाती और बेटे की जान भी न जाती।

घटना के तीसरे दिन जानलेवा हमला और गर्भपात के आरोप में पन्नालाल को जेल भेज दिया था। दो वर्ष बाद उसे जमानत मिली। इसके बाद समझौते का दबाव बनाने लगा। घर आकर हमला किया, तब पिछले वर्ष प्राथमिकी पंजीकृत करानी पड़ी। अनीता बताती हैं कि आठ महीने दिल्ली में उपचार के बाद दिल्ली से लौटी तो मायके वालों ने भी किनारा कर लिया। ऐसे में ससुराल के पास खरीदे गए मकान में रहने लगीं। भरण पोषण के लिए किराना की दुकान खोल ली।

बेटी ने दिया था बयान, पापा ने हमला किया

प्रकरण की सुनवाई महिला अपराध के विशेष न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक) सौरभ सक्सेना की कोर्ट में हुई। अनीता की बड़ी बेटा निर्जला ने बयान दिए कि पापा मम्मी से कह रहे थे कि पेट फाड़कर देखूंगा कि बेटा है बेटी। अचानक वह हमलावर हो गए। मैंने बचाने का प्रयास किया तो धक्का दे दिया।

इसके बाद उनके पेट पर हंसिया मारकर भाग गए। न्यायाधीश ने आदेश में लिखा कि अभियुक्त ने अत्यंत वीभत्स तरीके से पत्नी कोके पेट पर हंसिया से प्रहार किया। ऐसा लगता है कि उसे कानून का भय नहीं। उसे उम्र कैद की सजा सुनाई जाती है।


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