Oral Cancer in Bihar: बिहार में ओरल कैंसर की सुनामी, हर साल डेढ़ लाख लोग होते हैं शिकार; 50% की हो जाती है मौत
बिहार में प्रत्येक वर्ष करीब डेढ़ लाख ओरल कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं जिसमें करीब 50 प्रतिशत मरीज की मौत हो जाती है। इसका कारण प्रारंभिक स्तर पर कैंसर की पहचान नहीं हो पाना है। एम्स दिल्ली के कैंसर सर्जन डॉ नवीन ने बताया कि मुंह का कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। भारत में इसके उत्पन्न होने के कारण खैनी तंबाकू गुटखा और पान मसाले का उपयोग है।
संवाद सूत्र, हिलसा। बिहार में हर साल लगभग डेढ़ लाख ओरल कैंसर के मरीज सामने आ रहे हैं। यह एक सुनामी की तरह है। जिसमें से तकरीबन 50 प्रतिशत मरीज की मौत हो जा रही है। इसका कारण प्रारंभिक स्तर पर कैंसर की पहचान नहीं हो पाना है।
ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन द्वारा हिलसा में आयोजित एक कार्यक्रम में एम्स दिल्ली के कैंसर सर्जन डॉ नवीन कुमार ने कहा कि मुंह का कैंसर सबसे सामान्य कैंसर है। भारत में इसके उत्पन्न होने के कारण नन स्मोकिंग वस्तुएं यथा खैनी, तंबाकू, गुटखा एवं पान मसाले का उपयोग करना है।
कैंसर सर्जन ने बताया कि मुंह कैंसर की प्रारंभिक स्टेज में पहचान होने पर रिकवरी का रेट 80 से 90 प्रतिशत तक रहता है। इसकी पहचान का सबसे आसान तरीका मुंह में छाले या घाव का ठीक नहीं होना, खून का रिसाव नहीं रुकना रहा है। गले में दर्द रहित गांठ होना है। इस तरह के मामले कैंसर के हो सकते हैं।
इस तरह की पहचान की जानकारी के लिए सभी लोगों का जागरूकता होना जरूरी है। पहचान के इन तरीकों को सभी लोगों को जानना जरूरी है। स्टेज 4 में डायग्नोस के कारण ही अन नेचुरल डेथ का आंकड़ा 50 प्रतिशत है। इस आंकड़े को कम करने के लिए लोगों को जागरूक होना होगा। इसके लिए लोगों को खैनी, तंबाकू, गुटखा एवं पान मसाला को खाने से बचना होगा।
ये प्रतिष्ठित डॉक्टर रहे मौजूद
इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ आईएमए के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ दिनेश कुमार, आईएमए हिलसा के अध्यक्ष डॉ रविंद्र कुमार सिन्हा, सचिव डॉ रजनीश कुमार, एम्स दिल्ली के कैंसर सर्जन डॉ नवीन कुमार, वरिष्ठ फिजिशियन डॉ मनीष चंद्र मुकुल एवं अन्य ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। सेमिनार को डॉ विनोद कुमार चौधरी, डॉ सुनील चौधरी, डॉ अविनाश चंद्र, डॉ रवि रंजन एवं अन्य लोग उपस्थित थे।
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