सिंघवी Vs महाजन की याचिका पर हिमाचल हाई कोर्ट में जुलाई तक टली सुनवाई, 'लॉटरी सिस्टम' पर रार अभी भी बरकरार
हिमाचल प्रदेश में हर्ष महाजन और मनु सिंघवी की याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई टली है। सिंघवी ने राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की बराबरी के बाद पर्ची सिस्टम से निकाले गए परिणामों को चुनौती दी है। प्रार्थी के अनुसार इस चुनाव के दौरान कानूनी प्रक्रिया की अनुपालना नहीं की गई और भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को विजयी घोषित कर दिया।
जागरण संवाददाता, शिमला। भाजपा से राज्य सभा सांसद हर्ष महाजन (Harsh Mahajan) के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 9 जुलाई के लिए टल गई। इस मामले में प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रतिवादी सांसद हर्ष महाजन को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया था।
न्यायाधीश ने हर्ष महाजन को चार सप्ताह का दिया समय
न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ ने हर्ष महाजन को चार सप्ताह के भीतर याचिका का जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय देने के आदेश जारी किए। सिंघवी (Manu Singhvi) ने राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की बराबरी के बाद पर्ची सिस्टम से निकाले गए परिणामों को चुनौती दी है। प्रार्थी के अनुसार इस चुनाव के दौरान कानूनी प्रक्रिया की अनुपालना नहीं की गई और भाजपा प्रत्याशी हर्ष महाजन को विजयी घोषित कर दिया।
पर्ची सिस्टम से किया गया था विजेता घोषित
याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार राज्यसभा वोटिंग में दोनों ही उम्मीदवारों को 34-34 वोट प्राप्त हुए थे। इसके बाद पर्ची से नाम निकाले गए लेकिन इस पर्ची सिस्टम में जिस तरह से बीजेपी प्रत्याशी को विजेता घोषित किया गया वह गलत है।
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पर्ची निकलने के हिसाब से जिस उम्मीदवार की जीत होनी चाहिए थी, उससे उल्टा दूसरे उम्मीदवार को जितवाया गया। जो कानूनी रूप से गलत है। इन आरोपों को आधार बनाते हुए प्रार्थी ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
छह कांग्रेस विधायकों ने मनु सिंघवी के खिलाफ दिया था वोट
गौरतलब है कि 27 फरवरी को हिमाचल राज्यसभा की एक सीट के लिए चुनाव हुआ था जिसमें तीन निर्दलीय विधायकों समेत छह कांग्रेस बागी विधायकों ने कांग्रेस के प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी के खिलाफ वोट दिया था। 68 सदस्यों वाली हिमाचल विधानसभा में 34 -34 पर मामला अटक गया था।
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टाई होने के बाद लॉटरी सिस्टम से नाम निकाला गया जिसमें हर्ष महाजन को विजयी घोषित किया गया। अब लॉटरी सिस्टम की प्रक्रिया को अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा हिमाचल हाईकोर्ट में चुनौती दी है और चुनाव रद्द करने की गुहार लगाई है ताकि पुनः इस सीट के लिए चुनाव हो सके।