Haryana News: गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदा मामले में हुड्डा को हाईकोर्ट से झटका, जांच को जारी रख सकेगा ढींगरा आयोग
गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की पुरानी फाइलें एक बार फिर खुलेंगी। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट के जज अनिल खेत्रपाल ने स्पष्ट किया कि एसएन ढींगरा आयोग के लिए यह खुला होगा कि वह उस चरण से कार्यवाही जारी रखें। भूपेंद्र हुड्डा ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की जांच को चुनौती दी थी।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा को बड़ा झटका लगा है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार गुरुग्राम में विवादास्पद भूमि सौदों की जांच के लिए गठित जस्टिस एसएन ढींगरा जांच आयोग को जारी रखने का फैसला कर सकती है, जिसमें कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी के बहनोई राबर्ट वाड्रा से जुड़े मामले भी शामिल हैं।
इससे पहले जनवरी 2019 में हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने माना था कि विवादास्पद भूमि सौदों की जांच करने वाले जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की रिपोर्ट 'नान-एस्ट' (अस्तित्व में नहीं) है। हालांकि इस मुद्दे पर खंडपीठ के दोनों जजों के अलग-अलग विचार होने से विचार के लिए तीसरे जज को भेजा था।
आयोग को कानून के प्रविधानों का करना होगा पालन
अपना मत देते हुए हाई कोर्ट के जज अनिल खेत्रपाल ने स्पष्ट किया कि एसएन ढींगरा आयोग के लिए यह खुला होगा कि वह उस चरण से कार्यवाही जारी रखें, जब जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 8बी (जिन व्यक्तियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, उनकी सुनवाई की जाएगी) के तहत नोटिस जारी किया जाना आवश्यक था।
हाई कोर्ट ने कहा कि सरकार ने दो सितंबर 2016 की अधिसूचना के माध्यम से जांच करने के लिए आयोग का कार्यकाल समाप्त कर दिया था। हालांकि, इसे 1952 अधिनियम की धारा 7 के तहत जारी अधिसूचना नहीं माना जाएगा। जब आयोग का अस्तित्व समाप्त नहीं हुआ है, तो इसे अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए उपयुक्त सरकार द्वारा पुनर्जीवित किया जा सकता है। सरकार आयोग को फिर से जांच जारी रखने के लिए कह सकती है। हालांकि, आयोग को कानून के प्रविधानों का पालन करना होगा।
हुड्डा ने जस्टिस ढींगरा आयोग की जांच को दी थी चुनौती
बता दें कि गुरुग्राम के सेक्टर-83 में जमीन के व्यावसायिक उपयोग का लाइसेंस जारी करने में धांधली की जांच के लिए मनोहर सरकार ने मई 2015 में जस्टिस ढींगरा की अगुवाई में एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था। राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटेलिटी का नाम भी जमीन लेने वालों में शामिल होने के कारण इस जांच की अहमियत बढ़ गई थी। जस्टिस एसएन ढींगरा ने अपनी 182 पेज की रिपोर्ट 31 अगस्त 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सौंपी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी। भूपेंद्र हुड्डा ने जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग की जांच को चुनौती दी थी।
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जस्टिस एके मित्तल ने असंवैधानिक मानी थी रिपोर्ट
118 पन्नों के फैसले में जस्टिस एके मित्तल ने कहा था कि आयोग की रिपोर्ट हुड्डा की प्रतिष्ठा को प्रभावित करती है। अधिनियम की धारा 8बी के तहत नोटिस जारी करना आवश्यक था, जो नहीं किया गया। तदनुसार, आयोग की रिपोर्ट को असंवैधानिक मानते हुए प्रकाशित नहीं किया जाना चाहिए। यह भी कहा था कि आयोग अधिनियम की धारा 8बी के तहत नोटिस जारी करने की आवश्यकता होने पर आगे की कार्यवाही और नई रिपोर्ट प्रस्तुत कर सकता है।
दूसरे जज ने नया नोटिस जारी करने पर जताई थी असहमति
खंडपीठ के सदस्य जस्टिस अनुपिंदर सिंह ग्रेवाल ने ढींगरा आयोग द्वारा जांच आयोग अधिनियम की धारा 8बी के तहत हुड्डा को नया नोटिस जारी करने पर असहमति जताई थी। कहा था कि ढींगरा आयोग का कार्यकाल समाप्त हो चुका है और अधिनियम के तहत केवल नया आयोग नियुक्त किया जा सकता है।
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