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महासमुंद: युवा शक्ति को साथ लेकर महिला सरपंच ने दूर किया गांव का जल संकट

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कुल 18 तालाब में बघमरा व नरईयां तालाब गर्मी में सूखता है शेष सभी में सालभर पानी रहता है। पहले गर्मी में बोर खनन पर 150 फीट के बाद पानी मिलता था लेकिन अब तालाबों की वजह से 100 फीट में मिल जाता है। पुराने कुओं में गर्मी में भी 40 से 50 फीट में पानी रहता है।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Wed, 08 May 2024 06:24 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2024 06:24 PM (IST)
मई की गर्मी में भी बेलसोंडा गांव में लबलबा नवा तालाब। (Photo Jagran)

आशुतोष शर्मा, महासमुंद। तालाबों के संरक्षण, संवर्धन और हरियाली के लिए किए नवाचारों से छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले का गांव बेलसोंडा आसपास के कई गांवों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गया है। यहां की युवा सरपंच भामिनि पोखन चंद्राकर ने वर्ष 2020 में गांव के युवाओं की स्वामी विवेकानंद सेवा समिति बनाई थी। इसके बाद गांव में पौधरोपण शुरू किया गया। गांव के कुल 18 तालाबों की मेड़ में बरगद और पीपल के पौधे लगाए गए।

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जिला मुख्यालय से 10 किमी दूर एनएच 353 किनारे बसे बेलसोंडा गांव में बीए पास सरपंच भामिनि और युवाओं के सतत प्रयास से पौधे अब पेड़ों में तब्दील होने लगे है। शुरुआती वर्ष में पांच सौ से अधिक पौधे इन तालाबों के किनारे में लगाए गए थे। इनमें से अब तक सवा तीन सौ से अधिक पौधे जीवित हैं और बड़ा रूप ले चुके हैं। समिति ने गांव के सबसे बड़े नवा तालाब में हरियाली बिखेरने का बड़ा काम किया। अब यह तालाब सबसे हराभरा है।

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के कुल 18 तालाब में बघमरा व नरईयां तालाब गर्मी में सूखता है, शेष सभी में सालभर पानी रहता है। पहले गर्मी में बोर खनन पर 150 फीट के बाद पानी मिलता था, लेकिन अब तालाबों की वजह से 100 फीट में मिल जाता है। पुराने कुओं में गर्मी में भी 40 से 50 फीट में पानी रहता है। 71 वर्षीय दुरपति धीवर कहती हैं कि गांव अब भरा रहता है। पेड़-पौधे खूब लगे हैं। हरियाली के चलते तालाब के किनारे घूमने-टहलने में अच्छा लगता है। पानी को लेकर अब समस्या नहीं है। पेयजल भी सुलभ है और नहाने के लिए तालाब में भरपूर पानी है। घर में नल लगे है। बोरिंग चलाना अब पुरानी बात रह गई है।

सरपंच के पति भी करते हैं आर्थिक सहयोग

सरपंच भामिनि पोखन चंद्राकर के पति सीआरपीएफ में हैं और अपने वेतन का बड़ा हिस्सा जनहित पर प्रतिमाह खर्च करते हैं। इसलिए आर्थिक रूप से मजबूत सरपंच ने गांव के संसाधनों के साथ खुद के खर्च पर हरियाली बिखेरने का कार्य किया। वहीं, युवाओं ने निःस्वार्थ योगदान दिया। सरपंच के सहयोग से लगाए गए पौधे नियमित सिंचाई, देखभाल से पेड़ों का आकार ले चुके हैं। नवा तालाब आज गांव में ठंडकता देने वाली जगह बन गया है। तालाब के किनारे बैठकर लोगों की थकान दूर हो जाती है, मन प्रफुल्लित हो जाता है।

मनरेगा से हर वर्ष तालाबों का गहरीकरण

10 साल पहले गांव में बीएसपीसीएल कंपनी ने मुरम निकालने सड़क किनारे एक तालाब खोदा, शेष 17 तालाबों का पंचायत ने गहरीकरण करवाया है। मनरेगा के तहत हर वर्ष अलग-अलग तालाबों के गहरीकरण का काम होता है, अभी खरखरा तालाब में कार्य जारी है। अभी तालाब में छह से आठ फीट तक पानी है।

40 महिला समितियां दिलवा रही योजनाओं का लाभ : लगभग पांच हजार की जनसंख्या वाले इस गांव 12 सौ से अधिक घर है। गांव में 40 से अधिक महिला समितियां बनी हुई है, जो अलग-अलग सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई है। ये समितियां लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने में पूरा सहयोग करती है। सरपंच और समितियों के प्रयासों से इस गांव के 92 लोगों को पीएम आवास का लाभ मिल चुका हैं। 273 लोगों को पेंशन और 816 महिलाओं को महतारी वंदन योजना का लाभ मिला हैं। गांव में 550 मनरेगा जाब कार्डधारी हैं। 1200 लोगों के पास राशन कार्ड है।

अतिरिक्त आय के लिए तालाबों में मछली पालन : गांव के पंचायत भवन, स्कूल और प्रमुख चौक पर सीसीटीवी कैमरे भी लगे हुए है। सफाई के लिए कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। प्रकाश के लिए गलियों और प्रमुख चौक पर सोलर लाइट भी लगाए गए है। पंचायत ने अतिरिक्त आय का साधन भी जुटाया है। जैसे- तालाबो को मत्स्य समूह को लीज पर दिया है।

स्वामी विवेकानंद सेवा समिति में लगभग 14 सदस्य

संरक्षक: पोखन लाल चन्द्राकर, गिरधारी लाल धीवर, अध्यक्ष शत्रुघ्न लाल साहू, उपाध्यक्ष तेजराम धीवर, सचिव उदेराम साहू, सह सचिव यज्ञ देवांगन, कोषाध्यक्ष प्रकाश साहू व अन्य आठ सदस्य। 40 महिला स्व सहायता समूह से लगभग 400 महिलाएं जुड़ी हुई हैं।

बनी रहती है ताजगी : टीकम

गांव के युवा टीकम चंद्राकर का कहना है कि गांव में हरियाली लाने, भूजल सुधारने के लिए बीते वर्षो में कई कार्य हुए है। सड़क के किनारे पाथवे को हरा भरा किया गया है, लोग छांव में बैठकर बस की प्रतीक्षा करते हैं। तालाबों में पानी भरा होने से कम गहराई में पानी मिल जाता है। अब गर्मी में कुआं नहीं सूखता। हरियाली से हवा में ताजगी बनी रहती है।

सेवा समर्पण से संभव हुआ कार्य : भामिनि

हरियाली बिखेरना, भूजल संवर्धन किसी एक व्यक्ति के लिए संभव नहीं था। गांव युवा शक्ति ने इसमें भरपूर योगदान दिया। सरकारी योजनाओं से प्लानिंग के साथ तालाब सुधार में कार्य हुए। मेड़ पर हरियाली बिखरी, जिससे अब भूजल स्तर सुधरा है। गांव में अन्य योजनाओं पर भी बेहतर कार्य हुए।

-भामिनि पोखन चंद्राकर, सरपंच, बेलसोंडा


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