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Jharkhand News: समय पर नहीं हुआ काम, तो इन सरकारी इंजीनियर पर सरकार ने लिया एक्शन; अब नहीं निकाल पाएंगे वेतन

झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने पीएचईडी के सभी कार्यपालक अभियंताओं पर एक्शन लिया है। विभाग के अभियंता प्रमुख बृजनंदन कुमार ने कार्यपालक अभियंताओं की वेतन निकासी पर रोक लगा दी है। ऐसा करने का कारण जल जीवन मिशन का कार्य समय पर पूरा नहीं होने के चलते लिया गया। इस योजना का काम पूरा होने तक वेतन की निकासी पर रोक लगी रहेगी।

By Rakesh sinha Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Mon, 27 May 2024 04:02 PM (IST)Updated: Mon, 27 May 2024 04:02 PM (IST)
समय पर नहीं हुआ काम तो इन सरकारी इंजीनियर पर सरकार ने लिया एक्शन (File Photo)

जागरण संवाददाता, रांची। झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के अभियंता प्रमुख बृजनंदन कुमार ने पीएचईडी के सभी कार्यपालक अभियंताओं के वेतन निकासी पर रोक लगा दी है। अभियंता प्रमुख ने यह सख्त कदम जल जीवन मिशन का कार्य समय पर पूरा नहीं होने के कारण उठाया है।

इसे लेकर अभियंता प्रमुख ने 22 मई के पत्रांक 1124 से राज्य के सभी कार्यपालक अभियंता को स्पष्ट किया गया है कि जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस कलस्टर/एसवीएस योजनाओं (फंगसनल हाउस होल्ड टैप वाटर) के पूर्ण होने तक वेतन निकासी पर रोक लगी रहेगी।

पीएचईडी के अभियंता ने क्या बताया?

पीएचईडी के अभियंता प्रमुख बृजनंदन कुमार ने स्पष्ट किया है कि एसवीएस कलस्टर/एसवीएस योजनाओं के पूर्ण होने की नियत तिथि समाप्त हो चुकी है, परंतु अबतक ज्यादातर योजनाएं पूर्ण नहीं हुई है। ऐसे में निदेशानुसार सूचित किया जाता है कि आपके प्रमंडल अंतर्गत जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस योजनाओं के पूर्ण होने तक आपकी वेतन निकासी पर रोक लगाई जाती है।

अभियंता प्रमुख ने इसकी प्रतिलिपि राज्य के सभी कोषागार पदाधिकारी, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सचिव के प्रधान आप्त सचिव, झारखंड राज्य के सभी अधीक्षण अभियंता को देकर कार्रवाई की बात कही है।

जल जीवन मिशन की योजना में रांची फिसड्डी

जल जीवन मिशन की योजना के क्रियान्वयन में रांची जिला का परफॉर्मेंस सबसे खराब है। मार्च 2024 तक धरातल में पूरा की जाने वाली योजना की उपलब्धि मई के अंतिम माह तक सिर्फ 63.35 प्रतिशत है, जो राज्य के अन्य जिलों की तुलना में सबसे कम है।

जल जीवन मिशन में रांची जिले का फिसड्डी होना काफी शर्मनाक है, यह भी उपलब्धि तब है जब आधे अधूरे योजना को कागजों में पूर्ण दिखाया गया है। विभागीय आंकड़ा की सत्यता पर भी सवाल खड़े हैं, ऐसे में जाहिर है धरातल पर उपलब्धि और भी कम होगी।

जल जीवन मिशन में 90 फीसदी से कम उपलब्धि हासिल करने वाले जिलों में रांची के अलावे गोड्डा (67.68), बोकारो 88.11) गिरिडीह (89.02) लोहरदगा (85.31) पूर्वी सिंहभूम (85.46) शामिल हैं। झारखंड राज्य में देवघर जिले की उपलब्धि सबसे ज्यादा 97.41 फीसदी है। जल जीवन मिशन में राज्य की ओवरऑल उपलब्धि 90 फीसदी से ऊपर दिखाई गई है।

मार्च 2024 तक योजना करना था पूरा

इस योजना को मार्च 2024 तक पूर्ण किया जाना था, ताकि केंद्रांश की पूरी राशि मिल सके। बावजूद समय सीमा समाप्त होने पर भी योजना कार्य आधा-अधूरा है।

वहीं दूसरी ओर विभागीय सूत्रों की माने तो राज्य भर में जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस की आधे-अधूरे योजनाओं को कागज पर 90 फीसदी तक पूर्ण दिखाकर राशि की निकासी कर ली गई है। जिसका खुलासा स्थलीय जांच के बाद होगा।

