Bijli Bill: बिजली विभाग ने सिक्योरिटी मनी वसूलने के लिए निकाला नया तरीका, अब एकमुश्त की जगह हर माह बिल में जुड़ेगी रकम
सेंट्रल जोन के अधिशासी अभियंता गौरव सकलानी ने बताया कि सिक्योरिटी डिपोजिट उपभोक्ता के बिजली खपत के आधार पर तय किया जाता है। यदि उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान नहीं करता तो कुछ पैसे ऊर्जा निगम के पास पहले ही सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में जमा रहता है। कनेक्शन बंद करने पर उपभोक्ताओं को पूरी सिक्योरिटी राशि रिफंड की जाती है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Bijli Bill: उपभोक्ताओं से वसूले जाने वाले अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपोजिट (एएसडी) को हर माह किश्तों में वसूला जाएगा। पूर्व में यह वर्ष में एकमुश्त वसूला जाता था।
उपभोक्ता की वर्षभर की बिजली खपत के आधार पर यह सिक्याेरिटी डिपोजिट निर्धारित किया जाता है। जिसे अप्रैल के बिल से ऊर्जा निगम ने किश्तों में वसूलना शुरू कर दिया है। हालांकि, इसे लेकर अभी आम उपभोक्ताओं में असमंजस बना हुआ है।
उत्तराखंड में इसी माह से बिजली की दरों में 6.92 प्रतिशत की वृद्धि की जा चुकी है। जिसे लेकर उपभोक्ता और विपक्षी राजनीतिक दल लगातार विरोध कर रहे हैं। इसी बीच अप्रैल के बिलों में अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपोजिट जुड़कर आने से उपभोक्ताओं की बेचैनी बढ़ गई है। दरअसल, एएसडी वर्ष में पहले एक ही बार वसूला जाता था।
सिक्योरिटी मनी का भुगतान न करने वालों को भेजे जाते थे नोटिस
ऊर्जा निगम की ओर से सिक्योरिटी मनी का भुगतान न करने वालों को नोटिस भी भेजे जाते थे। हालांकि, धनराशि अधिक होने के कारण वित्तीय वर्ष के अंत में एकमुश्त भुगतान करना आम उपभोक्ता के लिए संभव नहीं होता था और ऊर्जा निगम को मोटी धनराशि वसूलने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ती है।
अब वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत से सिक्योरिटी डिपोजिट को किश्तों मेें वसूलने की व्यवस्था शुरू कर दी गई है। जो कि हर माह बिल माह बिल में जुड़कर आएगा।
ऊर्जा निगम के पास सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में रहता है जमा
सेंट्रल जोन के अधिशासी अभियंता गौरव सकलानी ने बताया कि सिक्योरिटी डिपोजिट उपभोक्ता के बिजली खपत के आधार पर तय किया जाता है। यदि उपभोक्ता बिजली बिल का भुगतान नहीं करता तो कुछ पैसे ऊर्जा निगम के पास पहले ही सिक्योरिटी डिपोजिट के रूप में जमा रहता है।
कनेक्शन बंद करने पर उपभोक्ताओं को पूरी सिक्योरिटी राशि रिफंड की जाती है। साथ ही इसका ब्याज सहित भुगतान किया जाता है। जिनका बिल पूर्व में जमा सिक्योरिटी डिपोजिट से कम है, उनके बिल को डिपोजिट से जोड़कर कम कर दिया जाता है।
अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपोजिट को ऐंसे समझें
नया कनेक्शन लेते समय उपभोक्ता और ऊर्जा निगम दोनों को कनेक्शन पर सालाना होने वाली बिजली खपत का पता नहीं होता। ऐसे में कनेक्शन लेते समय जो सिक्योरिटी डिपोजिट जमा कराया जाता है वह बेहद सामान्य होता है।
यदि उपभोक्ता सिक्योरिटी डिपोजिट की तुलना में अधिक बिजली का उपभोग करता है तो उनके अतिरिक्त सिक्योरिटी डिपोजिट की मांग की जाती है। जिन उपभोक्ताओं की बिजली खपत सिक्योरिटी डिपोजिट से कम है, उनका बिल घटाकर भेजा जाता है।
30 दिन का होता है साइकिल
बिजली बिल का साइकिल 30 दिन का होता है, जबकि, इसे तैयार करने और उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में दो से सात दिन लगते हैं। उपभोक्ताओं को बिल भरने के लिए सात से 15 दिन का समय दिया जाता है। ऐसे में उपभोक्ता तब तक 45 दिन बिजली का उपभोग कर चुके होते हैं। ऐसे में अतिरिक्त बिजली के उपभोग के लिए भी एएसडी वसूल लिया जाता है।
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