झूठे बयान का राजफाश: नाबालिग से दुष्कर्म के आरोप में सवा चार साल जेल में रहा निर्दोष; अब युवती को उतने ही दिन काटनी होगी सजा
दो सितंबर 2019 को एक महिला ने अजय उर्फ राघव के विरुद्ध प्राथमिकी पंजीकृत कराई कि उसकी नाबालिग बेटी को दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म किया फिर पुलिस ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। लड़की वर्ष 2022 में बालिग हो चुकी थी। 13 अक्टूबर 2023 को उसने तत्कालीन स्पेशल जज (फास्ट ट्रैक) निर्दोष कुमार के सामने आरोप दोहराए। दोबारा बयान होने पर उसने स्वीकारा कि अजय ने दुष्कर्म...
जागरण संवाददाता, बरेली। अजय उर्फ राघव निर्दोष थे मगर, दुष्कर्म के झूठे आरोप में उन्हें 1653 दिन जेल में काटने पड़े। उन्होंने पीड़ा बर्दाश्त की, इंतजार किया...आखिरकार जीत सत्य की हुई। युवती का झूठ ज्यादा दिन टिक नहीं सका, वह अपने ही बयानों में ऐसी उलझी कि सच सामने आ गया।
शनिवार को अपर सेशन जज- 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने आदेश दिया कि जितने दिन निर्दोष को जेल में काटने पड़े, युवती को उतने दिन कारावास की सजा दी जाए। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अपने उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पुलिस व न्यायालय को माध्यम बनाना घोर आपत्तिजनक है। अनुचित लाभ लेने के लिए महिलाओं को पुरुषों के हितों पर आघात की छूट नहीं दी जा सकती।
नाबालिग बेटी को दिल्ली ले जाकर किया दुष्कर्म
दो सितंबर 2019 को एक महिला ने अजय उर्फ राघव के विरुद्ध प्राथमिकी पंजीकृत कराई कि उसकी नाबालिग बेटी को दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म किया। कुछ दिन बाद पुलिस ने अजय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उस समय लड़की नाबालिग बताई गई, जोकि वर्ष 2022 में बालिग हो चुकी थी। 13 अक्टूबर 2023 को उसने तत्कालीन स्पेशल जज (फास्ट ट्रैक ) निर्दोष कुमार के सामने आरोप दोहराए।
आठ फरवरी 2024 को उसके बयान विरोधाभासी हो गए थे। दोबारा बयान होने पर उसने स्वीकारा कि अजय ने दुष्कर्म नहीं किया था। इसकी जानकारी पर कोर्ट ने अजय उर्फ राघव को बाइज्जत बरी कर दिया। उसी दिन 340 सीआरपीसी के तहत तत्कालीन कोर्ट के पेशकार ने सीजेएम ने कोर्ट को गुमराह करने का परिवाद दर्ज कराया। उसमें युवती के झूठे बयान का उल्लेख किया गया था। 12 फरवरी को सेशन कोर्ट में मुकदमा शुरू हो गया।
सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि झूठे आरोप के कारण निर्दोष व्यक्ति को 1653 दिन जेल में काटने पड़े, झूठी गवाही पर उम्रकैद भी हो सकती थी। उन्होंने बताया कि कोर्ट ने युवती को मुख्य दोषी माना क्योंकि बालिग होने के बावजूद वह झूठे बयान देती रही। उस पर 5.88 लाख रुपये का जुर्माना भी डाला गया, जोकि अजय उर्फ राघव को क्षतिपूर्ति के रूप में दिया जाएगा। यदि वह जुर्माना राशि जमा नहीं करेगी तो छह महीने अतिरिक्त कारावास काटना होगा।
महिला को नहीं माना मुख्य दोषी
सरकारी वकील के अनुसार, दुष्कर्म का झूठा आरोप लगाने पर युवती को सजा का जिले में पहला मामला है। आरंभिक आरोप के आधार पर महिला ने प्राथमिकी पंजीकृत कराई थी। विवेचना के दौरान लड़की कहती रही कि दुष्कर्म हुआ है। कोर्ट में आरंभिक बयान भी उसने यही दोहराया। इसके बाद मुख्य बयान में अचानक पलट गई।
उसने कहा कि आरंभिक बयान में उसने दुष्कर्म की बात कही थी मगर, यह सच नहीं है। सच यह है कि मेरे साथ दुष्कर्म नहीं हुआ। उसके बयान बदलने पर संदेह जताया गया कि संभव है कि प्रलोभन में आकर ऐसा किया हो गया रुपये वसूलने के लिए झूठे आरोप लगाए हों। बयान बदलने पर संदेह गहराने पर कोर्ट ने लड़की को ही मुख्य आरोपित मानकर कारावास की सजा सुनाई।