योजना पूर्ण करने के पहले आधार कार्ड का किया गया उपयोग

जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस योजना (फंगसनल हाउस होल्ड टैप वाटर) के पूर्ण होने पर आधार कार्ड का उपयोग कर उस योजना को पूरा करने का प्रावधान है। जिसके विपरीत योजना के कई संवेदकों ने योजना शुरू होने के साथ आधार कार्ड के जरिए गलत करने का असफल प्रयास किया।

जबकि योजना आज अभी भी आधी-अधूरी है। यह मामला तब और संदेहास्पद हो गया जब आधार कार्ड के जरिए योजना को पूरा करने का दिखावा किया गया है। इस गंभीर मामले को संज्ञान में लेते हुए अभियंता प्रमुख ने कड़ी कार्रवाई की है।

पीएचईडी की निगरानी और कार्यान्वयन पर खड़े हुए गंभीर सवाल

इस मामला के खुलासे होने के बाद राज्य में सरकारी परियोजनाओं की निगरानी और कार्यान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय निवासियों में भी इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर नाराजगी है, क्योंकि जल जीवन मिशन का समय पर पूरा होना उनके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।

ग्रामीण उम्मीद किए हुए थे कि इस योजना के पूरा होने से गर्मी के मौसम में उन्हें पानी के लिए इधर-उधर परेशान नहीं होना पड़ेगा, पर ऐसा नहीं हुआ। अब ग्रामीण अभियंता प्रमुख के कार्रवाई से यह कह रहे है कि विभागीय अधिकारियों में जिम्मेदारी का भाव जागेगा और भविष्य में ऐसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा।

सरकारी राशि का हो रहा दुरुपयोग

इससे पहले भी राज्य में कई सरकारी परियोजनाओं में समय सीमा का पालन नहीं करने और सरकारी राशि के दुरुपयोग की खबरें आती रही हैं, लेकिन इस बार की कार्रवाई ने संकेत दिया है कि सरकार अब इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी। अधिकारियों को अब परियोजनाओं की समय पर और सही तरीके से पूर्णता सुनिश्चित करनी होगी।

जल जीवन मिशन जैसे महत्वपूर्ण योजना में देरी और अनियमितता ने राज्य के विकास पर गहरी चोट की है, लेकिन इस कार्रवाई से यह उम्मीद की जा सकती है कि अब सभी अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेंगे और योजनाओं को समय पर और सही ढंग से पूर्ण करेंगे।

केस स्टडी -1

लोहरदगा जिले के कैरो प्रखंड के 15 गांवों में पीएचईडी द्वारा निविदा के माध्यम से नल-जल योजना का क्रियान्वयन कराया जा रहा है। योजना अंतर्गत प्रखंड में कुल 233 जलमीनार का निर्माण मार्च 2024 तक पूरा किया जाना था, पर कई गांवों में जलमीनार का निर्माण कार्य आज भी अधूरा है। कैरो प्रखंड के एडादोन गांव में स्ट्रैक्चर के लिए सिर्फ फाउंडेशन की ढ़लाई कर छोड़ दिया गया है।

विभागीय अभियंता अनुसार जलमीनार के बोरिंग की गहराई 200 फिट से अधिक करने का प्रावधान पर, पर इसमें भी अनदेखी की गई है। जिसके कारण आज की तिथि में राज्य भर में नल-जल योजना के तहत ग्रामीणों को जलापूर्ति का लाभ नहीं मिल रहा।

केस स्टडी -2

झारखंड राज्य के उग्रवाद प्रभावित सेन्हा प्रखंड अंतर्गत सेन्हा, बदला, डांडू, मुर्की-तोड़ार पंचायत में जल जीवन मिशन अंतर्गत एसवीएस योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है योजना में गुणवत्ता की शिकायत के साथ समय पर पूरा नहीं होने का मामला चर्चा में है। महादेव टोली बदला में आंगनबाड़ी केंद्र के पास बोरिंग से पानी नहीं निकलने के बाद भी सोलर टावर लगा दिया गया।

जबकि किसी के घर तक पाइप लाइन के जरिए जलापूर्ति का कनेक्शन नहीं दिया गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पहले टावर का स्ट्रैक्चर खड़ा कर सोलर लगा दिया, फिर बोरिंग कार्य किया गया। जिसमें पत्थर निकलने के बाद बोरिंग का खुदाई बंद कर उसी स्थान पर सोलर जलमीनार लगा दिया।

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