'मतदान के दिन और अंतिम आंकड़ों में पहले भी रहता था...', मतदान के आंकड़ों पर उठाए जा रहे सवालों पर निर्वाचन आयोग ने साफ की स्थिति
आयोग ने मतदान के अंतिम आकंड़ों को जारी करने में देरी के आरोपों का भी जवाब दिया है और कहा है कि यह एक लंबी प्रक्रिया है।जिसमें मतदान के बाद पोस्टल बैलेट से लेकर बुजुर्गों के घर- घर जाकर कराए गए मतदानचुनाव ड्यूडी में तैनात मतदाताओं और मतदान के दिन वोट करने वाले मतदाताओं की संख्या का जांचा जाता है।साथ ही अनुपस्थित मतदाताओं का भी ब्यौरा तैयार किया जाता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान मतदान के आंकड़ों को लेकर विपक्ष की ओर से उठाए जा रहे सवालों पर निर्वाचन आयोग ने स्थिति साफ की है। आयोग ने कहा है कि मतदान के अंतिम आंकड़े पहले भी मतदान के पांच से सात दिनों के बाद जारी किए जाते थे और अंतर दो से तीन फीसद तक होता था। इस बार भी लोकसभा चुनाव के दौरान उसी व्यवस्था के तहत मतदान के आंकड़े जारी किए है।
आयोग ने इस दौरान मतदान के आंकड़ों में गड़बड़ी की उन सभी संभावनाओं को खारिज किया और बताया कि प्रत्येक बूथ पर मतदान के बाद कुल पड़े मतों का पूरा ब्यौरा फार्म 17-सी के जरिए सभी प्रत्याशियों के एजेंटों को दिया जाता है। उन सभी से इसकी प्राप्ति भी ली जाती है।
आयोग ने मतदान के अंतिम आकंड़ों को जारी करने में देरी के आरोपों का भी जवाब दिया है और कहा है कि यह एक लंबी प्रक्रिया है। जिसमें मतदान के बाद पोस्टल बैलेट से लेकर बुजुर्गों के घर- घर जाकर कराए गए मतदान, चुनाव ड्यूडी में तैनात मतदाताओं और मतदान के दिन वोट करने वाले मतदाताओं की संख्या का जांचा जाता है। साथ ही अनुपस्थित मतदाताओं का भी ब्यौरा तैयार किया जाता है।
लोकसभा चुनाव के दौरान भी मतदान के आकड़े आए सामने
जिसके बाद अंतिम आंकड़ों को फार्म 17सी से जांचा जाता है। उसके बाद उसे जारी किया जाता है। आयोग ने इस दौरान 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी मतदान के दिन और बाद में जारी किए अंतिम आंकड़ों जारी किए है। साथ उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों के मतदान के आंकड़ो को भी ब्यौरा जारी किया है। आयोग ने साफ किया है कि अंतिम आंकड़ों को जारी करने की अवधि प्रत्येक चरण के दौरान घटती बढ़ती रहती है। यह सारा कुछ उस चरण में शामिल दूरदराज या दुर्गम क्षेत्रों वाले मतदान केंद्रों की स्थिति आदि पर निर्भर करता है।
2019 के लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन और बाद में कब जारी किए गए थे आंकड़े ( प्रतिशत में)
चरण मतदान के दिन मतदान प्रतिशत मतदान के अंतिम आंकड़े
पहला चरण 69.4 (सात दिन बाद 18 अप्रैल को) (11 अप्रैल को) 69.61 ( महीने भर बाद 19 मई को अंतिम आंकडे)
दूसरा चरण--------------------- 66 (18 अप्रैल)-----------------69.42 ( पांच दिन बाद 23 अप्रैल को)
तीसरा चरण--------------------66(23 अप्रैल)--------------------68.4 ( छह दिन बाद 29 अप्रैल को)
चौथा चरण---------------------64 ( 29 अप्रैल)------------------65.51( सात दिन बाद छह मई को)
पांचवा चरण-------------------62.56 ( 6 मई को)----------------64.16 ( छह दिन बाद 12 मई को)
छठवां चरण-------------------63.3 ( 12मई को)----------------64.4 ( छह दिन बाद 19मई को)
सातवां चरण-------------------61( 19 मई को) ओवरआल आंकड़े नहीं दिए थे
2024 के लोकसभा चुनाव के मतदान के आंकड़े ( प्रतिशत में)
चरण मतदान के दिन मतदान प्रतिशत अंतिम आंकड़े
पहला चरण 64 ( 19 अप्रैल को) 66.14 ( 30 अप्रैल को)
दूसरा चरण 64.7 ( 26 अप्रैल को) 66.71 ( 30 अप्रैल को)
तीसरा चरण 64.4 ( सात मई को) 65.68 ( आठ मई को)
चौथा चरण 66.95 ( 13 मई को) 69.16 ( 17 मई को)
पांचवां चरण 60.09 ( 20 मई को) अभी जारी नहीं।
विधानसभा चुनाव में मतदान के दिन और अंतिम आंकड़े में रहता है अंतर
आयोग के मुताबिक लोकसभा चुनाव की तरह राज्य के विधानसभा चुनावों में भी मतदान के दिन के आंकड़ों में और मतदान के अंतिम आंकड़ों में अंतर रहता है। जो मतदान के बाद पूरी जांच परख के बाद जारी किया जाता है। आयोग के मुताबिक लोकसभा चुनाव की तरह राज्य के विधानसभा चुनावों में भी मतदान के दिन के आंकड़ों में और मतदान के अंतिम आंकड़ों में अंतर रहता है। जो मतदान के बाद पूरी जांच परख के बाद जारी किया जाता है।
आयोग ने बताया 2 आंकड़े में रहता है अंतर
आयोग ने बताया 2021 के पश्चिम बंगाल चुनाव में इसी तरह मतदान के दिन के पहले चरण में 79.79 प्रतिशत, दूसरे चरण में 80.43 प्रतिशत, तीसरे चरण में 77.68 प्रतिशत, चौथे चरण में 76.16 प्रतिशत, पांचवें चरण में 78.36 प्रतिशत, छठवें चरण में 79.09 प्रतिशत, सातवें चरण में 75.06 प्रतिशत और आठवें चरण में 76.07 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि राज्य में मतदान के जो अंतिम आकंड़े जारी हुए, उनमें मतदान प्रतिशत 82.3 प्रतिशत था। इसी तरह की स्थिति 2023 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक और त्रिपुरा के विधानसभा चुनाव में भी थी। जहां मतदान के दिन और अंतिम आंकड़ों में अंतर था।
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